बढ़ती महंगाई पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मीडिया और मोदी सरकार को लताड़ा
नई दिल्लीः पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि, हुल्लड़ मुरादाबादी का नाम हम में से काफी लोगों ने जरुर सुना होगा। उन्होंने एक बात कही थी, “भूख, महंगाई, गरीबी इश्क मुझसे कर रही हैं, एक होती तो निभाता, तीनों मुझ पर मर रही हैं”।
जो आज मोदी ने हालत की है इस देश की, जिन लोगों ने भी, ऐसे लोग हम भी जानते हैं, आपके सर्कल में भी होंगे, व्हाट्सएप ग्रुप में भी होंगे, जो मोदी पर मर मिटने को तैयार होते थे, हमसे-आपसे लड़ने को तैयार हो जाते थे, आज उनकी क्या हालत है। टमाटर और प्याज की ये स्थिति है कि जैसे किचन में इन दोनों चीजों पर 144 धारा लगी हुई हो। 4 से ज्यादा नहीं रख सकते, इतने महंगे हो गए हैं, टमाटर, भिंडी, प्याज, शिमला मिर्च, जो पिछले साल इस वक्त कीमत थी, उससे कहीं ज्यादा आज टमाटर, 100 से 120 रुपए इसी शहर में बिका है। तो इसलिए बड़ी-बड़ी बातें करने वाले जो लोग हैं, नए-नए मुद्दे लाकर डिबेट्स करने वाले लोग हैं, सुबह से शाम तक आपको परेशान करते रहते हैं, कि भईया, बाइट लेकर आओ, फलां मुद्दे, जो कि हैं ही नहीं। सुबह से मुझको भी बहुत फोन आया, आप जैसे साथियों के। मैं हैरान था कि मुद्दा क्या है और बात किस पर हो रही है। प्याज-भिंडी, भिंडी 120 रुपए किलो, ये हैं असली मुद्दे और ये सब क्यों हो रहा है? क्यों आज प्याज 50 रुपए किलो है, शिमला मिर्च सौ से एक सौ बीस रुपए बिक रही है? ये हैं मुद्दे।
इस पर सरकारें बननी और बिगड़नी चाहिएं। इस पर विपक्ष को आंकना चाहिए कि विपक्ष आवाज उठाता है या नहीं उठाता? महीने के अंत में जेब में कितना पैसा बचा, इस पर सरकार की परफॉर्मेंस को नापना चाहिए। मैं कोई ज्ञान बांटने नहीं बैठा हूँ, लेकिन दर्द बांटने बैठा हूँ कि क्यों हम इन मुद्दों से भटकने देते हैं। विपक्ष को भी आप भटकाने पर मजबूर करते हैं कि नहीं साहब इस पर जवाब दीजिए? नहीं देंगे, साहब। इसी पर बात करेंगे। क्यों सरकारों को हम अनुमति देते हैं, इन मुद्दों से भटकने की, या भटकाने की? क्यों इतने महंगे हुए हैं, क्योंकि इनपुट कॉस्ट, बार-बार रणदीप भाई आकर कई बार बोल चुके हैं। हम सब बोल चुके हैं। बार-बार इन मुद्दों पर बोलते हैं कि साहब, इनपुट कॉस्ट बढ़ गया है।
डीएपी, डीजल और जो तमाम कृषि उपकरणों पर जीएसटी लगाया आपने। प्री कोविड जो हुआ, हम सबने देखा। ड्यूरिंग कोविड जो हुआ, हम सबने देखा। पोस्ट कोविड की कोई तैयारी नहीं थी, वो आज दिख रहा है। 30 नवम्बर को मुफ्त अनाज योजना भी बंद हो जाएगी। ये आपकी तैयारी है, पोस्ट कोविड को डील करने की। कोविड के बाद, जब लोग अपनी बची हुई जिंदगी को समेटने का प्रयास कर रहे हैं, अपनी अर्थव्यवस्था सुधारने का प्रयास कर रहे हैं, उस वक्त तो उनको सहारे की सबसे ज्यादा जरुरत है और आप उस वक्त हाथ खींच रहे हैं। तो बड़े दर्द के साथ हम बार-बार ये मुद्दे उठाते हैं और आप सबसे निवेदन करते हुए उठाते हैं कि साहब, इन्हीं मुद्दों पर रखिए, राजनैतिक संवाद को, क्योंकि यही मुद्दें हैं, जो लोगों के काम आने वाले हैं। यही मुद्दे हैं, जो लोगों को दुख पहुंचा रहे हैं। यही मुद्दे हैं, जिन पर आधारित होकर लोग अपना वोट तय करेंगे कि किसको देना है, किसको नहीं देना।
वो तमाम लोग ठगा हुआ महसूस करते हैं, जब सुबह दूध खरीदते हैं, सब्जी खरीदते हैं, फल खरीदते हैं, तेल खरीदते हैं। तेल और टमाटर और प्याज, आलू में तो आपस में जैसे प्रतियोगिता चल रही है कि मैं आगे जाऊँगा, नहीं, मैं आगे जाऊँगा। वो तमाम लोग ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं आज। सुबह से शाम तक हम और आप जब संघर्ष करते हैं और फिर खबर आती है कि रेडीमेड कपड़ों पर और चप्पल पर भी, ये वही चप्पल है, जिसको पहनकर मोदी जी कहते थे, हवाई जहाज में यात्रा की जाएगी, चप्पल पर भी जीएसटी 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया जाता है। सुना है, ज्वैलरी पर भी होने वाला है। आप बताइए कि अगर इस तरह से इन उत्पादों पर जीएसटी इतना बढ़ा दिया जाएगा, तो चोरी बढ़ेगी या घटेगी? ब्लैक इकॉनमी बढ़ेगी या घटेगी?
मोदी के साथ समस्या ये है कि उनको अपनी गलती का एहसास एक साल बाद होता है और फिर उस गलती को ढकने के लिए दूसरी गलती कर देते हैं। तो सात साल का, मोदी जी का जो कारवां है, गलतियों का एक सिलसिला मात्र हैं, उससे आगे कुछ नहीं। किसानों के बिल लाए, एक साल बाद समझ आया जाकर कि गलत था। अब फिर कोई गलती कर देंगे ताकि पिछली गलती को हम याद न रख सकें। लेकिन उन सात सालों की गलती का जो खामियाजा है, वो मुझे, आपको, हम सब, मध्यम वर्ग के लोग हैं, मध्यम वर्ग के नीचे के लोग हैं, उन सबको भुगतना पड़ेगा।
जिन लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर सरदार मनमोहन सिंह ने उठाया था, वो तो वापस गरीबी रेखा के नीचे गिर ही गए और भी नई एक खेप तैयार हो गई, गरीबी रेखा के नीचे की। ये है मोदी जी की गलतियों का सिलसिला और ये है उन गलतियों का खामियाजा, जो हमें और आपको भुगतना पड़ रहा है। इसलिए इस प्रेस वार्ता का मुख्य उद्देश्य यही है कि हम अपनी तरफ से जो हमारा फर्ज है, जो हमारा धर्म है, वो निभाएंगे। इन मुद्दों पर आपका ध्यान, देश का ध्यान, समूचे विपक्ष का ध्यान लाएंगे, और हो सकता है कि शायद सरकार का भी ध्यान जाए।
असली समस्या पेट्रोल-डीजल, खाने का तेल, टमाटर, भिंडी, आलू, बड़ी अनरोमांटिक बातें कर रहा हूँ मैं, इसमें कोई ग्लैमर नहीं है राजनीति का। माफ कीजिएगा, वो है भी नहीं, पोएट्री नहीं है, प्रोज है। साहित्य है, बोरिंग लगता होगा, लेकिन हकीकत जिंदगी की यही है। इसलिए अगर आपको कोई उम्मीद हो कि इस मंच से कोई लुभावनी बातें होंगी तो माफ कीजिएगा, कांग्रेस नहीं है। लुभावनी बातों के लिए आपके पास हैं, मोदी जी, वहाँ जाइए, लेकिन कांग्रेस कड़वी हकीकत आपके सामने रोज रखेगी। जैसे की रखती आई है, आगे भी रखेगी। 2024 में नतीजे बदलेंगे, ये पूरी उम्मीद है हमें। क्योंकि आज लोगों को एहसास हो रहा है कि जो आदमी अचानक आकर बोल देता है, साहब, तपस्या में कमी रही होगी। साहब, कमी तो बहुत जगह रही आपकी। देश को समझ में आ गया है, कहाँ-कहाँ कमी रही है और आज भी गुरुर देखिए, घमंड देखिए कि तपस्या में कमी रही कि कुछ किसानों को नहीं समझा पाया। कहाँ हैं, पन्ना प्रमुख? क्यों नहीं समझा पाए? वो सिर्फ वोट लेने के लिए हैं क्या? नोटबंदी से शुरु हुआ वो सिलसिला आज यहाँ आकर हम खड़े हैं, जहाँ दिन का खर्च चलाना संभव नहीं है, छोटे शहरों में, बड़े शहरों में, गांव- देहात में सब जगह। अगर आप हॉर्टिकल्चर प्रोड्यूस का आंकड़ा देखेंगे, तो आपको समझ में आएगा कि उत्पादन कम हुआ है, कुछ प्रोडक्ट्स का, कुछ कमोडिटीस का। वो क्यों कम हुआ है, इसकी तह तक हमें जाना होगा। कभी खबर आती है कि टमाटर फेंक दिए किसानों ने, उनको कीमत नहीं मिलती और यहाँ 100, 120 रुपए में बिक रहा है। आज किसान मजबूर है कि उसके पास इनपुट कॉस्ट के लिए पैसे नहीं हैं, वो उगाना नहीं चाहता, ये स्थिति पैदा हो गई हैं। किसका हित साधने के लिए मोदी ये काम कर रहे हैं?
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