नई दिल्ली। शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता में आप सांसद संजय सिंह कहा कि राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने पर जो भाजपा तालियाँ पीट-पीट कर खुश हो रही है, और खुद को क्लीन चिट मिलने का दावा ठोक रही है, ये वही भाजपा है जो सबरी माला के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दे रही थी। इसी भाजपा के सांसदों, मंत्रियों, विधायकों ने चिल्ला चिल्ला कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट जो चाहे कहे, सरकार को संसद में अध्यादेश लाकर मंदिर बनवाना चाहिए। ये सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करने वाले लोग आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले की दुहाई दे रहे हैं।
अगर भाजपा ये मान रही है कि सुप्रीम कोर्ट से उन्हें क्लीन चिट मिल गई है, और भाजपा बिलकुल पाकसाफ है, तो क्यूँ नहीं एक संयुक्त संसदीय समिति का गठन करके इसकी जाँच करवा लेती, जांच से क्यों भाग रही है भाजपा ? अगर भाजपा ने राफेल की खरीद में किसी भी प्रकार का घोटाला नहीं किया तो जांच से किस प्रकार का डर है, हो जाने दीजिए जांच।
सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ी एक संस्था इस देश के अन्दर है, इस देश की सबसे बड़ी पंचायत, इस देश की संसद। संसद का भी अपना कुछ महत्व है, संसद की भी कुछ जिम्मेदारी है, उस जिम्मेदारी से भाजपा भाग क्यूँ रही है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी का मानना है कि आज संसद के अंदर राफेल पर चर्चा होनी चाहिए, और चर्चा के बाद एक संयुक्त संसदीय समिति का गठन करके इसकी जाँच होनी चाहिए। समिति द्वारा कुछ मुख्य बातों की जाँच कराई जानी चाहिए, जो निम्न प्रकार हैं....
1- 526 करोड़ का राफेल विमान 1670 करोड़ में क्यूँ खरीदा गया?
2- 78 साल पुरानी एचएएल कंपनी को दरकिनार करके, 12 दिन पुरानी अनिल अम्बानी की कंपनी को ठेका क्यूँ दिया गया?
3- फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति औलान्दे के बयान का सच क्या है ?
4- प्रोक्योरमेंट पालिसी के तहत किसी भी अनुभवहीन कंपनी को ऑफसेट पार्टनर नहीं बनाया जा सकता, तो किस आधार पर अनिल अम्बानी की कंपनी रिलायंस को ऑफसेट पार्टनर बनाया गया?
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भाजपा कह रही है की सदन में राफेल मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिये। हम भी बहुत दिनों से इसकी मांग कर रहे थे, और ये बड़ी ख़ुशी की बात है कि भाजपा अंततः चर्चा के लिए तैयार हुई। आम आदमी पार्टी चर्चा के लिए तैयार है, और चाहती है कि चर्चा भी हो, और एक संयुक्त संसदीय समिति का गठन करके इसकी गहनता से जांच भी हो, और राफेल का जो भी सच है वो जनता के सामने आए। जिस प्रकार से बोफोर्स मामले में भी एक संसदीय समिति का गठन किया गया था, और समिति की जाँच के आधार पर अधिकारिक कार्यवाही भी की गई थी। इसी प्रकार से भाजपा को भी इस मामले में एक समिति का गठन करके अपनी सच्चाई देश के सामने रखनी चाहिए। लेकिन चूँकि भाजपा संयुक्त संसदीय समिति की मांग से भाग रही है, अर्थात दाल में कुछ ऐसा काला है, जिसे भाजपा छुपाना चाहती है।
प्रेस वार्ता में मौजूद संजय सिंह के वकील धीरज सिंह जो सुप्रीम कोर्ट में संजय सिंह की और से राफेल मामले में अधिवक्ता हैं, ने बताया सुप्रीम कोर्ट में कुल चार याचिका राफेल मुद्दे पर लगी थीं, जिसमे एक संजय सिंह के द्वारा लगाई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के आज के आदेश पर बताते हुए उन्होंने कहा कि इस ऑर्डर में तीन महत्वपूर्ण बाते निकलकर आती हैं।
1-सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार ऐसा कह रही है कि जो राफेल का वर्तमान मूल्य है वह पिछले मूल्य से बेहतर है (ऐसा सरकार बोल रही है)। सुप्रीम कोर्ट ने मूल्य पर कोई टिपण्णी नहीं की है।
2-भाजपा सरकार ने जनता से कहा कि पिछली सरकार ने जो राफेल जहाज का सौदा किया था, वो जहाज का बेसिक मॉडल था, हमने सभी सुविधाओं के साथ ये जहाज खरीदा है, इसीलिए जहाज की कीमत में फर्क आया है, जबकि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लिखित में ये दिया है कि ये वही जहाज है जिसे पिछली सरकार ने 2012 में टेस्ट किया था, अर्थात भाजपा सरकार ने जनता से झूठ बोला।
3-सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि ऑफसेट पार्टनर चुनने में, प्रोक्योरमेंट पालिसी में जो 14 चरण हैं, उनका पूरी तरह से पालन नहीं किया गया है।
धीरज सिंह ने एक और महत्वपूर्ण बात ये बताई कि भाजपा जो शुरू से ये कहती आ रही थी कि कांग्रेस ने जिस जहाज का सौदा किया था, वह बिना किसी हथियार एवं दूसरी सुविधाओं के था। परन्तु सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किये गए उनके हलफ़नामें में भाजपा ने खुद माना है कि ये वही जहाज है जिसे कांग्रेस ने 2012 में टेस्ट किया था। यह जहाज सभी हथियारों एवं सुविधाओं से उस समय भी परिपूर्ण था। इसमें न केवल हथियारों बल्किजूतों से लेकर हेल्मट तक की कीमत भी शामिल थी। अगर ये जहाज वही जहाज है जो कांग्रेस ने 2012 में टेस्ट किया था, तो कांग्रेस के समय में 526 करोड़ में मिलने वाला जहाज 1670 करोड़ का कैसे हो गया। भाजपा ने देश की जनता से झूठ बोला।
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