अगर अधिकारी सोचते हैं कि वह बीमार नहीं होंगे तो यह उन कि भूल है. उन्हें गरीब कि आह अपनी चपेट में ले सकती है और फिर वह सरकार हो या अधिकारी या फिर मंत्री सब को गरीबों कि आह और फिर क़ुदरत के फैसले का इंतज़ार नहीं करना चाहिए इस से पहले अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करनी चाहिए.
मोहम्मद अहमद
नई दिल्ली, 24 दिसम्बर। राजधानी दिल्लीवासियों को कुछ समय से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, सरकार है कि वायु प्रदुषण पर कोई ध्यान नहीं दे रही है और जनता है कि किसी न किसी बहाने खूब पटाखे फोड़ती है चाहे वह शादी का बहाना हो या कोई और, फिर अपनी बर्बादी के सामान जनता खुद ही इकठ्ठा करती है. सरकार क्यों ध्यान दे जब उसे भी लगता है कि जनता हिन्दू मुस्लिम और भक्ति में खुश है फिर चाहे वह प्रदेश कि सरकार हो देश की.
बात स्वच्छ भारत कि हो रही है और दिल्ली का वायु प्रदुषण आदमी को बीमार कर रहा है. ऐसे में स्वच्छता के क्या माने रह जाएंगे यह सरकार को खुद ही तलाशना होगा.
सर्दी के साथ दम घोटने वाली वायु प्रदुषण भी लौट आया है। रविवार को साल में दूसरी बार प्रदूषण का स्तर सबसे से ज्यादा रहा है, जिसे देखते हुए संबंधित विभाग के अधिकारों नें दिल्लीवासियों को सलाह दी है अगर बहुत जरूररी काम हो तभी घर से बाहर निकले। वहीं अधिकारियों ने कहा है कि अभी कुछ दिनों तक दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का स्तर गंभीर श्रेणी में बनी रह सकता है।
इस संबंध में सीपीसीबी ने एक बैठक की है कि कैसे दिल्ली में वायु प्रदूषण के पीएम 2.5 गंभीर एंव आपात श्रेणी के प्रदूषण को कम किया जा सके? अगर पीएम 2.5 काफी लंबे समय से रहा तो कैंसर जैसी बीमारी के साथ अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। उच्चतम न्यायालय द्वारा बनाई गई कमेटी पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण ने बैठक में सिफारिशे दी है जिसमें एजेंसियों को कहा गया है कि वह पहले से तय किए गए उपायों को लागू करने के लिए जमीनी स्तर पर कार्रवाई में तेजी लाएं.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 हो तो गंभीर की श्रेणी में आता है। यह साल में दूसरी बार है जब प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा रहा है। इससे पहले दीवाली के अगले दिन यानि 8 नवंबर को सबसे ज्यादा प्रदूषण था। उस दिन एक्यूआई 571के करीब पहुंच गया था।
खासतौर पर गाड़ियों के उत्सर्जन और बायोमास जलाने पर लगाम लगाएं। और जहां औद्योगिक कचरा डाला जाता है या जलाया जाता है। इसके साथ ही पानी का छिड़काव किया जाए। भारतीय मौसम विभाग ने बताया कि कम हवा चलने और कम तापमान का दौर अगले तीन-चार दिन जारी रहेगा।
इस वजह से प्रदूषकों का छितराव नहीं होगा और अगले दो-तीन दिन तक वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी रह सकता है।
अब सवाल यह है कि क्या सरकार और एजंसियां समस्या के समाधान के लिए गंभीर हैं या फिर सिर्फ सब एक दूसरे के सर पर डाल कर अपनी ज़िम्मेदारी से बचना चाहते हैं, और इसी तरह अधिकारी अपनी भी बर्बादी के सामान खुद तलाश रहे हैं?
अगर अधिकारी सोचते हैं कि वह बीमार नहीं होंगे तो यह उन कि भूल है. उन्हें गरीब कि आह अपनी चपेट में ले सकती है और फिर वह सरकार हो या अधिकारी या फिर मंत्री सब को गरीबों कि आह और फिर क़ुदरत के फैसले का इंतज़ार नहीं करना चाहिए इस से पहले अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करनी चाहिए.
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