देशभर में 60 लाख खाली सरकारी पदों को तुरंत भरा जाये
राष्ट्रीय रोजगार नीति कानून संसद में पास करके सभी देशवासियों को रोजगार की गारंटी दी जाये।-कृष्णा यादव
संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति के बैनर तले रोजगार आंदोलन के तहत 26 नवंबर को सुबह 10 बजे से राष्ट्रव्यापी सामूहिक उपवास का आयोजन हुआ
रोजगार आंदोलन स्थल, फैकल्टी ऑफ़ आर्ट्स, दिल्ली विश्वविद्यालय में हुआ सामूहिक उपवास का आयोजन-अनुराग निगम
आंदोलन स्थल से आंदोलनकरियो को पुलिस ने जबरन हटाया
आज हमारा देश बेरोज़गारी की मार झेल रहा है बड़ी-बड़ी डिग्रियों लेकर भी युवा आज काम के लिए दर-दर भटक रहे हैं। रोज़गार का नया सृजन करना तो दूर देश भर में लाखों खाली पड़ी सरकारी वैकेंसी पर भर्ती नहीं की जा रही है। जहां भर्ती हो भी रही है, ठेकेदारी व्यवस्था के तहत हो रही है, जहाँ मिनिमम वेज इतना कम है कि जिससे काम करने के बावजूद भी लोगों को सम्मानपूर्वक जीवन जीना मुश्किल हो रहा है। प्राइवेट सेक्टर में भी रोजगार के नए अवसर पैदा होने की जगह छटनी की तलवार लोगों के सर मंडरा रही है।
पिछले दिनों पूरे देश ने देखा कि युवाओं के द्वारा उत्तर प्रदेश , दिल्ली , महाराष्ट्र , बिहार, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में रेलवे, SSC, UPSC, सेंट्रल पुलिस फोर्स , RRB NTPC, अग्निपथ योजना एवं राज्यों की विभिन्न भर्तियों को लेकर आंदोलन हुए. प्रदर्शन-कारियों ने आरोप लगाया कि तनाशाह सरकार द्वारा बातचीत करने के बजाय युवाओं के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया गया। देश के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून बनवाने के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं। जहाँ तक देश की आधी आबादी महिलाओं का प्रश्न है, उनकी आर्थिक मजबूती के लिए सरकार के पास कोई कार्ययोजना नहीं है।
देश में अलग अलग विभागों में लगभग 60 लाख सरकारी पद खाली है। जिसपर सरकार भर्ती नहीं निकाल रही है। ऐसा लगता है कि सरकार रोजगार को लेकर गंभीर नहीं है| बेरोज़गारी की समस्या के समाधान के लिए भारत में आज़ादी के बाद जिस तरह की नीतियां बनाने की जरूरत थी, हमारी अब तक की सरकारों ने वैसी नीतियां नहीं बनाई। यही वजह है कि आज़ादी के सात दशक से ज्यादा वक्त गुज़र जाने के बाद भी हमारे देश में राष्ट्रीय रोजगार नीति नहीं बन पाई है। पहले से ही बेरोज़गारी की मार झेल रही हमारी अर्थव्यवस्था को कोरोना ने और अधिक चिंताजनक स्थिति में पहुंचा दिया। बेरोजगारी से त्रस्त छात्र, युवा, मज़दूर, किसान अपने अपने स्तर पर लगातार सरकार से बेरोजगारी के समाधान के लिए संघर्षरत हैं। परन्तु सरकार द्वारा कोई सकारात्मक कदम अबतक नहीं उठाया गया है।
देश की बात फाउंडेशन के आह्वाहन पर संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति के बैनर तले देशभर में 60 लाख खाली सरकारी पदों को तुरंत भरने एवं राष्ट्रीय रोजगार नीति कानून संसद में पास करके सभी देशवासियों को रोजगार की गारंटी दी जाये इस मांग के साथ रोजगार आंदोलन के तहत आगामी 26 नवंबर को सुबह 10 बजे से राष्ट्रव्यापी सामूहिक उपवास का आयोजन किया गया। दिल्ली में फैकल्टी ऑफ़ आर्ट्स में सामूहिक उपवास का आयोजन हुआ जिसमे विश्वविद्यालय के छात्र- छत्राएं, युवा एवं स्थानीय स्तर पर संघर्षरत संगठनो के सदस्यों ने हिस्सा लिया।
आंदोलन स्थल से आंदोलनकरियो ने आरोप लगाया कि पुलिस ने जबरन उनको हटाया और साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय के पास स्तिथ, मौरिस नगर पुलिस स्टेशन ले कर गए. उन्हों ने आरोप लगाया कि प्रशासन नहीं चाहता कि इस देश के युवाओं को इन्साफ मिले.
वहीं जंतर मंतर पर रीजनल पॉलीटिकल पार्टीज फ्रंट (RPF) की जानिब से संविधान बचाने को लेकर प्रदर्शन किया गया, जिसमें सैकड़ों पार्टियों के वक्ताओं ने संविधान बचाने और मनुस्मृति का विरोध करने की अपील की, जिस में इलियास आज़मी पूर्व सांसद, सावित्री बाई फुले, कोकराझार से सांसद, कमेरा पार्टी के साथ कई लोगों से हिस्सा लिया. इस मौके पर वक्ताओं ने सरकार की मनुवादी नीतियों का विरोध करते हुए कहा कि जिस तरह से आरक्षण को प्राइवेटाइजेशन के जरिए खत्म कर दिया गया है, वह अत्यंत दुखद है.
साथ ही यूपीएससी के छात्रों ने भी अपना विरोध संविधान दिवस के अवसर पर दर्ज कराया छात्रों की मांग थी कि उनको COVID के कारण उम्र में 2 साल की छूट दी जाए, उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में झूठ बोल रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को 100 से ज्यादा सांसदों ने भी पत्र लिखा है और साथ ही कई समितियों ने इसकी सिफारिश भी की है लेकिन उसके बाद भी सरकार सुनने को तैयार नहीं है.
छात्रों ने अपने प्रदर्शन को आगे भी जारी रखने की बात कही, इसके अलावा भी कई अलग-अलग प्रदर्शन जंतर मंतर और देश के अलग कोनों में किए गए, जिसमें संविधान को बचाने और रोजगार को रिस्टोर करने और खाली भर्तियों को पूरा करने के साथ लोगों ने अपनी अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया.
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