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किसान संगठनों ने हरयाणा के मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

विषय: हरियाणा के बाजरा किसान को सरकार द्वारा दिए जाने वाली भावान्तर राशी ₹600 प्रति क्विंटल से बढ़ा कर ₹1000 प्रति क्विंटल करने बाबत

By: Press Release

किसान संगठनों ने हरयाणा के मुख्यमंत्री को लिखा पत्र


सेवा में,

श्री मनोहर लाल,

मुख्यमंत्री, हरियाणा सरकार

 

विषय: हरियाणा के बाजरा किसान को सरकार द्वारा दिए जाने वाली भावान्तर राशी ₹600 प्रति क्विंटल से बढ़ा कर ₹1000 प्रति क्विंटल करने बाबत 

 

आदरणीय मनोहर लाल जी,

हमने आपको 26 सितंबर को अधोलिखित पत्र ईमेल से भेज कर सरकारी बाजरा खरीद को बेहतर व व्यवस्थित करने  की मांग और कुछ सुझाव दिए थे। आपकी सरकार ने 28 सितंबर को बाजरा की खरीद की भावान्तर योजना हरियाणा की जनता के सम्मुख रखी। इस बार सरकार बाजरा किसान को उसके ब्लॉक की औसत पैदावार के हिसाब से ₹600 प्रति क्विंटल के हिसाब से भावान्तर राशि उसके खाते में जमा करवाएगी। बाकी बचा पैसा किसान को मंडी में बाजरा बेचकर मिलेगा। इस योजना व सरकारी रिपोर्टों का अध्ययन करने के बाद, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि सरकारी खरीद की पिछली योजना की तुलना में आपकी नयी भावान्तर योजना से प्रदेश के बाजरा किसान को 289 करोड रुपए से 637 करोड रुपए के बीच का नुक्सान होने जा रहा है। इसकी भरपाई तभी हो पायेगी अगर सरकार द्वारा दिए जाने वाली भावान्तर राशी ₹600 प्रति क्विंटल से बढ़ा कर ₹1000 प्रति क्विंटल कर दी जाय।

 

 

2. सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पोर्टल पर हरियाणा में बाजरे की फसल के लिए 2,71,000 किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। इसी रिपोर्ट के अनुसार 76,000 किसान (कुल बाजरा उत्पादक किसानों का 22%)  ऐसे हैं जिनकी पटवारी द्वारा की गई गिरदावरी में तो बाजरा फसल दर्ज है लेकिन वो MFMB पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने में सफल नहीं हुए हैं। रजिस्टर किए गए कुल बाजरा भूमि का क्षेत्रफल 11,30,000 एकड़ है और अनरजिस्टर्ड 76,000 किसानों की भूमि भी यदि इसमें जोड़ ली जाए तो इस बार हरियाणा में 14,46,900 एकड़ में बाजरे की फसल का अनुमान है। वास्तव में इनके अलावा भी कई किसान बचे हैं जिन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है। जय किसान आंदोलन की मांग है कि  ऐसे किसानों को रजिस्ट्रेशन करने के लिए न्याय पूर्ण समय दिया जाए और इस रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया का प्रबंध भी सरकारी दफ्तरों और कर्मचारियों की मदद से किया जाए ताकि हरियाणा का कोई भी किसान अपनी मेहनत का मूल्य पाने में असमर्थ ना रहे।

 

 

3. नई सरकारी योजना इस मान्यता पर आधारित है कि इस वर्ष बाजरा का बाजारभाव ₹1550 प्रति क्विंटल से ₹1650 प्रति क्विंटल के बीच रहेगा। सरकार ने इसे अधिकतम (₹1650 प्रति क्विंटल) मान कर ₹600 प्रति क्विंटल की भावान्तर राशि तय की है ताकि किसान को कुल ₹2250 (1650+600) का न्यूनतम समर्थन मूल्य हसिक हो सके। लेकिन यह मान्यता गलत है। इस साल बाजरा का भाव ₹1650 प्रति क्विंटल कभी नहीं रहा। और सरकार द्वारा खरीद की जगह भावान्तर की घोषणा के बाद से यह भाव और गिरा है। जय किसान आंदोलन के सदस्य रेवाड़ी मंडी, कनीना मंडी, लोहारू मंडी, तोशाम मंडी, भिवानी मंडी और हांसी मंडी में बाजरे खरीद के भाव की जानकारी प्राप्त कर रहे है। आज 5 अक्टूबर के दिन हरियाणा की में इन मुख्य मंडियों में बाजरे का भाव ₹1100 प्रति क्विंटल से ₹1400 प्रति क्विंटल रहा है। यदि मंडियों में मिलने वाले इस भाव में सरकार द्वारा दिए जाने वाले ₹600 प्रति क्विंटल का भाव भी जोड़ दिया जाए तो भी किसान को प्रति क्विंटल बाजरा पर  ₹1700 से ₹2000 प्रति क्विंटल ही मिलेगा। यानि कि इस योजना के माध्यम से हरियाणा सरकार ने बिना कुछ कहे  ₹2250 प्रति क्विंटल एमएसपी में ₹250 से ₹550 की कटौती कर दी है। यदि इस घाटे को पूरे हरियाणा प्रदेश के बाजरा उत्पादक किसानों के आधार पर जोड़ा जाए तो हरियाणा सरकार प्रदेश के सबसे गरीब बाजरा किसान की जेब से 289 करोड रुपए से 637 करोड रुपए के बीच निकालने वाली है।

 

 

4. हमारी आशंका है कि  आने वाले दिनों में बाजार भाव और गिरेगा। फिर भी अगर हम आज के बाजरा मंडी भाव के अनुसार औसतन ₹1250 प्रति क्विंटल मान लें तब भी किसान को बाजार में प्रति क्विंटल एमएसपी से  ₹1100 का घाटा होगा। इसलिए अगर आप किसानो को एमएसपी के बराबर कीमत दिलवाने के अपने वादे  पर कायम हैं तो 11 अक्टूबर को एक साथ सभी बाजरा उत्पादक किसानों को ₹600 प्रति क्विंटल भावान्तर राशि देने की बजाय उसे बढ़ाकर ₹1000 प्रति क्विंटल दिया जाए। नहीं तो ऐसा समझा जायेगा कि यह नयी योजना किसान से एमएसपी का अधिकार छीनने, सरकारी खरीद से पल्ला झड़ने और किसान की जेब काटने के लिए बनाई गयी थी। बाजरा उत्पादक किसान हरियाणा प्रदेश का सबसे गरीब किसान है और हमें विश्वास है कि हरियाणा सरकार उनके प्रति इतनी संवेदनशीलता जरूर दिखाएगी। 

 

5. हम आप से यह अनुरोध भी करते हैं कि आपकी सरकार और प्रशासन लगातार प्रदेश की मंडी के भाव पर नजर बनाए रखें, ताकि यदि भविष्य में बाजरे के भाव में कमी आए तो उस घाटे की भरपाई भी किसानों को सरकार की तरफ से की जाए।

हम आपसे आशा करते है कि आप हमारी ऊपर लिखी मांगो को मान कर, बाजरे की फसल की बिक्री के समय किसानों को लूटने से बचाएंगे।

 

धन्यवाद

 

योगेंद्र यादव

संस्थापक, जय किसान आंदोलन

 

रमज़ान चौधरी,

संस्थापक सदस्य, जय किसान आंदोलन

 

संदीप यादव 

प्रदेश प्रवक्ता (हरियाणा) जय किसान आंदोलन

 

दीन मोहम्मद

जिला प्रभारी (नूह) जय किसान आंदोलन

 

अविक साहा

राष्ट्रीय अध्यक्ष, जय किसान आंदोलन

 

दीपक लाम्बा

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, जय किसान आंदोलन

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