फेसबुक को लेकर बीजेपी पर संगीन आरोप लगाते हुए देश के पूर्व मंत्री डॉ शकील अहमद ने लिखा है कि "क्या @Facebook की भारतीय पब्लिक पौलीसी डायरेक्टर सुश्री अंखी दास जी की बहन रश्मी दास जी भाजपा के छात्र संगठन एबीवीपी की पदाधिकारी हैं इसलिये भारत मे भाजपा नेताओं द्वारा घृणा फैलाने मे @Facebook मदद कर रहा है, या केवल वित्तीय लाभ ही कारण है? या फिर दोनो कारण लाभप्रद हैं?
उधर कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि Ms. Supriya Shrinate said- आप सब लोगों को मेरा नमस्कार! एक अहम मुद्दे पर हम बात कर रहे हैं। We are talking on the Facebook issue and some new things have come to light which is important to share it with you because India is one of the most thriving democracies in the world and anybody or any organisation or any platform that undermines that by indulging in hate mongering must not be spared. Individuals, organisations and platforms including Facebook will be held accountable and questions will be raised.
सुश्री सुप्रिया श्रीनेत ने कहा - क्योंकि बहुत ही अहम मुद्दा है और कहीं ना कहीं ये मुद्दा हमारे लोकतंत्र की जड़ों के बारे में बात करता है। इंडिया एक बहुत थ्राईविंग डेमोक्रेसी है, हम एक बहुत जीता-जागता प्रजातंत्र हैं और कोई भी ऑर्गनाइजेशन, कोई भी इंडिविजुअल, कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म अगर हमारी लोकतांत्रिक जड़ों को कमजोर करता है तो उससे सवाल पूछा जाएगा, उसे कटघरे में खड़ा किया जाएगा, उसकी जवाबदेही बनेगी।
क्या @Facebook की भारतीय पब्लिक पौलीसी डायरेक्टर सुश्री अंखी दास जी की बहन रश्मी दास जी भाजपा के छात्र संगठन एबीवीपी की पदाधिकारी हैं इसलिये भारत मे भाजपा नेताओं द्वारा घृणा फैलाने मे @Facebook मदद कर रहा है, या केवल वित्तीय लाभ ही कारण है?
— Shakeel Ahmad (@Ahmad_Shakeel) August 18, 2020
या फिर दोनो कारण लाभप्रद हैं? pic.twitter.com/ooMda5wJrv
मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ यहाँ पर जरुर कहूंगी कि कहीं ना कहीं जो फेसबुक कर रहा है, वो हमारे लोकतंत्र को डिइस्टेबलाइज करता है, हमारे लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है, क्योंकि भारत जैसे देश में जब नफरत की जहरीली आग को लहलहाने देते हैं, इस नफरत की खेती को उगने देते हैं, आप नफरत की स्पीचिस को अपने प्लेटफार्म पर रहने देते हैं, शिकायतों के बावजूद उसको नहीं हटाते हैं, तो आप भी भागीदार होते हैं इस पर। आपने हर देश के लिए अलग-अलग कानून बनाए हुए हैं। सिंगापुर में जब पॉलिसी मेकर के सामने आपकी जवाबदेही थी, आप एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म हैं और आप कंटेट हटा नहीं सकते स्वेच्छा से, तभी हटाते हैं जब आपके पास शिकायत आती है। जब भारत में आपके पास शिकायत आती है, तब भी आप कंटेट क्यों नहीं हटाते हैं, फेसबुक चलता ही जाता है, कितनी भी शिकायतें हो जाएं, ये कौन सी आप, ये दोगली नीति की बात क्यों करते हैं?
दूसरी चीज, ये और भी जरुरी चीज है। 7 दिन पहले अभी मुंबई में किसी ने आत्महत्या की कोशिश की थी फेसबुक के फ्लेटफार्म पर और मैं शुक्रगुजार हूं फेसबुक की आप तुरंत पुलिस के पास गए, आपने तुरंत इसकी सूचना दी और हम इसे टाल सके, ये अच्छी बात थी, आपकी अच्छी पहल थी, लेकिन इसमें आपने पहल करके काम किया, तो आपकी पहल से अगर एक सुसाईड टल सकता है, तो आपकी पहल तब भी होनी चाहिए जब थ्रेट, जब ह्यूमर से दंगे हो जाते हैं और लोगों की जान चली जाती है, तब आपकी जो पहल होती है, वो होती ही नहीं। मैं एक बात जरुर कहूंगी जब आप अलग-अलग तरीके की बात करते हैं, आप चाहे यूएस में हों, चाहे तुर्की जैसे देशों में हों, आपने लगातार पेज को हटाया है फेसबुक के फ्लेटफार्म से और ये कहकर हटाया है कि ये कोर्डिनेटेड इनअथोंटिक बिहेवियर होता है, इसके बारे में आपकी प्रेस रीलिज भी जारी होती है। हमारे देश में आपने ऐसा आज तक क्यों नहीं किया है, क्या हमारे देश में इंटरनेट में जो व्यवहार है, क्या वो बहुत जिम्मेदाराना है ? बिल्कुल भी ऐसा नहीं है, बहुत गैर जिम्मेदाराना है, बहुत नफरत भरी बाते हैं, बहुत धमकी भरी बातें हैं, बहुत अजीब तरीके की बातें हैं, औरतों के खिलाफ, बच्चों के खिलाफ एक संप्रदाय के खिलाफ, किसी जाति के खिलाफ की जाती है, किसी समुदाय के खिलाफ कही जाती है, आपने ऐसा काम यहाँ क्यों नहीं किया?
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