Hindi Urdu TV Channel

NEWS FLASH

अर्थव्यवस्था सब से बुरे दौर की ओर? जीडीपी में गिरावट से अमीर और गरीब को क्या होगा नुकसान ?

सुबह कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट करके बेरोजगारी पर चिंता प्रकट करते हुए असंगठित क्षेत्रों के महत्व को उजागर करने की कोशिश की और इसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी बताते हुए कहा आरोप लगाया कि भारत सरकार ने किस तरह से पहले नोटबंदी के जरिए से फिर गलत ढंग से जीएसटी और उसके बाद लॉक डाउन करके असंगठित क्षेत्रों पर प्रहार किया है और आज हालत यह है कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। इधर शाम को खबर आ गई कि जीडीपी में 29 पॉइंट 9 यानी 24 फीसद की गिरावट आई है। जीडीपी के आंकड़े आने के बाद राहुल गांधी ने फिर ट्वीट करके कहा कि जीडीपी 24 परसेंट गिरी स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे बड़ी गिरावट है।

By: वतन समाचार डेस्क
  • अर्थव्यवस्था सब से बुरे दौर की ओर? जीडीपी में गिरावट से अमीर और गरीब को क्या होगा नुकसान ?

सुबह कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट करके बेरोजगारी पर चिंता प्रकट करते हुए असंगठित क्षेत्रों के महत्व को उजागर करने की कोशिश की और इसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी बताते हुए कहा आरोप लगाया कि भारत सरकार ने किस तरह से पहले नोटबंदी के जरिए से फिर गलत ढंग से जीएसटी और उसके बाद लॉक डाउन करके असंगठित क्षेत्रों पर प्रहार किया है और आज हालत यह है कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। इधर शाम को खबर आ गई कि जीडीपी में 29 पॉइंट 9 यानी 24 फीसद की गिरावट आई है। जीडीपी के आंकड़े आने के बाद राहुल गांधी ने फिर ट्वीट करके कहा कि जीडीपी 24 परसेंट गिरी स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे बड़ी गिरावट है। 

सरकार का हर चेतावनी को नजरअंदाज करते रहना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कोरोना संकट की वजह से अप्रैल से जून की इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 23.9 फीसदी की ऐतिहासिक गिरावट आई है. जुलाई महीने में आठ इंडस्ट्री के उत्पादन में 9.6 फीसदी की गिरावट आई है. मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पहली तिमाही में स्थिर कीमतों पर यानी रियल जीडीपी 26.90 लाख करोड़ रुपये की रही है, जबकि ​पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 35.35 लाख करोड़ रुपये की थी. इस तरह इसमें 23.9 फीसदी की गिरावट आई है. पिछले साल इस दौरान जीडीपी में 5.2 फीसदी की बढ़त हुई थी. 

 

  • गिरावट क्यों?

गौरतलब है कि इस तिमाही में दो महीने यानी अप्रैल और मई में लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था पूरी तरह ठप रही है और जून में भी इसमें थोड़ी ही रफ्तार मिल पाई. इस वजह से रेटिंग एजेंसियों और इकोनॉमिस्ट ने इस बात की आशंका जाहिर की है कि जून तिमाही के जीडीपी में 16 से 25 फीसदी की गिरावट आ सकती है. अगर ऐसा हुआ तो यह ऐतिहासिक गिरावट होगी. 
औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों, केंद्र और राज्य सरकारों के व्यय आंकड़ों, कृषि पैदावार और ट्रांसपोर्ट, बैंकिंग, बीमा आदि कारोबार के प्रदर्शन के आंकड़ों को देखते हुए यह आशंका जाहिर की जा रही है. जानकारों का कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग, निर्माण, व्यापार, होटल, ट्रांसपोर्ट, संचार आदि सेक्टर देश की जीडीपी में करीब 45 फीसदी का योगदान रखते हैं और पहली तिमाही में इन सभी सेक्टर के कारोबार पर काफी बुरा असर पड़ा है. 
रेटिंग एजेंसी इकरा ICRA ने जीडीपी में 25 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था. इसी तरह इंडिया रेटिंग्स ने जीडीपी में करीब 17 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था. भारतीय स्टेट बैंक के ग्रुप इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने जीडीपी में 16.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था. 

 

  • क्या है जीडीपी?

किसी देश की सीमा में एक निर्धारित समय के भीतर तैयार सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक या बाजार मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) कहते हैं. यह किसी देश के घरेलू उत्पादन का व्यापक मापन होता है और इससे किसी देश की अर्थव्यवस्था की सेहत पता चलती है. इसकी गणना आमतौर पर सालाना होती है, लेकिन भारत में इसे हर तीन महीने यानी तिमाही भी आंका जाता है. कुछ साल पहले इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग और कंप्यूटर जैसी अलग-अलग सेवाओं यानी सर्विस सेक्टर को भी जोड़ दिया गया. 
जीडीपी दो तरह का होता है नॉमिनल जीडीपी और रियल जीडीपी. नॉमिनल जीडीपी सभी आंकड़ों का मौजूदा कीमतों पर योग होता है, लेकिन रियल जीडीपी में महंगाई के असर को भी समायोजित कर लिया जाता है. यानी अगर किसी वस्तु के मूल्य में 10 रुपये की बढ़त हुई है और महंगाई 4 फीसदी है तो उसके रियल मूल्य में बढ़त 6 फीसदी ही मानी जाएगी. भारत में हर तिमाही जो आंकड़े जारी होते हैं वे रियल जीडीपी के होते हैं. 

 

  • आप पर क्या होगा असर?

जीडीपी के आंकड़ों का आम लोगों पर भी असर पड़ता है. अगर जीडीपी के आंकड़े लगातार सुस्‍त होते हैं तो ये देश के लिए खतरे की घंटी मानी जाती है. जीडीपी कम होने की वजह से लोगों की औसत आय कम हो जाती है और लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं. इसके अलावा नई नौकरियां पैदा होने की रफ्तार भी सुस्‍त पड़ जाती है. आर्थिक सुस्‍ती की वजह से छंटनी की आशंका बढ़ जाती है. वहीं लोगों का बचत और निवेश भी कम हो जाता है.
जीडीपी रेट में गिरावट का सबसे ज्यादा असर गरीब लोगों पर पड़ता है. भारत में आर्थिक असमानता बहुत ज्यादा है. इसलिए आर्थिक वृद्धि दर घटने का ज्यादा असर गरीब तबके पर पड़ता है. इसकी वजह यह है कि लोगों की औसत आय घट जाती है. नई नौकरियां पैदा होने की रफ्तार घट जाती है. 

ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :

https://www.watansamachar.com/

उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :

http://urdu.watansamachar.com/

हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :

https://www.youtube.com/c/WatanSamachar

ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :

https://t.me/watansamachar

आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :

https://twitter.com/WatanSamachar?s=20

फ़ेसबुक :

https://www.facebook.com/watansamachar

यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।

Support Watan Samachar

100 300 500 2100 Donate now

You May Also Like

Notify me when new comments are added.

Poll

Would you like the school to institute a new award, the ADA (Academic Distinction Award), for those who score 90% and above in their annual aggregate ??)

SUBSCRIBE LATEST NEWS VIA EMAIL

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.

Never miss a post

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.