पूर्व सीएजी विनोद राय ने देश को गुमराह करने के लिए माफी मांगी: पवन खेड़ा
पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि एक षड़यंत्र, बहुत गंभीर षड़यंत्र था, जिस पर से धीरे-धीरे पर्दा उठ रहा है। एक अपराधिक षड़यंत्र था। 2010 से लेकर 2014 के बीच तक रहा और इस अपराधिक षड़यंत्र पर से जो पहला पर्दा उठा, वो तब था, जब सीबीआई की विशेष अदालत ने 21 दिसंबर, 2017 को स्पष्ट तौर पर उन तमाम आरोपों की धज्जियां उड़ाई थी, जो आरोप इस अपराधिक षडयंत्र के मुख्य सरगना या मुख्य किरदार, जो वो निभा रहे थे विनोद राय और फिर एक आर्केस्ट्रा की तरह तमाम षड़यंत्रकारी एक चुनी सरकार के विरुद्ध बोलते चले जाते थे। उन तमाम आरोपों की धज्जियां सीबीआई की विशेष अदालत ने 21 दिसंबर, 2017 को उड़ाई। अदालत ने क्या कहा, मैं उद्रत करता हूँ अदालत के शब्दों को, उससे पहले एक और पर्दा हटा। सीबीआई कौंसिल ने जब डॉ. मनमोहन सिंह जी को क्लीन चिट दी, कोल एलोकेशन के मामले में। टूजी में अदालत ने धज्जियां उड़ा दी आरोपों की। कोल एलोकेशन में सीबीआई ने 21 सितंबर, 2015 को ही बोल दिया कि डॉ. मनमोहन सिंह जी की इसमें कोई गलत भूमिका नहीं रही है और बड़े कड़े शब्दों में टिप्पणी की।
अब कल तीसरा पर्दा उठा और तीसरा पर्दा स्वयं जो मुख्य षड़यंत्रकारी थे या मुख्य कठपुतली थे, उन्होंने स्वयं हटा दिया संजय निरुपम जी से माफी मांग कर के। कल जिन शब्दों में उन्होंने माफी मांगी, उन्होंने स्वीकार किया कि मैंने झूठ बोला। मैंने वो एफिडेविट की प्रति इसमें संलग्न की है। विनोद राय ने कांग्रेस पार्टी के पूर्व सांसद, जो उस वक्त पीएसी के सदस्य भी थे, उनसे माफी मांगी कि मैंने आपका नाम लेकर झूठ बोला, 2014 में मैंने झूठ बोला। ये शब्द बड़े महत्वपूर्ण हैं कि अपनी किताब बेचने के लिए जो उन्होंने इंटरव्यू दिए मीडिया में। उसमें बार-बार कहा कि संजय निरुपम as member of PAC, मुझसे मिलने आए थे। मुझे उन्होंने कहा था कि डॉ. मनमोहन सिंह जी का नाम रिपोर्ट में ना लिखा जाए। संजय निरुपम उनको अदालत में ले गए, तीसरा पर्दा भी कल अदालत के माध्यम से स्वयं विनोद राय ने हटा दिय़ा कि हाँ, मैंने झूठ बोला था और मैंने कल माफी मांग ली।
जो आदमी अपनी किताब बेचने के लिए इतने बड़े झूठ का सहारा ले सकता है, सरेआम पूरे देश के सामने झूठ बोल सकता है, वो अपना और अपने आकाओं का एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए क्या-क्या नहीं कर सकता? यह मैं आप पर छोड़ता हूं और जो उसने किया और वो अकेला नहीं था। वो अकेला एक फ्रॉड हो, मैं ये नहीं कहूंगा, इस षडयंत्र में और भी कई फ्रॉड्स थे।
आईए देखिए, जो तमाम षड़यंत्रकारी थे, उनको क्या-क्या इनाम उनके आका ने दिया। जनरल वीके सिंह, पिछले 7 सालों से मंत्री हैं या नहीं बताइए? अरविंद केजरीवाल- “मैं तो राजनीति में आऊंगा ही नहीं जी, लाल बत्ती इस्तेमाल करुंगा ही नहीं जी, कोई पद लूंगा ही नहीं जी, सरकारी घर में रहूंगा ही नहीं जी”, आज एक जुगलबंदी सरकार मोदी जी के साथ मिलकर चला रहे हैं, पिछले 7 साल से। डॉ. किरण बेदी, पहले उन्हें दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाने का प्रयास किया गया, वो नहीं सफल हुई, तो उन्हें पुडुचेरी का उपराज्यपाल बना दिया।
बाबा रामदेव के विषय में अब क्या कहें, अब बाबा तो नहीं कहना चाहिए, एक समृद्ध व्यापारी बन गए हैं, लाला रामदेव बन गए, उन्हें भी उपकृत किया। स्वयं विनोद राय, जिसको मैं मुख्य कठपुतली बोलता हूं, को “बैंक बोर्ड ब्यूरो” का चेयरमैन बनाया, तमाम सरकारी सुविधाओं से सुसज्जित किया। जबकि अरुण जेटली जी ने उस वक्त कहा था कि सीएजी से रिटायर्ड होने के बाद किसी को कोई पद नहीं देना चाहिए। उन्हीं अरुण जेटली जी ने फिर इनको उपकृत किया, आका के कहने पर। अर्णब गोस्वामी, हमारे-आपके प्रिय, जो उस वक्त गला फाड़-फाड़ कर, चिल्ला-चिल्ला कर अपने आका का एजेंडा आगे बढ़ा रहे थे, उस वक्त एक पत्रकार थे, मुलाजिम थे, आज एक चैनल के मालिक हैं और उनके जो पार्टनर हैं इस चैनल में, वो मंत्री हैं। आप देखिए, एक-एक व्यक्ति जिसने उस वक्त एक भूमिका अदा की थी अपने आका के कहने पर, वो कहाँ-कहाँ स्थापित हुआ है। अन्ना हजारे रालेगांव सिद्धि में आराम फरमा रहे हैं और हाँ, नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री हैं।
लोकपाल का नाम मैं इस हॉल में आप भी, आप बिना गूगल किए मुझे लोकपाल का नाम बता दीजिए? Who is the Lokpal of India? बताइए मुझे? कोई नहीं बता सकता, मैं नहीं बता सकता, मैं जब तक गूगल नहीं करुंगा, मुझे नहीं मालूम होगा, प्रणव जी को नहीं मालूम होगा। यहाँ जितने लोग बैठे हैं, उनको लोकपाल का नाम नहीं मालूम है। पिछली बार आपने कब हेडलाइन बनाई या चलिए हेडलाइन छोड़ दीजिए, ट्रेकर चला, कहीं कुछ छपा कि लोकपाल ने स्वयं संज्ञान लिया किसी मुद्दे का? मुद्दे बहुत आए या किसी मुद्दे को लोकपाल में रैफर कर दिया गया हो। कभी किसी ने कोई खबर सुनी हो या हमें कोई प्रेसवार्ता करने का मौका मिला हो, आपने दिया हो तो बताइए, नहीं दिया। Where is the Lokpal? कहाँ है लोकपाल, कहाँ है सीएजी? जिसकी ड्राफ्ट रिपोर्ट पर प्राइम टाइम डिबेट होती थी, वो सीएजी कहाँ है? सीएजी रिपोर्ट को टेलीविजन पर तो छोड़ दीजिए, अब सीएजी रिपोर्ट की चर्चा संसद के पटल पर भी नहीं होती। बताइए, षडयंत्र क्या था ये?
तमाम सीएजी, सिविल सोसायटी, किरण बेदी, अन्ना हजारे, बाबा रामदेव, जनरल वीके सिंह, अरविंद केजरीवाल, तमाम लोग क्या सिर्फ एक चुनी हुई सरकार, एक सुदृढ़ अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारने के षडयंत्रकारी मात्र थे या नहीं थे? ये साबित हुआ या नहीं हुआ?
हम यह मांग करते हैं कि कठपुतली नंबर एक विनोद राय से कि जिस तरह से उन्होंने बिना शर्त के कल संजय निरुपम जी से माफी मांगी, उसी तरह से पूरे देश से माफी मांगे, बिना किसी शर्त के और कठपुतली नंबर एक से हम यह भी मांग करते हैं कि जितनी सुख सुविधांए उन्होंने सेवा निवृति के बाद भोगी, वो तमाम सुख सुविधाएं सरकारी खजाने में फिर से जमा करा दें। अगर थोड़ा सा भी ईमान बचा है, हमें मालूम है उनमे ईमान नहीं है, लेकिन अगर है तो, जो मेहनतनामा उन्हें मिला, वो लौटा दें, तो अच्छा रहेगा और बाकी का जीवन कठपुतली नंबर एक, खुलकर नागपुर के रेशमबाग में सेवाएं प्रदान करें, जो कि वो आज तक छुप-छुप कर करते आए हैं, अब खुल कर करें। तो शायद वो अपनी नजरों में वो थोड़ा सा उठ पाएंगे। देश की नजरों में वो अब नहीं उठ सकते हैं।
हम उन तमाम बाकी कठपुतलियों से भी मांग करते हैं, जो षडयंत्रकारी बनकर इस राष्ट्रद्रोह का हिस्सा बने थे। वह भी इस देश से माफी मांगे। रही बात उनके आका की, तो उनके आका से तो अब इस देश की जनता निपटने को तैयार है।
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