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CAB: जेडीयू में जारी घमासान तेज़, वरिष्ठ नेता बोले प्रशांत किशोर

अहम बात यह है कि इससे पहले नीतीश कुमार ने तीन तलाक बिल पर भी सरकार को इनडायरेक्टली सपोर्ट किया था और उनके नेता ने लोकसभा में बिल के खिलाफ जरूर बोला लेकिन संसद से वाकआउट कर गए. उसके बाद उस वक्त भी नीतीश कुमार की मंशा पर सवाल उठे थे क्योंकि संसदीय प्रणाली में वाक आउट का मतलब सरकार को इनडायरेक्टली सपोर्ट ही माना जाता है. पार्टियों के वाक आउट करने से हाउस का स्ट्रैंथ कम हो जाता है जिससे सरकार और मजबूत हो जाती है. विपक्ष के सामने परेशानी खड़ी हो जाती है.

By: Mohammad Ahmad
फाइल फोटो

CAB: जेडीयू में जारी घमासान तेज़, वरिष्ठ नेता बोले प्रशांत किशोर तो कहीं भी करोड़ों की नौकरी कर लेंगे, लेकिन अब हम क्या करें, एमएलसी खालिद अनवर पर भी बढ़ा दबाव 

CAB: जेडीयू में जारी घमासान तेज़, वरिष्ठ नेता बोले प्रशांत किशोर तो कहीं भी करोड़ों की नौकरी कर लेंगे, लेकिन अब हम क्या करें, एमएलसी खालिद अनवर पर भी बढ़ा दबाव

कल नीतीश का विश्वास घात और आज अमित शाह इज न्यू जिन्नाह ट्रेंड कर रहा है

 

नागरिकता संशोधन विधेयक पर जेडीयू में जारी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने वतन समाचार से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि जब सोच और प्रैक्टिस में फर्क हो जाए तो दिल टूट जाता है और तकलीफ होती है. उन्होंने कहा कि पीड़ा ऐसे जिसे हम शब्दों में बयान नहीं कर सकते.

 

उन्होंने वतन समाचार से नाम ना जाहिर करने की शर्त पर बताया कि प्रशांत किशोर साहब का क्या वह तो कहीं भी करोड़ों की नौकरी कर लेंगे, लेकिन अब हम लोग कहां जाएंगे, जिन्होंने जिंदगी पार्टी को दे दी है. पूरा जीवन पार्टी की सेवा की. लोहिया और जेपी के विचारों पर चले. समाजवादी सोच जिन की गुट्टी में है, लेकिन पीड़ा तो बयान ही कर सकते हैं.

 

 ज्ञात रहे कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जरिए नागरिकता संशोधन विधेयक पर बीते रोज 9 दिसंबर को लोकसभा में बिल के हक में वोटिंग की गई और साथ ही राज्यसभा में भी 11 दिसंबर को नीतीश कुमार ने बिल का समर्थन किया और बिल के समर्थन के लिए अपने पुराने साथी आरसीपी सिंह को राज्यसभा में उतार दिया और उन्होंने विपक्ष को ही जिम्मेदार ठहराया. आरसीपी सिंह ने बिल को वक़्त की जरूरत बताया.

 

 इसके बाद जेडीयू में जारी घमासान तेज हो गया. प्रशांत किशोर ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, वहीं बिहार की जनता भी काफी नाराज बताई जा रही है. बड़ी बात यह है कि बिहार से आ रही खबरों के अनुसार मुसलमानी ही नहीं दलित पीड़ित शोषित वंचित महा दलित काफी नाराज हैं और लोगों में इस बिल को लेकर जबरदस्त आक्रोश है.

 

 लोगों का कहना है कि भारत को धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश हो रही है जिसे वह स्वीकार नहीं करेंगे. अब देखना यह होगा कि नीतीश आने वाले दिनों में क्या फैसला लेते हैं और कैसे इस डैमेज को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि पार्टी में हुआ विरोध काफी मुखर हो चुका है. पार्टी के एक और पूर्व सांसद गुलाम रसूल बलियावी ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जिस से पार्टी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. अब एमएलसी खालिद अनवर पर भी दबाव तेज़ी से बढ़ रहा है, लेकिन अभी तक वह खामोश हैं.

 

अहम बात यह है कि इससे पहले नीतीश कुमार ने तीन तलाक बिल पर भी सरकार को इनडायरेक्टली सपोर्ट किया था और उनके नेता ने लोकसभा में बिल के खिलाफ जरूर बोला लेकिन संसद से वाकआउट कर गए. उसके बाद उस वक्त भी नीतीश कुमार की मंशा पर सवाल उठे थे क्योंकि संसदीय प्रणाली में वाक आउट का मतलब सरकार को इनडायरेक्टली सपोर्ट ही माना जाता है. पार्टियों के वाक आउट करने से हाउस का स्ट्रैंथ कम हो जाता है जिससे सरकार और मजबूत हो जाती है. विपक्ष के सामने परेशानी खड़ी हो जाती है.

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