कानपूर गैंग रेप पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि देवों के देव महादेव सद्बुद्धि दें सरकार में बैठे लोगों को और हमारी महिलाओं को सुरक्षित बनाए। मैं यही आशा करती हूं, आज दो मामले हैं। पहला मामला मेरे गृह क्षेत्र उत्तर प्रदेश का है, तो पहले उस पर बात करेंगे। क्योंकि अभी कुछ ही दिन पहले बड़े ताम-झाम से महिला दिवस मनाया गया था। खैर, मेरा तो ये मानना है कि एक ही दिन महिलाओं का नहीं होता है, ये पूरा साल हमारा है और हमारी शक्ति को कम आंकना गलत होगा। खैर, महिला दिवस मनाया गया, नारी शक्ति का आह्वान हुआ और उसके बाद, एक के बाद एक खबर जो उत्तर प्रदेश से महिलाओं के दमन की, बढ़ते हुए अपराध की आती है, वो सभ्य समाज के नाम पर एक धब्बा है और ये सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
उन्नाव, शाहजहांपुर, हाथरस, लखीमपुर, बाराबंकी और अब कानपुर। एक 13 साल की बच्ची का गैंग रेप होता है। उसके पिता एफआईआर करते हैं और उन्हीं को कुचल कर मार दिया जाता है। आपको याद है, उन्नाव में भी ऐसा ही हुआ था, ऐसा क्यों होता है? पहले तो पीड़िता के साथ जघन्य अपराध कर दो और फिर उसको थोड़ा बहुत हक दिलाने की लड़ाई लड़ने वाला हो, उसको भी मार डालो? हर साक्ष्य खत्म कर दो और ये बिल्कुल भी चौंकाने वाली बात नहीं है कि जो मुख्य अभियुक्त हैं, उनके पिता जी उत्तर प्रदेश में पुलिस अधिकारी हैं। तो ना पैरवी होगी, ना दोषियों को सजा मिलेगी और महिलाओं के खिलाफ अपराध निरंतर बढ़ता चला जाएगा।
एक 13 साल की बच्ची का गैंग रेप अपने आप मे दिल दहलाने वाली घटना है। लेकिन योगी जी के मुँह से एक शब्द नहीं फूटता है। अमित शाह जी के मुँह पर चुप्पी है, प्रधानमंत्री मोदी जी बिल्कुल चुप रहते हैं और इन सब लोगों की चुप्पी निंदनीय ही नहीं है, ये कहीं ना कहीं सवाल उठाती है, इनके आडंबर और ढोंग पर, जो महिलाओं के नाम पर नारी शक्ति इत्यादि नारों से रचे जाते हैं और इनकी चुप्पी जो है, जिसे मैं सुई बटे सन्नाटा कहती हूं, Pin drop silence. वो महिला सुरक्षा के लिए बहुत घातक है। योगी जी के पास वक्त है मालदा जाकर वोट मांगने का। वो बंगाल जाकर कहते हैं कि अपराध मुक्त हो जाएगा बंगाल। आपकी नाक के नीचे जो अपराध हो रहा है, आपकी नाक के नीचे जो अराजकता है, उससे आप उत्तर प्रदेश को कब मुक्त करिएगा?
और ये सच है कि ये एक स्क्रिप्ट है और ये बार-बार रिपीट होती है। पहले महिलाओं के खिलाफ अपराध होता है। उसके बाद उसको छुपाने के, उनके साक्ष्य मिटाने की कोशिश होती है। कुछ नहीं है तो जो पैरवी करने वाला भाई या बाप है, उन्हीं को मार दिया जाता है। पूरी की पूरी भक्त मंडली, सूचना सलाहकारों की मंडली, आला पुलिस अधिकारी, गवर्मेंट सब लग जाते हैं उत्तर प्रदेश में, महिला के पहले तो प्रूव करने में कि रेप हुआ ही नहीं है और फिर उसका चरित्र हनन करने में, उसका करेक्टर एसेसिनेशन होता है और उसके बाद जब ये सब होने के बावजूद फिर भी साबित हो जाता है कि नहीं, रेप हुआ है, तो मुँह में दही जम जाती है। क्या हुआ था हाथरस में, वही कानपुर में हो रहा है। एक भी शब्द हमें अभी तक सरकार से सुनाई नहीं दिया है।
मुझे ऐसा लगता है कि इन सब चीजों का जो मूल है, वो उत्तर प्रदेश की सरकार से ही निकलता है। भाजपा ने 2017 में 312 सीट जीती थीं। उनके 114 विधायकों के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं, जिसमें से 82 के खिलाफ जघन्य अपराध के मामले दर्ज हैं, जैसे कि रेप और मर्डर जैसे मामले दर्ज हैं।
खैर, मुझे ऐसा लगता है कि लड़कियों के खिलाफ अपराध के इस बढ़ते ग्राफ को देखकर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ जी को कोई तो नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। एक शब्द तो बोलिए, एक शब्द नहीं बोलते हैं। गृहमंत्री अमित शाह जी या तो निर्वाचित सरकारों को गिराने में या ध्रुवीकरण करने में इतने व्यस्त हैं कि उनके पास वक्त ही नहीं है महिला सुरक्षा पर बोलने का। अगर दिल नहीं दहल रहा है तो मोदी जी एक शब्द तो बोल दीजिए, इसको संज्ञान में तो ले लीजिए, ये बड़ा मामला है।
लेकिन मुझे सबसे बड़ा दुख उनकी चुप्पी पर होता है, जो उत्तर प्रदेश से सांसद हैं एवं बाल और महिला विकास मंत्रालय की मंत्री हैं। आपने क्यों आंखों पर पट्टी बांध ली है, क्यों मुँह में दही जमा लिया है? क्या सत्ता का सुख और लोभ हमारी महिलाओं की पीड़ा, उनके दर्द, उनकी सुरक्षा से ज्यादा बढ़कर है? मेरा सिर्फ अपना मानना है कि इस बेटी के परिवार के साथ न्याय होना चाहिए।
हम मांग करते हैं कि इस पूरे मामले की न्यायिक जांच हो, उनको उचित मुआवजा दिया जाए। जिन दोषियों ने ये कुकृत्य किया है, उनको जल्द से जल्द कड़ी सजा मिले और जिन लोगों ने एक पिता की हत्या की है। साक्ष्य और विटनेस और पैरवीकार करने वालों को रास्ते से हटाने की कोशिश की है, उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए। कभी तो इस उत्तर प्रदेश की सरकार का मरा हुआ जमीर जागेगा और उसी दिन महिलाओं की सुरक्षा का मामला शायद उनके लिए प्राथमिकता बनेगा।
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