वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इन सारी मीटिंग के पीछे मोदी सरकार के एक करीबी पूर्व IPS हैं. सूत्र बताते हैं कि उन्हें इस बात की जिम्मेदारी दी गई है कि वह मुस्लिम संगठनों से बात करें और मुसलमानों के बीच माहौल बनाने के लिए कहें. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इन आईपीएस के पास मुसलमानों के साथ रहने का काफी तजुर्बा भी है और पाकिस्तान में भी यह लंबे समय तक रहे हैं और पाकिस्तान से संबंधित किस्से भी अक्सर सुनाया करते हैं.
बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के संभावित फैसले से पहले अगले कुछ दिन काफी अहम हैं. आर एस एस उसके संगठन या भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता जो पहले से यह कहते आ रहे थे कि वहां मंदिर बननी चाहिए और हम वहां मंदिर बनाएंगे इस तारीख में मंदिर बनाएंगे उस तारीख में मंदिर बनाएंगे अब उन की बातों में 180 डिग्री का टर्न दिख रहा है.
उनकी ओर से यह माहौल बनाने की कोशिश हो रही है कि फैसला जो भी आए उसे स्वीकार किया जाना चाहिए और फैसले को लेकर के हम आरएसएस जश्न नहीं मनाएगा. आरएसएस की ओर से यह कहना कि हम जश्न नहीं मनाएंगे बहुत सारे सवाल खड़े करता है, जो चर्चा का विषय है.
वही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से इस पूरे मामले में शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने 2010 के हाई कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि जिस तरह उस वक्त शांति थी उस तरह अभी भी शांति होनी चाहिए. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने मंत्रियों को संभल कर बयान देने की अपील की है और उन्होंने साफ लफ्जो में कहा है कि कोई विवादास्पद बयान नहीं आना चाहिए.
वहीं दूसरी ओर आर एस एस की छतरपुर की बैठक के बाद जो चीजें मीडिया में आ रही हैं वह काफी अहम हैं. खबर यह है कि इस पूरे मामले में आरएसएस देशव्यापी मुहिम चलाएगा और लोगों को इस बात के लिए बेदार करेगा कि वह किसी तरह की कोई खुशी ना बनाएं और साथी आरएसएस मुस्लिम संगठनों और मुस्लिम नेताओं से भी मिलकर इसी तरह का माहौल बना रहा है.
अहम बात यह है कि आर एस एस की बैठक के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिसे मुशावरत की ओर से एक अहम बैठक आयोजित की गई जिसमें इस बात की अपील की गई कि फैसला जो भी आए उसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया जाना चाहिए. हालांकि मुस्लिम संगठनों का पहले से ही यह मत रहा है कि फैसला जो भी आए उसे स्वीकार किया जाएगा.
अब इसके बाद खबर जमीअत उलमा हिंद की ओर से आ रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जमीयत के मुखिया मौलाना अरशद मदनी इस संबंध में दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में 6 नवंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले हैं, जिसका मकसद यह है कि इस पूरे मामले में संयम बरता जाए और फैसला जो भी आए उसे स्वीकार किया जाए और लोगों से इस की अपील भी की जाये.
वही खबर भारत सरकार की ओर से भी आ रही है. केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी 5 नवंबर को एक अहम बैठक बुलाई है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बैठक में कुछ अहम मुसलमानों को बुलाया गया है और यह बुलावा लंच के लिए आया है.
ज्ञात रहे कि बीते रोज दिल्ली के गांधी प्रतिष्ठान में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और आरएसएस के नेताओं की बैठक में मुख्तार अब्बास नकवी भी मौजूद थे और वहां उपस्थित लोगों को यह हिदायत दी गई थी कि वह इस संबंध में माहौल बनाएं कि मामला पीसफुल और शांति रहे और किसी तरह की कोई अनहोनी ना हो. इसी कड़ी में यह बैठक बुलाई गयी है.
हालांकि कहा यह गया है कि इस बैठक का कोई एजेंडानहीं है, लेकिन जिस माहौल में और जिस तारीख में बैठक बुलाई गई है और जिन लोगों को बुलाया गया है उस से साफ है कि एजेंडा क्या है और क्यों बुलाई गई है?
वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इन सारी मीटिंग के पीछे मोदी सरकार के एक करीबी पूर्व IPS हैं. सूत्र बताते हैं कि उन्हें इस बात की जिम्मेदारी दी गई है कि वह मुस्लिम संगठनों से बात करें और मुसलमानों के बीच माहौल बनाने के लिए कहें. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इन आईपीएस के पास मुसलमानों के साथ रहने का काफी तजुर्बा भी है और पाकिस्तान में भी यह लंबे समय तक रहे हैं और पाकिस्तान से संबंधित किस्से भी अक्सर सुनाया करते हैं.
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