जब भारत के इस मुजाहिद ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे
5 जनवरी 1949 को भारत ने कश्मीर युद्ध में पाकिस्तान से जीत हासिल की थी। इस युद्ध की सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई 6 फ़रवरी 1948 को नौशेरा में लड़ी गई जिसके हीरो थे ब्रिगेडियर उस्मान।नौशेरा के शेर कहे जाने वाले ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान का जन्म 15 जुलाई 1912 को हुआ था। उनके पिता चाहते थे कि वह सिविल सर्विसेज में जाएं लेकिन उन्होंने सैनिक बनने का ख़्वाब देखा, और उसे पूरा भी किया। बंटवारे के समय तक मोहम्मद उस्मान ब्रिगेडियर बन चुके थे। वो एक वरिष्ठ मुस्लिम सैन्य अधिकारी थे, इसलिए हर कोई उम्मीद कर रहा था कि वो पाकिस्तान जाना पसंद करेंगे लेकिन उन्होंने भारत में ही रहने का फ़ैसला किया. बलूच रेजिमेंट के कई अधिकारयों ने जिसके कि वो सदस्य थे, उनके इस फ़ैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा। यहां तक कि पाकिस्तान के राष्ट्रपिता मोहम्मद अली जिन्नाह और लियाक़त अली ने ब्रिगेडियर उस्मान को पदोन्नति का लालच भी दिया लेकिन उन्होंने यह न्योता ठुकरा दिया।
कश्मीर युद्ध में ब्रिगेडियर उस्मान पाकिस्तान के गले का कांटा बने रहे। हालात यह थे कि पाकिस्तान ने उनके सिर पर 50 हज़ार रुपये का ईनाम भी रखा था।
अपने जन्मदिन से 12 दिन पहले ब्रिगेडियर उस्मान 3 जुलाई 1948 को पाकिस्तानी घुसपैठियों से लड़ते हुए शहीद हो गए।
तो सवाल यही उठता है कि अपने देश के लिये सब कुछ क़ुर्बान करने वाले ब्रिगेडियर उस्मान जिस क़ौम से आते हैं उसकी देशभक्ति पर आज उंगली क्यों उठायी जाती है। इसी सिलसिले में वतन समाचार ने ब्रिगेडियर उस्मान के ख़ानदान से आने वाले मेडिसिन के छेत्र में दुनिया में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर डॉ कौसर उस्मान से बात की।
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