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शर्मनाक: सब का साथ सब का विकास और सब का विश्वास का सच, UP सरकार ने अल्पसंख्यकों के बजट का 10% भी खर्च नहीं किया

धरनों और हंगामों के बीच बहुत सी ऐसी खबरें छूट जाती हैं जिन ख़बरों पर चर्चा होना अनिवार्य है। उत्तर प्रदेश के सांसदों ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए आवंटित बजट का 10 फीसद हिस्सा भी खर्च नहीं किया है। बीते गुरुवार को केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने संसद को बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार को अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए 16,207 लाख आवंटित किए गए थे ताकि उनकी लिविंग कंडीशन और इंफ्रास्ट्रक्चर में बेहतरी लाई जा सके, लेकिन उसका 10 फीसद हिस्सा भी खर्च नहीं किया गया।

By: Mohammad Ahmad
  • शर्मनाक: सब का साथ सब का विकास और सब का विश्वास का सच, UP सरकार ने अल्पसंख्यकों के बजट का 10% भी खर्च नहीं किया   

 

 

धरनों और हंगामों के बीच बहुत सी ऐसी खबरें छूट जाती हैं जिन ख़बरों पर चर्चा होना अनिवार्य है। उत्तर प्रदेश के सांसदों ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए आवंटित बजट का 10 फीसद हिस्सा भी खर्च नहीं किया है। बीते गुरुवार को केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने संसद को बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार को अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए 16,207 लाख आवंटित किए गए थे ताकि उनकी लिविंग कंडीशन और इंफ्रास्ट्रक्चर में बेहतरी लाई जा सके, लेकिन उसका 10 फीसद हिस्सा भी खर्च नहीं किया गया।

 

शुक्रवार को मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, यूपी सरकार ने 2019-2020 में, बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए केंद्र द्वारा जारी किए गए 16,207 लाख रुपये में से केवल 1,602 लाख रुपये का उपयोग किया, जिसे 15 जिलों के 89 शहरों में 249 इकाइयों में स्कूल और अस्पताल के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्याक्रम (PMJVK) के तहत 25% से अधिक मुस्लिम आबादी वाले छेत्रों के लिए है।

 

अमरोहा डिस्ट्रिक्ट समेत कई जिलों के सांसदों के हवाले से ET ने खबर दी है कि जिस तरह से फंड का उपयोग किया गया है वह यह दर्शाता है कि यह सरकार किस तरह से मुसलमानों के खिलाफ काम कर रही है। 2020 21 को लेकर 4,552.91 lakh उत्तर प्रदेश सरकार को रिलीज किए गए हैं जबकि 2015 16 में समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार में 32462 लाख रुपए का उपरोक्त स्कीम के तहत 62 परसेंट हिस्सा यूज़ किया गया था।

 

 

 2016 17 में राज्य ने 14,364 lakh, का 39 फीसद हिस्सा खर्च किया जबकि 2017 18 में 15,182 लाख रुपए रिलीज किए गए और खर्च मात्र 40 परसेंट हुआ। 2018 19 में 37653 लाख रुपए रिलीज किए गए और खर्च मात्र 31 फीसद हुआ। अमरोहा से सांसद दानिश अली ने आरोप लगाया कि बेसिक प्राइमरी हेल्थ केयर मुस्लिम इलाकों में बनाने के लिए फंड नहीं है। अगर केंद्र सरकार फंड देती है तो राज्य वापस क्यों लौटा देता है? अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए केंद्र सरकार को मुनासिब बजट जारी करना चाहिए और राज्य सरकार को किसी भी भेदभाव के बिना उस पैसे को पूरा खर्च करना चाहिए।

 

 

2017 18 में बीजेपी के उत्तर प्रदेश में सत्ता में आने के बाद बजट के इस्तेमाल करने में 39 फीसद तक की गिरावट आई। 2018 19 के चुनावी साल में यह घटकर के 39 से 31 फीसद हो गया और 2019 20 में यह घटकर के 9.9 फीसद पर आ गया जो हैरानी वाली बात है। 2015 16 में एलोकेशन फंड 50% तक घट गया जबकि यूटिलाइजेशन 10 फीसद से भी कम हो गया। इससे कैसे अल्पसंख्यकों का विकास हो सकता है। 

 

केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि " 2008 की योजना का पुनर्गठन 2018 में किया गया था ताकि सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे और बुनियादी सुविधाओं को विकसित किया जा सके, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटी को बताया कि। "वास्तव में, यह केवल 50% से अधिक अल्पसंख्यक आबादी वाले क्षेत्रों के लिए था, लेकिन हमने इसे घटाकर 25% कर दिया ... ताकि बड़ी आबादी को इस में शामिल किया जा सके, और इस में मूल रूप से देश के 308 जिलों में 90 जिलों से शामिल किया गया है। "

 

 

अधिकारी ने कहा कि केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश ने फंड के उपयोग में बेहतर प्रदर्शन किया है। "हाल ही में, तमिलनाडु सरकार ने इस योजना के तहत नौ जिलों के अल्पसंख्यक केंद्रित क्षेत्रों में 57 परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जो 2,425 लाख रु में है ... उपयोग की चुनौती कुछ उत्तर भारतीय राज्यों के लिए विशिष्ट है।"

मुरादाबाद के सांसद एसटी हसन ने बताया कि धन की कमी से मुसलमानों में अधिक नाराजगी होगी। उन्होंने कहा, "यह लगभग उस समुदाय को यह बताने जैसा है तुम्हारा कोई अधिकार नहीं है। उन्हें पिछड़ा रखने का एक प्रयास है... केंद्र और राज्य को धन के उपयोग की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। ”

 

दो साल पहले, इस योजना का मूल्यांकन करने वाले एक संसदीय पैनल ने केंद्र से कहा था कि वह कुछ परियोजनाओं की लंबी अवधि, जमीन की अनुपलब्धता, लागत में वृद्धि, और कार्यान्वयन एजेंसियों को राज्यों द्वारा धन के हस्तांतरण में देरी जैसे मुद्दों को हल करने कि ज़रुरत है। निधियों का उपयोग करने के लिए एक समिति के गठन की ज़रुरत है, इन योजनाओं के लिए एक तीसरे पक्ष की ज़रुरत है जो स्कीमों का मूल्यांकन करे।

 

यूपी सरकार के अधिकारियों ने कहा कि वे इस योजना के तहत केंद्रीय निधियों के कम उपयोग के बारे में अवगत हैं, और "राज्य में केंद्रीय योजनाओं को लागू करने के लिए सौंपे गए कुछ निकायों में प्रचलित भ्रष्टाचार" को रोकने के लिए एक प्रणाली पर काम कर रहे हैं।

 

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने वरिष्ठ अधिकारियों और जांच एजेंसियों के साथ इस मुद्दे को उठाया है। “कई शिकायतें आ रही हैं कि कैसे बीते सालों से पैसा कभी लोगों तक नहीं पहुंचा है और यह बहुत ही हैरान करने वाला है।"

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