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100 साल के बाद सामने आयी भगत सिंह के खिलाफ FIR की कॉपी, पाकिस्तान में उठी निर्दोष साबित करने की मांग

उर्दू भाषा में हुयी थी FIR, लगभग 100 साल के बाद पाकिस्तानी चैनल के अनुसार इस बात की आशा है कि भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को इंसाफ मिले और उनको अंग्रेज अफसर की हत्या में निर्दोष ठहराया जाए. एक पाकिस्तानी चैनल के अनुसार 17 दिसंबर 1928 को शाम 7:00 बजे लाहौर के थाना अनारकली में जो एफ आई आर दर्ज की गई थी और जिसके बाद भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी दी गई और इस तरह वह हमेशा के लिए शहीद होकर अमर हो गए उसमें उनका नाम ही नहीं है.

By: वतन समाचार डेस्क

 

 

100 साल के बाद सामने आयी भगत सिंह के खिलाफ FIR की कॉपी, पाकिस्तान में उठी निर्दोष साबित करने की मांग

उर्दू भाषा में हुयी थी FIR

 

नयी दिल्ली: लगभग 100 साल के बाद पाकिस्तानी चैनल के अनुसार इस बात की आशा है कि भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को इंसाफ मिले और उनको अंग्रेज अफसर की हत्या में निर्दोष ठहराया जाए. एक पाकिस्तानी चैनल के अनुसार 17 दिसंबर 1928 को शाम 7:00 बजे लाहौर के थाना अनारकली में जो एफ आई आर दर्ज की गई थी और जिसके बाद भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी दी गई और इस तरह वह हमेशा के लिए शहीद होकर अमर हो गए उसमें उनका नाम ही नहीं है.

 

 

 भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के अध्यक्ष इम्तियाज़ रशीद ने पाकिस्तानी चैनल को बताया कि शहीद भगत सिंह सदियों का हीरो है. उन्होंने बताया कि हमारे अब्बू यहां सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं और हमारे दादा जो कांग्रेस पार्टी से फिरोजपुर में प्रधान हुआ करते थे उनसे हम भगत सिंह और उनकी बहादुरी के किस्से सुना करते थे.

 

 

उनका कहना था कि हमारे पूर्वजों को अट्ठारह सौ सत्तावन 1857 की जंग में अंग्रेजो के खिलाफ लड़ने के कारण फांसी दी गई थी. उन्होंने बताया कि हमने 2013 में लाहौर हाई कोर्ट में रिट पिटीशन फाइल की जिसमें हम ने अदालत को बताया कि शहीद भगत सिंह की f.i.r. को सामने लाया जाए और भगत सिंह और उनके साथियों के साथ इंसाफ किया जाए. उन्होंने कहा कि जस्टिस शुजाअत अली खान की सिंगल बेंच (लाहौर हाई कोर्ट) ने हम से सहमति प्रकट की और उसके बाद मामले को चीफ जस्टिस लाहौर को रिफर कर दिया.

 

 

 उन्होंने कहा कि उसके बाद खालिद महमूद खान की डबल बेंच DB ने इस मामले को सुना, जिसमें हम ने दलील दी कि फांसी का फैसला 3 जजों की बेंच से हुआ था इसलिए इसमें 5 या उससे अधिक जज रखे जाएं, तभी इन्साफ होगा. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि 2013 के बाद 2016 में यह फैसला आया और अब एक बार फिर चीफ जस्टिस लाहौर को खालिद महमूद की डबल बेंच ने मामले को रेफर कर दिया है और हमें उम्मीद है कि एक संवैधानिक बेंच इस मामले को सुनेगी और हमें न्याय मिलेगा.

 

 

 ज्ञात रहे कि भगत सिंह और उनके साथियों के खिलाफ जो अज्ञात नाम से एफआइआर की गई थी उसमें उनका नाम ही नहीं है और बड़ी बात यह है कि f.i.r. उर्दू भाषा में लिखी गयी है और FIR पुलिस ने आर्काइव से निकालकर उस की कॉपी अदालत को पेश भी कर दी है. अब देखना यह है कि इस पूरे मामले में लाहौर हाई कोर्ट क्या फैसला सुनाता है. इस पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं और भगत सिंह जैसे हीरो को न्याय दिलाने के लिए इम्तियाज रशीद और भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन की दुनिया भर में प्रशंसा हो रही है और लोग इस वीडियो को जमकर सोशल मीडिया पर वायरल भी कर रहे हैं.

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