डॉ कफील खान पर लगाए गए NSA को तत्काल प्रभाव से रद्द करने और डॉक्टर कफील खान को तत्काल प्रभाव से रिहा करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक करार देते हुए इंडियन मुस्लिमस फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स ने उसका स्वागत किया है। इंडियन मुस्लिमस फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि फरवरी में नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत डॉ कफील खान को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन खुशी की बात यह है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में डॉ कफील खान को ना सिर्फ रिहा करने और एनएसए को तत्काल प्रभाव से रद्द करने का आदेश दिया, बल्कि उनके हिरासत को भी गलत करार दिया।
इम्पार ने अपनी प्रेस रिलीज में कहा है कि चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सुमित्रा दयाल सिंह की डिवीजन बेंच ने एनएसए को तत्काल प्रभाव से डॉ कफील खान के खिलाफ रद्द करने का आदेश दिया। ज्ञात रहे कि 13 फरवरी 2020 को अलीगढ़ के डीएम की ओर से डॉ कफील खान को डिटेन करने का आदेश दिया गया था। अदालत ने अपने फैसले में डॉक्टर कफील खान की डिटेंशन की अवधि को बढ़ाए जाने को भी गैरकानूनी करार दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि डॉ कफील खान के जरिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 13 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ दिए गए भाषण से यह वक्तव्य नहीं होता है कि उन्होंने सरकार या किसी कम्युनिटी के खिलाफ कोई भड़काऊ बात कही हो।
इम्पार ने अवैध रूप से किसी व्यक्ति को दोषी ठहराये जाने के लिए जवाबदेही और सजा की मांग की है, ताकि किसी व्यक्ति को बिना अपराध किए हिरासत में रखने का काम ना हो। इम्पार ने पीड़ित को यातना, गरिमा की हानि और परिवार को हुयी पीड़ा के लिए मुआवजा दिए जाने की भी अपील की है। इम्पार ने कहा है कि अथारिटी से इस बात की अपेक्षा करते हैं कि वह नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करेंगे, ताकि भविष्य में किसी को राजनीतिक या किसी और दुर्भावना के रूप में गिरफ्तार ना किया जाए और उसको प्रताड़ना ना झेलनी पड़े।
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