ज्ञात रहे कि इस से पहले कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सरकार से बार-बार अपील की है कि सरकार किसी भी तरह से नागरिकों के अकाउंट में पैसा भेज कर इस गंभीर आर्थिक संकट को बचाए। राहुल गांधी ने यह भी कहा था कि अगर सरकार को ऐसा लगता है कि हमारी रेटिंग कम हो जाएगी तो अभी हमारे लिए अपने नागरिकों को बचाना ज्यादा अनिवार्य है। उन्होंने कई प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सरकार से अपील की थी कि सरकार को चाहिए कि वह तत्काल प्रभाव से बिना किसी लाग लपेट के नागरिकों के खाते में पैसा भेजे। नागरिकों के खाते में पैसा भेजें जिससे गंभीर आर्थिक संकट को बचाया जा सके। सरकार ने जिस आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी उस से लोगों की उम्मीदें काफी हद तक टूटती नजर आ रही हैं। अब देखना यह है कि जब मूडीज़ ने ऐसी घटिया रेटिंग दे ही दी है तो इस के बाद राहुल गांधी के बयानों को और un की demand को सरकार किस नज़रिये से लेती है।
ज्ञात रहे कि इससे पहले खबरें आ रही थीं कि सरकार मजदूरों को कैश पैसा इसलिए नहीं देना चाहती है क्योंकि वह नहीं चाहती कि रेटिंग दुनिया में खराब हो जिससे इन्वेस्टमेंट को लेकर समस्या पैदा हो लेकिन अब जबकि मूडीज ने भारत की रेटिंग को गिरा कर सबसे कम इन्वेस्टमेंट ग्रोथ किया है या इन्वेस्टमेंट के लिए सबसे निचले स्तर की रेटिंग दी है तो देखना यह है कि सरकार की ओर से इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है। अहम् बात याह है कि मूडीज़ की तरफ से यह भी कहा गया है कि - सरकार के पैकेज से ग्रोथ में इजाफा होना मुश्किल", है।
मूडीज का कहना है कि मार्च से लेकर मई तक लॉकडाउन जारी रहने के चलते यह स्थिति पैदा हुई है। मूडीज से पहले फिच और स्टैंडर्ड ऐंड पुअर ने भी भारत की रेटिंग में कमी की थी और उसे BBB- कर दिया था।",
‘Baa3’ का अर्थ सबसे कम इन्वेस्टमेंट ग्रोथ या इन्वेस्टमेंट के लिए सबसे निचले स्तर की रेटिंग है। 2019-20 की आखिरी तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ महज 3.1 प्रतिशत ही रही है, जो बीते 8 सालों में सबसे कम है। मूडीज ने मौजूदा वित्त वर्ष में भी जीडीपी में 4 फीसदी की गिरावट की बात कही है। इससे पहले 2017 में मूडीज ने भारत की रेटिंग को Baa3 से बढ़कार नवंबर 2017 में Baa2 कर दिया था। तब पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से आर्थिक सुधारों के लिए उठाए गए कदमों के चलते यह कटौती की गई थी। यही नहीं मूडीज ने मोदी सरकार की ओर से गरीबों और बेरोजगारों के लिए उठाए गए कदमों को भी अपर्याप्त करार दिया है।
मूडीज ने कहा कि इन सब उपायों से भारत की ग्रोथ 8 पर्सेंट के करीब पहुंचती नहीं दिख रही है, जो बीते कुछ सालों में हुई थी। इस बीच इंडिया रेटिंग ने कहा है कि मोदी सरकार के पैकेज के चलते अर्थव्यवस्था को गति मिलना मुश्किल लग रहा है। एजेंसी के मुताबिक 2022-23 से पहले आर्थिक ग्रोथ में इजाफा होने के आसार नजर नहीं आते। एजेंसी ने कहा कि सरकार ने जो 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज जारी किया है, उसमें से 2.14 लाख करोड़ रुपये ही नकद के तौर पर खर्च किया जाना है। इसके अलावा बड़ी रकम क्रेडिट गारंटी स्कीम के तौर पर ही ऐलान की गई है, जिसका सरकार पर कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ने वाला है।", अब देखना यह होगा कि इस पूरे मामले में सरकार की ओर से क्या रद्दे अमल आता है और सरकार इस डैमेज को कैसे कंट्रोल करती है?।
ज्ञात रहे कि इस से पहले कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सरकार से बार-बार अपील की है कि सरकार किसी भी तरह से नागरिकों के अकाउंट में पैसा भेज कर इस गंभीर आर्थिक संकट को बचाए। राहुल गांधी ने यह भी कहा था कि अगर सरकार को ऐसा लगता है कि हमारी रेटिंग कम हो जाएगी तो अभी हमारे लिए अपने नागरिकों को बचाना ज्यादा अनिवार्य है। उन्होंने कई प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सरकार से अपील की थी कि सरकार को चाहिए कि वह तत्काल प्रभाव से बिना किसी लाग लपेट के नागरिकों के खाते में पैसा भेजे। नागरिकों के खाते में पैसा भेजें जिससे गंभीर आर्थिक संकट को बचाया जा सके। सरकार ने जिस आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी उस से लोगों की उम्मीदें काफी हद तक टूटती नजर आ रही हैं। अब देखना यह है कि जब मूडीज़ ने ऐसी घटिया रेटिंग दे ही दी है तो इस के बाद राहुल गांधी के बयानों को और un की demand को सरकार किस नज़रिये से लेती है।
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