जी-20 शिखर सम्मेलन: दुनिया को भारत ने दी नसीहत
इंडोनेशिया में मंगलवार (15 नवंबर, 2022) से शुरू हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फूड एंड एनर्जी सिक्योरिटी सत्र में भाग लिया। उन्होंने कहा कि कोरोना और यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया की सप्लाई चेन प्रभावित हुई है, जिसकी वजह से दुनिया में तबाही फैल गई है। उन्होंने कहा कि यूएन जैसी संस्थाएं इन मु्द्दों पर विफल रही हैं इसलिए सभी को मिलकर यूक्रेन युद्ध को रोकने का रास्ता निकालना होगा। इसके अलावा, पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन और विभिन्न देशों में गरीबी जैसे गंभीर मुद्दों पर भी चर्चा की और जी-20 देशों से इस और ध्यान देने की भी अपील की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर यूक्रेन में बातचीत और कूटनीति की बात दोहराई और कहा कि कीव में सीजफायर के रास्ते पर लौटना होगा। उन्होंने कहा, “मैंने बार-बार कहा है कि हमें यूक्रेन में युद्धविराम और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का रास्ता खोजना होगा।” उन्होंने कहा कि पिछली सदी में द्वितीय विश्व युद्ध ने दुनिया में कहर बरपाया। उस समय के नेताओं ने शांति की राह पर चलने का गंभीर प्रयास किया था और अब यह हमारी बारी है।
पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना काल के कारण दुनियाभर में मची तबाही के बाद एक नई विश्व व्यवस्था बनाने का दायित्व हमारे कंधों पर है। दुनिया में शांति, सद्भाव और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और सामूहिक संकल्प दिखाना समय की मांग है। उन्होंने इस दौरान भारत को बुद्ध और गांधी की पवित्र भूमि बताते हुए कहा कि उन्हें विश्वास है कि अगले साल जब जी20 की बैठक होगी तो सभी दुनिया को शांति का एक मजबूत संदेश देने के लिए सहमत होंगे। पीएम मोदी ने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन, कोविड महामारी, यूक्रेन के घटनाक्रम और इससे जुड़ी वैश्विक समस्याओं ने दुनिया में कहर बरपाया हुआ है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रंखलाएं चरमरा गई हैं और पूरी दुनिया में आवश्यक वस्तुओं का संकट है। ऐसे समय में हर देश के गरीब नागरिकों के लिए चुनौती और ज्यादा गंभीर हो गई है। उनका दैनिक जीवन और ज्यादा संघर्ष भरा हो गया है। इस दोहरी मार से निपटने के लिए उनके पास वित्तीय क्षमता की कमी है।
पीएम मोदी ने कहा कि यह स्वीकार करने में भी संकोच नहीं होना चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र जैसे संस्थान भी इन मुद्दों पर असफल रहे हैं और हमें उसके लिए उपयुक्त सुधार करने चाहिए। आज दुनिया को जी-20 से बड़ी उम्मीदें हैं और ऐसे में हमारे समूह की योग्यता और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
पीएम मोदी ने महामारी के दौरान भारत की ओर से लोगों को दी गई मदद का भी जिक्र किया। उन्होंने बैठक में बताया कि भारत ने अपने 1.3 बिलियन नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है। वहीं, कई जरूरतमंद देशों को खाद्यान्न की आपूर्ति भी की गई।
पीएम मोदी ने कहा कि खाद्य सुरक्षा के लिहाज से उर्वरकों की मौजूदा कमी भी एक बहुत बड़ा संकट है। उन्होंने आगे कहा कि उर्वरक की कमी कल एक खाद्य संकट पैदा करेगा, जिसका दुनिया के पास कोई समाधान नहीं होगा। पीएम मोदी ने कहा कि खाद और खाद्यान्न दोनों की आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर और सुनिश्चित बनाए रखने के लिए सभी जी20 देशों को आपसी सहमति बनानी होगी।
उन्होंने कहा कि भारत में स्थायी खाद्य सुरक्षा के लिए, हम प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं और बाजरा जैसे पौष्टिक और पारंपरिक खाद्यान्नों को फिर से लोकप्रिय बना रहे हैं। बाजरा वैश्विक कुपोषण और भूख को भी हल कर सकता है। हम सभी को अगले साल बड़े उत्साह के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष मनाना चाहिए।
पीएम मोदी ने वैश्विक विकास के लिए भारत की ऊर्जा सुरक्षा को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। उन्होंने आगे कहा कि ऊर्जा की आपूर्ति पर प्रतिबंधों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए और ऊर्जा बाजार में स्थिरता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
पीएम ने कहा, “भारत स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण के लिए प्रतिबद्ध है। 2030 तक, हमारी आधी बिजली रिन्यूएबल स्रोतों से पैदा होगी। समयबद्ध और किफायती वित्त एवं विकासशील देशों को प्रौद्योगिकी की सतत आपूर्ति समावेशी ऊर्जा संक्रमण के लिए आवश्यक है।”
उन्होंने कहा, “भारत के जी-20 प्रेसीडेंसी के दौरान हम इन सभी मुद्दों पर वैश्विक सहमति के लिए काम करेंगे।”
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