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कोंग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेट ने एआईसीसी मुख्यालय में मीडिया को संबोधित किया।

श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सबको मेरा नमस्कार। आम तौर पर हम रोज़ इस मंच के माध्यम से जनता के मुद्दे आपके सामने लेकर आते हैं। पर आज हम एक अलग विषय लेकर आपके सामने आए हैं और विषय है– हम सबके कर्तव्य का, हम सबकी ज़िम्मेदारी का। सरकार का अपना एक कर्तव्य है, उसकी अपनी एक ज़िम्मेदारी है, वो उसका किस तरह से निर्वहन कर रही है, इसका निर्धारण जनता करेगी, हम सबके सामने विदित है। जनता का कर्तव्य है जनमत से सरकार चुनना और उन्होंने एक सरकार चुनी है, उनको निर्धारण करना है कि सही निर्णय है कि गलत निर्णय है। विपक्ष का काम है सरकार को घेरना, सरकार से कड़े सवाल पूछना और लोगों की और वंचित लोगों की आवाज बनना और मुझे लगता है कि विपक्ष एक अच्छा काम कर रहा है।

By: Press Release
Congress spokesperson Supriya Shrinate addressed the media at AICC Headquarters.

 

कोंग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेट ने एआईसीसी मुख्यालय में मीडिया को संबोधित किया।

मीडिया बाइट के मुख्य बिंदु

 

श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सबको मेरा नमस्कार। आम तौर पर हम रोज़ इस मंच के माध्यम से जनता के मुद्दे आपके सामने लेकर आते हैं। पर आज हम एक अलग विषय लेकर आपके सामने आए हैं और विषय है– हम सबके कर्तव्य का, हम सबकी ज़िम्मेदारी का। सरकार का अपना एक कर्तव्य है, उसकी अपनी एक ज़िम्मेदारी है, वो उसका किस तरह से निर्वहन कर रही है, इसका निर्धारण जनता करेगी, हम सबके सामने विदित है। जनता का कर्तव्य है जनमत से सरकार चुनना और उन्होंने एक सरकार चुनी है, उनको निर्धारण करना है कि सही निर्णय है कि गलत निर्णय है। विपक्ष का काम है सरकार को घेरना, सरकार से कड़े सवाल पूछना और लोगों की और वंचित लोगों की आवाज बनना और मुझे लगता है कि विपक्ष एक अच्छा काम कर रहा है।

 

सरकार निरंतर विपक्ष के सवालों को दबाने का प्रयास करती है और कहीं ना कहीं इस प्रयास में मुझे दुख होता है ये कहते हुए क्योंकि मैं इसी जगत से आई हूं, कहीं ना कहीं इस प्रयास में मीडिया के कुछ लोगों का कठपुतली की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, क्योंकि मीडिया की भी अपनी ज़िम्मेदारी है। मीडिया लोगों की आवाज़ बनती है, मीडिया सशक्त विपक्ष की आवाज़ बनकर हर दौर में विपक्ष की आवाज़ को मजबूत करने का काम मीडिया करती है और मीडिया चुनी हुई सरकार को आइना दिखाती है। लेकिन मीडिया के कुछ लोग ऐसा नहीं कर रहे हैं और पत्रकारिता के नाम पर एक गोरख धंधा चल रहा है।

 

मैं मीडिया पर टिप्पणी नहीं करना चाहती, क्योंकि हम सब अपने अंतःकरुण में जानते हैं कौन कितने पानी में है, कौन क्या कर रहा है। लेकिन कल शाम को एक लाइव टी.वी. डिबेट पर बड़े दुर्भाग्यपूर्ण और अभद्र शब्दों का प्रयोग हुआ। तो मीडिया के कुछ लोगों को भी ये जवाब देना पड़ेगा कि क्या आप कुछ कठपुतली बनकर सरकार के एजेंडे को चलाने में अभी तक काम कर रहे थे? अब क्या आप सरकार की कठपुतली बनकर विपक्ष के नेताओं को गालियां दीजिएगा, अभद्र शब्दों का प्रयोग करिएगा और कल जो लाइव टी.वी. के डिबेट पर हुआ, वो दुर्भाग्यपूर्ण था, वो मीडिया पर धब्बा है और हम उसकी घोर निंदा, भर्त्सना करते हैं। क्योंकि ये देश का इतना बड़ा मीडिया समूह है और ये इस कदर ज़हर उगल रहा है और ये आज से नहीं, ये पहली बार नहीं है कि ऐसा कहा गया है, ये सालों से कहते आ रहे हैं। ये जो विभाजन का काम, ये जो ज़हर घोलने का काम हो रहा है, ये अकेले नहीं हैं। मीडिया के और भी कुछ साथी हैं जो जानते हैं कि वो क्या कर रहे हैं और वो जानबूझ कर ये कर रहे है।

 

 

दिक्कत की बात ये है कि 7 साल से जिसके हाथ में सरकार है, जिसके हाथ में सत्ता है, जिसके हाथ में एजेंसी है, जिसके हाथ में पावर है, उससे सवाल नहीं होगा, सवाल आज भी विपक्ष से होगा और हमें कोई आपत्ति नहीं है और कड़े सवाल पूछिए। आप विपक्ष से जितने चाहे सवाल पूछिए, क्योंकि हम सवालों से आना-कानी नहीं करेंगे, हम सवालों से भागेंगे नहीं। मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन सवाल तो बदहाली पर, सवाल बेरोज़गारी पर, सवाल महंगाई पर, सवाल महिला सुरक्षा पर, इन सब मुद्दों पर भी तो पूछना पड़ेगा। सवाल कौन से पूछे जाते हैं, जो वॉटसअप यूनिवर्सिटी के माध्यम से भक्त पढ़कर आते हैं और वॉटसअप के माध्यम से जो तथाकथित कुछ एंकर को, कुछ एडिटर को सवाल पहुंच जाते हैं, क्योंकि ये महज संयोग नहीं है कि सारे ही डिबेट एक ही टॉपिक पर होते हैं। डिबेट तो हमने भी बड़े किए टी.वी. चैनल पर।

 

कहीं पर मीडिया की अपनी साख, मीडिया की अपनी विश्वसनीयता पर जब ये सवाल उठता है तो ज़रुर मैं इस मंच के माध्यम से, चाहे वो एडिटर गिल्ड हो, चाहे वो न्यूज़ ब्रॉड कास्ट एसोसिएशन हो, जिसके अध्यक्ष रजत शर्मा जी हैं, मैं ये आह्वान करती हूं कि आप जो शब्द कल बोले गए, उसके बारे में क्या टिप्पणी करते हैं? आप इसके बारे में क्या राय रखते हैं? आप इस पर कोई कार्यवाही करिएगा या नहीं करिएगा? ये जहर कब तक निरंतर कुछ पत्रकार, जो सरकार के नुमाईंदे बनकर पत्रकारिता का ढोंग करते हैं, वो कब तक ये करते रहेंगे जहर घोलने का काम, विभाजन का काम, सरकार के एजेंडे को चलाना, असली मुद्दों से ध्यान भटकाना, सही मुद्दों को ना उठाना? ये कब तब होता रहेगा और कब तक इस पर कार्यवाही की  जाएगी?

 

 

मैं फिर से एक बार अंत में बस इतना ही कहूंगी कि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा प्रहरी कहा गया है। मैं मीडिया का बहुत सम्मान करती हूं, खुद मीडिया जगत से आई हूं और मुझे लगता है मीडिया की आज के वक्त में एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। लेकिन सरकार के नुमाईंदे बनकर जो पत्रकारों के भेष में घूम रहे हैं, वो गलत कर रहे हैं। लेकिन ये सिर्फ कठपुतली हैं, सरकार को अपना एजेंडा चलवाने के लिए। सरकार अब इनके माध्यम से विपक्ष के साथ अभद्रता, गाली गलौच तक अब करवा रही है। लेकिन जो इस मीडिया समूह के मालिक हैं, जो प्रबंधन कर्ता हैं, उनसे मैं पूछना चाहती हूं कि आपका इंस्टीट्यूशनल स्टैंड इस मुद्दे पर क्या है? अभी तक कोई भी इस ग्रुप का नहीं आया है, वो क्यों नहीं आया है, इस ग्रूप का इंस्टीट्यूशनल स्टैंड इस पर क्या है?

 

 

मैं फिर से अपनी बात खत्म करने से पहले जो कल टिप्पणी हुई, उसकी निंदा, भर्त्सना करती हूं, क्योंकि ये पतन का परिचायक है। ये परिचायक है कि कैसे कठपुतली बनते-बनते आप इतने मोहरा बन गए हैं सरकार के हाथों में। ये गलत है। आपको विपक्ष की आवाज बनना चाहिए, आपको आम आदमी की आवाज बनना चाहिए। आप आवाज सिर्फ चुनी हुई सरकार की बने हुए हैं।

 

 

Smt. Supriya Shrinate said- Yesterday, what happened on a show, by a prime time television anchor on one of the largest media channels, is ghastly, it’s lewd, it’s deplorable, I can use many-many words for that, but, it is a sign of the depth to which some in the media are willing to stoop to keep their political masters happy.

 

 

You have merely become a puppet in the hands of the elected government. You never questioned them, you only run their agenda, but, now you are stooping to a new low by name calling, members of the opposition and leaders of the opposition, where will this stop and through this platform, I would want to ask the ‘Editors Guild’, I would want to ask the ‘News Broadcasters Association’, what are you willing to do? Will you take action or not take action and I also want to say very categorically that these anchors and editors are merely puppets in the hands of the ruling BJP, but, what about the owners, what about the CEOs, what about the people who manage these groups? Are they going to make their institutional stand clear, because, I hope they will and I hope they do not stand for name calling of the opposition?

 

Media is the forth pillar of democracy and some in the media are willing to stoop low and bring shame to a profession that I have the highest regard for and all of you have the highest regard for.

I do believe that no words can express our disappointment and how ghastly, we feel about the words being used. It is not just an apology that is going to work online, it was said on AIR. We expect an apology, but, we also expect the institution to make its stand clear? What is the stand of India’s largest media group on this, which is the owner and promoter of this channel? What is the stand of the CEOs, the MDs of that group, we really would want to know.   

 

 

एक प्रश्न पर कि एक चैनल को सरकार ने लाइसेंस देने से मना कर दिया है, क्योंकि वह चैनल असम की निष्पक्ष खबरें दिखा रहा था? श्रीमती श्रीनेत ने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि निष्पक्ष पत्रकारिता करना पत्रकारों का दायित्व है। निष्पक्ष पत्रकारिता करने के लिए हम सब पत्रकार बने हैं और आज अगर निष्पक्ष पत्रकारों को दरकिनार कर चरण वंदन करने वालों को प्रमोट किया जाएगा, चरण वंदन करने वालों की तूती बोल रही है, वो आपको कहीं ना कहीं जो मीडिया में पत्रकारों के भेष में घूमते हुए भाजपा के नुमाईंदे हैं, उसको दर्शाता है। चाहे वो आपका लाइसेंस हो या और भी बहुत सारे निष्पक्ष पत्रकारों का लाइसेंस हो, निष्पक्ष पत्रकारिता पर बड़े सवाल खड़े करना, उनके खिलाफ देशद्रोह के मुकदमें ठोक देना, उनको जैसा आपने कहा लाइसेंस ना देना, उनको अपने फ्रंटल ईडी, सीबीआई, इंकम टैक्स से रेड करवाना। ये एक प्रचलन सा हो गया है इस सरकार में। मुझे तो लगता है कि आज अगर ये सरकार आपके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा करती है और आप पत्रकार हैं, You should wear that like a badge of honour, because, It means, you are doing your job right. If you were not doing your job right, you will get a WhatsApp message from the PMO which will tell you to do the show, ask the questions, put on the asters, put on the supers, because that is what is happening in some sections of the media, but, where will this end? This divisive agenda will have to end at some point in time.

 

 

एक अन्य प्रश्न पर कि इमरान मसूद जी के बयान पर क्या कहेंगी? श्रीमती श्रीनेत ने कहा कि मैंने इमरान मसूद जी का ये बयान ना देखा है, ना सुना है, ना पढ़ा है। मैं आपके माध्यम से सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि उत्तर प्रदेश में अगर किसी ने एक सशक्त भूमिका निभाई है विपक्ष की, तो वो कांग्रेस पार्टी है। वो प्रियंका गांधी जी के नेतृत्व में निभाई गई है, चाहे वो कोरोना काल का कुप्रबंधन हो, चाहे वो अधिवक्ताओं की समस्या हो, चाहे वो आंगनवाड़ी की समस्या हो, चाहे वो आशा बहुंओं की समस्या हो, चाहे वो बेरोजगारों की समस्या हो, चाहे वो किसानों की समस्या हो, जितने मुखरित होकर इसको प्रियंका गांधी जी ने उठाया है, उतना किसी और विपक्ष ने नहीं उठाया है। मुझे ऐसा लगता है कि बाकी विपक्ष अभी भी उत्तर प्रदेश के चुनाव 15 से 16 हफ्ते दूर हैं, काफी शिथल नजर आता है। ये इमरान मसूद जी का शायद पर्सनल ओपिनियन हो सकता है, मुझे पता नहीं है कि उन्होंने ये कहा है भी या नहीं, लेकिन अगर आप ये कह रहे हैं, तो मैं सिर्फ इतना ही कहूंगी कि उत्तर प्रदेश में जितनी सशक्त विपक्ष की भूमिका हमने निभाई है, इसका प्रमाण है कि जब-जब हम कुछ बोलते हैं योगी सरकार के खिलाफ, उनको कटघरे में खड़ा करते हैं, उनसे सवाल पूछते हैं, तो उनको कांग्रेस पार्टी से बड़ी तिलमिलाहट, बड़ी आपत्ति होती है। अगर हम सशक्त विपक्ष ना होते, तो इतनी आपत्ति ना होती।

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