भारत में फेसबुक का इस्तेमाल मुसलमानों के खिलाफ हिंसा भड़काने के लिए हो रहा है, फेसबुक को भी है इसकी जानकारी- रिपोर्ट
नई दिल्लीः फेसबुक के शोधकर्ताओं ने बताया इस प्लेटफॉर्म पर मुस्लिम विरोधी भड़काऊ और भ्रामक सामग्री से भरे हुए ग्रुप और पेज बने हुए हैं। अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जनरल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी 2019 में एक फ़ेसबुक शोधकर्ता ने यह देखने के लिए फेसबुक पर एक अकाउंट बनाया कि केरल में रहने वाले एक व्यक्ति के लिए सोशल मीडिया वेबसाइट कैसी दिखेगी। "उसने तीन हफ़्तों तक अलग-अलग ग्रुप्स से जुड़ने, वीडियो देखने और नये फ़ेसबुक पेजों तक पहुंचने के लिए केवल फेसबुक के एलगोरिदम से मिल रहे सुझावों पर काम किया। इसका नतीजा यह हुआ कि नफरत भरे भाषाण, गलत सूचनाओं और हिंसा पर ख़ुशी मनाने वाले कंटेंट की बाढ़ आ गई।"
फेसबुक के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट से पता चला है कि, फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान वॉट्सऐप और फेसबुक पर हिंसा के लिए उकसाने और अफवाहों भरे मैसेजेस की बाढ़ आई गई थी और फेसबुक को स्पष्ट रूप से ये जानकारी थी कि उसकी सेवाओं का इस्तेमाल हिंसा भड़काने के लिए किया जा रहा है।
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कंपनी के आंतरिक दस्तावेज दर्शाते हैं कि, फेसबुक के नियम प्रभावशाली लोगों के प्रति नरमी बरतते हैं और इसकी सेवाओं का इस्तेमाल हिंसा भड़काने और अतिसंवेदनशील लोगों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है।
द वायर ने अमेरिकी अखबार के हवाले से कहा- ‘भारत में सांप्रदायिक संघर्ष भाग-1’ नाम से तैयार किए गए जुलाई, 2020 के दस्तावेजों में शोधकर्ताओं ने पाया कि साल 2019 से 2020 के बीच भारत में तीन ऐसी बड़ी घटनाएं हुईं हैं, जिसने फेसबुक के प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज की भरमार ला दी।
इसमें से पहली घटना विवादित नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन था। इस दौरान फर्जी खबरों, अफवाहों और हेट स्पीच इत्यादि की संख्या ‘पहले के मुकाबले 300 फीसदी’ बढ़ गई थी।
इसके बाद दिल्ली दंगों के दौरान भी यही स्थिति रही। इस दौरान खासतौर पर वॉट्सऐप के जरिये अफवाह और हिंसा भड़काने की बातों की पहचान की गई है।
तीसरी घटना- कोविड-19 महामारी की शुरुआत के समय फेसबुक पर इस तरह की सामग्री की संख्या काफी बढ़ गई, जहां भारत में कोरोना फैलने के लिए मुसलमानों, विशेषकर तबलीगी जमात, को जिम्मेदार ठहराकर भय का माहौल बनाया गया था, इस घटना ने भारतीय मुसलमानों के दिलों में भय की स्तिथि पैदा कर दी थी।
शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि एक हिंदू व्यक्ति ने बताया है कि उन्हें फेसबुक और वॉट्सऐप पर ‘हिंदू खतरे में हैं’ और ‘मुस्लिम हमें खत्म करने वाले हैं’ जैसे मैसेजेस आए दिन प्राप्त होते रहते हैं।
वहीं मुंबई में रहने वाले एक मुस्लिम व्यक्ति ने कहा कि फेसबुक पर चारो तरफ नफरत का माहौल है और उन्हें डर लगने लगा कि इसके कारण उनकी जान भी जा सकती है। उन्होंने कहा कि यदि 10 साल तक इसी तरह से सोशल मीडिया चलता रहा तो सिर्फ नफरत का ही माहौल रहेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर यूजर्स इसके लिए फेसबुक को जिम्मेदार ठहराते हैं।
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