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फेसबुक हमारे लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है :कांग्रेस ने FB कि खिलाफ खोला मोर्चा

सुश्री सुप्रिया श्रीनेत ने कहा - क्योंकि बहुत ही अहम मुद्दा है और कहीं ना कहीं ये मुद्दा हमारे लोकतंत्र की जड़ों के बारे में बात करता है। इंडिया एक बहुत थ्राईविंग डेमोक्रेसी है, हम एक बहुत जीता-जागता प्रजातंत्र हैं और कोई भी ऑर्गनाइजेशन, कोई भी इंडिविजुअल, कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म अगर हमारी लोकतांत्रिक जड़ों को कमजोर करता है तो उससे सवाल पूछा जाएगा, उसे कटघरे में खड़ा किया जाएगा, उसकी जवाबदेही बनेगी।

By: Press Release
Supriya Shrinate : फाइल फोटो
  • फेसबुक हमारे लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है :कांग्रेस ने FB कि खिलाफ खोला मोर्चा

 Ms. Supriya Shrinate said- आप सब लोगों को मेरा नमस्कार! एक अहम मुद्दे पर हम बात कर रहे हैं। We are talking on the Facebook issue and some new things have come to light which is important to share it with you because India is one of the most thriving democracies in the world and anybody or any organisation or any platform that undermines that by indulging in hate mongering must not be spared. Individuals, organisations and platforms including Facebook will be held accountable and questions will be raised.

 

सुश्री सुप्रिया श्रीनेत ने कहा - क्योंकि बहुत ही अहम मुद्दा है और कहीं ना कहीं ये मुद्दा हमारे लोकतंत्र की जड़ों के बारे में बात करता है। इंडिया एक बहुत थ्राईविंग डेमोक्रेसी है, हम एक बहुत जीता-जागता प्रजातंत्र हैं और कोई भी ऑर्गनाइजेशन, कोई भी इंडिविजुअल, कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म अगर हमारी लोकतांत्रिक जड़ों को कमजोर करता है तो उससे सवाल पूछा जाएगा, उसे कटघरे में खड़ा किया जाएगा, उसकी जवाबदेही बनेगी।

 

मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ यहाँ पर जरुर कहूंगी कि कहीं ना कहीं जो फेसबुक कर रहा है, वो हमारे लोकतंत्र को डिइस्टेबलाइज करता है, हमारे लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है, क्योंकि भारत जैसे देश में जब नफरत की जहरीली आग को लहलहाने देते हैं, इस नफरत की खेती को उगने देते हैं, आप नफरत की स्पीचिस को अपने प्लेटफार्म पर रहने देते हैं, शिकायतों के बावजूद उसको नहीं हटाते हैं, तो आप भी भागीदार होते हैं इस पर। आपने हर देश के लिए अलग-अलग कानून बनाए हुए हैं। सिंगापुर में जब पॉलिसी मेकर के सामने आपकी जवाबदेही थी, आप एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म हैं और आप कंटेट हटा नहीं सकते स्वेच्छा से, तभी हटाते हैं जब आपके पास शिकायत आती है। जब भारत में आपके पास शिकायत आती है, तब भी आप कंटेट क्यों नहीं हटाते हैं, फेसबुक चलता ही जाता है, कितनी भी शिकायतें हो जाएं, ये कौन सी आप, ये दोगली नीति की बात क्यों करते हैं?

दूसरी चीज, ये और भी जरुरी चीज है। 7 दिन पहले अभी मुंबई में किसी ने आत्महत्या की कोशिश की थी फेसबुक के फ्लेटफार्म पर और मैं शुक्रगुजार हूं फेसबुक की आप तुरंत पुलिस के पास गए, आपने तुरंत इसकी सूचना दी और हम इसे टाल सके, ये अच्छी बात थी, आपकी अच्छी पहल थी, लेकिन इसमें आपने पहल करके काम किया, तो आपकी पहल से अगर एक सुसाईड टल सकता है, तो आपकी पहल तब भी होनी चाहिए जब थ्रेट, जब ह्यूमर से दंगे हो जाते हैं और लोगों की जान चली जाती है, तब आपकी जो पहल होती है, वो होती ही नहीं। मैं एक बात जरुर कहूंगी जब आप अलग-अलग तरीके की बात करते हैं, आप चाहे यूएस में हों, चाहे तुर्की जैसे देशों में हों, आपने लगातार पेज को हटाया है फेसबुक के फ्लेटफार्म से और ये कहकर हटाया है कि ये कोर्डिनेटेड इनअथोंटिक बिहेवियर होता है, इसके बारे में आपकी प्रेस रीलिज भी जारी होती है। हमारे देश में आपने ऐसा आज तक क्यों नहीं किया है, क्या हमारे देश में इंटरनेट में जो व्यवहार है, क्या वो बहुत जिम्मेदाराना है ? बिल्कुल भी ऐसा नहीं है, बहुत गैर जिम्मेदाराना है, बहुत नफरत भरी बाते हैं, बहुत धमकी  भरी बातें हैं, बहुत अजीब तरीके की बातें हैं, औरतों के खिलाफ, बच्चों के खिलाफ एक संप्रदाय के खिलाफ, किसी जाति के खिलाफ की जाती है, किसी समुदाय के खिलाफ कही जाती है, आपने ऐसा काम यहाँ क्यों नहीं किया?

ये तीन बातें मैं जरुर उजागर करना चाहती हूं। सिंगापुर में आप कुछ कहते हैं, भारत में उसका उल्टा कहते हैं। जब आपका मन आता है तो आप स्वेच्छा से चीजें कंट्रोल कर लेते हैं, आप स्वेच्छा से चीजें चलने देते हैं, क्योंकि आपका मन नहीं करता, चित भी मेरी और पट भी मेरी। आपको क्रेडिब्लिटी चाहिए सुसाईड हटाने की, लेकिन आप अपने हाथ खड़े कर देते हैं कि हम हेट के बारे में कुछ नहीं कर सकते और आप विश्व के बाकी देशों में हेट पेज हटाते हैं, हमारे यहाँ हेट पेज क्यों नहीं हटाते? क्या हमारे यहाँ कभी भी कोर्डिनेटेड इनअथोटिंग बिहेवियर (coordinated inauthentic behaviour)आपको नहीं दिखा है? क्या आप आंखों पर पट्टियां बांध लेते हैं हिंदुस्तान में? ये तीन बड़ी चीजें हो गई हैं।

उसके बाद मुझे ये जरुर कहना होगा फेसबुक की जो सारी खबरें हैं, हमने तो कई –कई बार फेसबुक से बात की, उनके शीर्ष लोगों से बात की, यूएस तक में बात की, लेकिन कुछ नहीं हुआ, इनएक्शन ही मिंला हमें। Walls Street Journal ने कल एक रिपोर्ट निकाली और उन्होंने सिर्फ सोर्सेस से बात नहीं की, उन्होंने फेसबुक के एग्जिस्टिंग इम्पलोई और उनके पास्ट इम्पलोई से बात करके ये बात कही है और इसलिए मैं आपसे एक बात पूछना चाहती हूं कि सरकार को, अगर आपका गिरेबान बिल्कुल साफ हो तो आप WSJ की बात का खंडन करें, आप वो खंडन नहीं करेंगे, क्योंकि आपका गिरेबान साफ नहीं है। आप कांग्रेस पार्टी पर किस मुँह से अटैक करते हैं? जरा मुझे ये समझाईए। आपके शीर्ष नेता, आपकी ट्रोल आर्मी, आपके अनभिज्ञ प्रवक्ता और आपके आधे-अधूर ज्ञान के जो ज्ञानी आपके मंत्री और पूर्व मंत्री बैठे हुए हैं, वो किस मुँह से कांग्रेस पार्टी पर अटैक करते हैं? कहा तो WSJ ने है, आपकी विश्वसनीयता पर तो उन्होंने सवाल उठाया है, ना फेसबुक ने WSJ के खिलाफ कुछ कहा है, ना भाजपा ने कहा है, ये कौन सी दोहरी नीति है? उसके बाद में जरुर कहीं पर जिस तरह से आपके हाथ मिले हुए हैं भाजपा से, आरएसएस से, उनके अपियरिसिंस के बारे में बताना चाहती हूं।

WSJ ने तो पूरा कोट करके कहा है कि कैसे उनकी जो ट्रस्ट और क्रेडिब्लिटी टीम, सेफ्टी टीम होती है फेसबुक में, जो ऐसे कंटेट को देखती है और उसके बारे में रिपोर्ट देती है, उन्होंने बार-बार रिपोर्टें दीं और जो Ms. Ankhi Das जो पब्लिक पॉलिसी हैड हैं और गवर्मेंट रिलेशन की भी हैड हैं, उन्होंने कहा कि नहीं कि ऐसा करने से हमारा बिजनेस इंट्रस्ट में खराबी होगी। सिर्फ बिजनेस इंट्रस्ट था या इनके ख्याल में एक्चुअली कुछ और भी था? इनके ख्याल में इनके पॉलिटिक्ली आईडियोलोजी की जानी-मानी बात है कि इनकी ही आईडेंटिक्ल ट्वीन रश्मि दास जी हैं, जो कि एबीवीपी की जनरल सेक्रेटरी होती थी जेएनयू में, अभी भी वो एबीवीपी की बहुत पुरजोर एक्टिविस्ट हैं, वो तमाम टीवी चैनलों पर एबीवीपी का और आरएसएस की विचारधारा का समर्थन करते हुए मिलती हैं। उन्होंने काफी आर्टिकल लिखे हैं, वो अपने आपको जर्नलिस्ट भी कहती हैं और उन्होंने अभी हाल-फिलहाल जेएनयू में जो दंगे हुए थे, उनका भी समर्थन किया था कि हां ऐसा सही हुआ। तो उस विचारधारा के लोग जो कि पब्लिक पॉलिसी बना रहे हैं, कहाँ तक ये सही है? मैं ये जरुर कहूंगी कि फेसबुक ही नहीं, वॉट्सऐप जिसके 40 करोड़ यूजर इंडिया में है, वहाँ से तमाम तरह के ह्यूमर, तमाम तरह की अफवाहें, फेक न्यूज, गलत खबरें, नफरत पैलाने वाली खबरें, दंगे फैलाने वाली खबरें फैलती हैं और वॉट्सऐप के पास जुबानी जमाखर्च के अलावा कुछ नहीं है। आपके 40 करोड़ यूजर इंडिया में है, लेकिन अगर एक वॉट्सऐप गलत खबर फैला रहा है तो उसको तुरंत कैसे बंद कैसे किया जाए, तुरंत उसको कैसे खत्म किया जाए, इसको करने का आपके पास कोई जरिया नहीं होता। अगर 4 लोगों के पास गया है, तो पुलिस के पास जाईए, तो डबल टिक आएगा तो बहुत सारे वो आएंगे, ये कौन सी बातें है? आप 40 करोड़ लोगों को हिंदुस्तान में अपना यूजर्स बनाए हुए हैं, कुछ तो आपका फ्रेमवर्क और सिस्टम होना चाहिए, जिससे आप इस पर कहीं पर चैक करना पड़े तो कर सकें।

सबसे बड़ी बात ये है कि ये सारे रुल्स, सारी बातें बेईमानी हो जाती हैं, क्योंकि कहीं पर जो फेसबुक का, वॉट्सऐप का बिजनेस इंट्रस्ट है इंडिया में, वो खुलकर सामने आ जाता है। फेसबुक के तो बिजनेस इंट्रस्ट की बात Ankhi Das ने कर ली थी। वॉट्सऐप के 40 करोड़ यूजर हैं, वो पेमेंट लाईसेंस का इंतजार कर रहे हैं, जब पेमेंट लाईसेंस आएगा तो बड़ा प्रोफिट यहाँ से होगा, इसलिए वो अपनी आंखों पर पट्टी बांधे रखते हैं और गौरतलब बात ये है कि मोदी जी और अंबानी जी की नजदीकियां तो सभी लोग जानते हैं। सबको पता है कि फेसबुक ने रिलायंस जियो में 10 प्रतिशत के लगभग हिस्सा खरीदा, 43 हजार 574 करोड़ रुपए में, जो दुनिया का सबसे बड़ा माईन्योरिटी स्टेक प्रिमियम पर खरीदा गया। तो कहीं ना कहीं ये तार बहुत जुड़े हुए हैं। इन बिंदुओं को जोड कर एक बड़ी पिक्चर देखने की बहुत जरुरत है कि कैसे एक सुनियोजित ढंग से, कैसे एक सोचे-समझे तरीके से कैसे हमारी डेमोक्रेसी का, हमारे लोकतंत्र का खनन हो रहा है, हमारे लोकंतत्र की अवमानना की जा रही है।

मैं फिर से वो बात दोहराती हूं, जो कांग्रेस ने कही है कि बिल्कुल जेपीसी का गठन होना चाहिए। दूध का दूध, पानी का पानी होना चाहिए। कोई भी व्यक्ति, कोई भी भी प्लेटफार्म, कोई भी ऑर्गनाईजेशन, जो हमारी डेमोक्रेटिक मूल्यों का जरा सी भी हनन करती है, उसकी जरा सी भी अवमानना करती है, उसको कटघरे में खड़ा करके सवाल पूछने ही पड़ेंगे, हमें जवाब चाहिएं। फेसबुक से हम ये आशा करते हैं कि आप तुरंत रेमेडियल मेजर (remedial measure) देंगे, ग्लोबल फेसबुक हैडक्वार्टर में खुद काफी बार इसके बारे में सवाल पूछे जा चुके हैं, वो इंडिया में क्या हो रहा है, उनकी टीम में, उसके बारे में आप अपने संज्ञान में लेकर उस पर जरुर तुरंत एक्ट करेंगे।

एक प्रश्न पर कि सुश्री श्रीनेत ने कहा कि हम कहीं भी फ्री स्पीच का विरोध नहीं कर रहे। अगर इन फ्लेटफार्म का अच्छा यूज हो तो लोगों को कनेक्ट किया जा सकता है, इससे बहुत सृजन के कार्य हो सकते हैं, लेकिन हां अगर संज्ञान में ये बातें आ रही हैं कि ये फ्लेटफार्म हेट स्पीच के लिए, ये फ्लेटफार्म अफवाहें फैलाने के लिए, पर्टिकुलर लोगों को टारगेट करने के लिए किया जा रहा है, तो उसमें रेमेडियल उस फ्लेटफार्म को भी लेने पड़ेंगे। इसके अलावा कोई चारा नहीं है। जहाँ तक आपने बात की मुझे लगता है कि आईटी कमेटी जो पार्लियामेंट्री स्टेंडिंग कमेटी ऑफ इनफोर्मेशन टेक्नोलॉजी है, उसका पहले ही बयान आ चुका है, शशि थरुर जी जो उसके चेयरमैन हैं, उन्होंने कहा है कि फेसबुक से इस रिपोर्ट के बारे में जरुर सुनना चाहेंगे और उनके एंबिट में है फेसबुक को समन करके इसमें उनसे सवाल – जवाब करना। मैं अपनी बात इसी पर रिस्ट्रिक्ट करना चाहती हूं क्योंकि फ्री स्पीच को रिस्ट्रिक्ट करना हमारा कहीं पर भी आशय नहीं है, लेकिन हां, कोई भी चीज जो हमारी डेमोक्रेसी को, हमारे लोकतंत्र को अगर खतरे में डालती है, हमारे फ्री एंड फेयर चुनाव को खतरे में डालती है, हमारी सामाजिक शांति को खतरे में डालती है, उस पर जरुर सवाल उठेगा।

इसी संदर्भ में सुश्री श्रीमेत ने कहा कि मैंने यही बात आपसे कही कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ठीक है, लेकिन आप उस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के माध्यम से किसी के साथ गाली-गलौच करने लगें, किसी समुदाय को टारगेट करने लगें, औरतों के खिलाफ अपशब्द इस्तेमाल करने लगें, अफवाहें फैलाने लगें, फेक न्यूज की फैक्ट्री बन जाईए, ये नहीं हो सकता और वो गलत है। उसमें जरुर और हमें पूरी आशा है कि जो पार्लियामेंट्री की स्टेंडिंग कमेटी है वो तो उस पर ध्यान देगी ही, मुझे लगता है कि सरकार भी इस मुगालते में नहीं रह सकती है। आज सरकार कांग्रेस को अटैक कर रही है, लेकिन WSJ की रिपोर्ट ने कुछ बड़े नाजुक मुद्दों को उठाया है, उससे कैसे भागेंगे ये?

एक अन्य प्रश्न पर जब पार्लियामेंट्री स्टेंडिंग कमेटी इस मुद्दे को देख रही है, तो जेपीसी की मांग करना कितना सही है? सुश्री श्रीनेत ने कहा कि शशि थरुर जी ने ट्वीट करके भी और स्टेटमेंट जारी करके भी कहा है कि वो फेसबुक से इन रिपोर्ट्स के बारे में सुनना चाहते हैं। ये स्पेसिफिक चीजें कि फेसबुक की सोसाईटी के मुद्दों को उठाया, कैसे उनकी पॉलिसी हैड ने कहा कि नहीं हम इनको फेसबुक पोस्ट से नहीं हटाएंगे, क्योंकि इससे हमारा बिजनेस प्रभावित हो सकता है, इससे सरकार नाराज हो सकती है, ये उन रिपोर्ट्स की बात हो रही है, उनको बिल्कुल पिन डाउन करके कहा गया है कि कैसे Policy Head seems to be very-very closely linked to the RSS ideology to the BJP. उस पर उन्होंने कहा है कि मैं फेसबुक से इस पर जरुर प्रतिक्रिया सुनना चाहता हूं इन रिपोर्ट्स पर और अगर जरुरत पड़ेगी तो हम खुद बुलाएंगे, जो पार्लियामेंट्री स्टेंडिंग कमेटी के सामने स्पेसिफिक मुद्दा नहीं है और इसलिए हम जेपीसी की मांग कर रहे हैं, क्योंकि जेपीसी से ऊपर तो कुछ हो नहीं सकता है और ये उतना ऊंचा मामला है क्योंकि ये हमारे लोकतंत्र को कमजोर करने का मामला है। ये मामला है जो हमारे लोकतंत्र की जड़ों को खोखला कर देगा, ये मामला है जो लोगों को बरगला रहा है, ये मामला है जो लोगों को भ्रमित करता है, ये मामला है जिसमें आज हजारों-लाखों युवा फेसबुक यूनिवर्सिटी से पढ़कर निकल रहे हैं, वो अपना पाठ नहीं पढते हैं, गलत-सलत उनको फेसबुक और वॉट्सऐप पर बोल दिया जाता है, उसको वो आज कोट कर रहे हैं आज। सत्य प्रमाणित कर रहे हैं। इसलिए इस पर जेपीसी होना जरुरी है, मुझे नहीं लगता इसमें कोई विरोधाभास है।

धन्यवाद!

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