आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर में आयोजित हिंदू और मुसलमानों के बीच डायलॉग का समर्थन करते हुए देश के विभाजन के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को जिम्मेदार करार दिया. इंद्रेश कुमार ने कहा कि अगर गांधी बंटवारे के खिलाफ अड़ गए होते और बंटवारे के विरोध में आमरण अनशन पर बैठ जाते तो देश कभी नहीं बाटता. उन्होंने कहा कि जहां यह सत्य है कि गांधी जी ने देश की आजादी के लिए योगदान दिया वहीं यह भी सत्य है कि अगर गांधी चाहते तो देश नहीं बाटता. इंद्रेश कुमार ने अपने संबोधन में लिंचिंग पर बोलते हुए लिंचिंग की घटनाओं की निंदा की. साथ ही यह भी कहा कि कश्मीर में जो लिंचिंग हुई उस पर भी बात होनी. उन का इशारा कश्मीरी पंडितों की ओर था. उन्हों ने कहा कि एक तरफा बात होने से काम नहीं चलेगी.
इंद्रेश कुमार ने आगे कहा कि लिंचिंग चाहे वह विचारों की हो या फिर व्यक्तियों की लिंचिंग हो या धर्म की लिंचिंग हो, हर तरह के लिंचिंग पर रोक लगनी चाहिए. शायद इंद्रेश कुमार का इशारा आरएसएस पर किए जाने वाले कठोर परहारों की तरफ था. इंद्रेश कुमार ने शहरों और जगहों के नामों के बदले जाने का समर्थन करते हुए कहा कि लोग हमसे पूछते हैं कि अकबर को क्या जरूरत थी प्रयागराज का नाम दीन ए इलाही के बहाने इलाहाबाद करने की. उन्होंने कहा कि कश्मीर में 400 जगहों का नाम बदला गया. तब कोई नहीं बोला, उन्होंने अयोध्या में राम जन्म स्थान का मामला एक बार फिर उठाते हुए कहा कि जिस तरह मक्का शरीफ सत्य है उसी तरह से यह भी सत्य है कि अयोध्या में राम का जन्म हुआ, इसको हमें स्वीकारने में क्या बुराई है.
ज्ञात रहे कि इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर की ओर से हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच संवाद के लिए सभा का आयोजन किया गया, जिसमें देश के जाने माने नेताओं ने शिरकत की. इस अवसर पर इंद्रेश कुमार ने अपने संबोधन में अपने ऊपर लगने वाले आरोपों का उल्लेख भी किया. उन्होंने कहा कि जब मुझे भगवा आतंकवाद में फंसाने की कोशिश हुई तब भी मैंने सद्बुद्धि की दुआ फंसाने वालों के लिए मांगी.
उन्होंने कहा कि एक अवसर पर कश्मीर में मेरे साथ ऐसा हुआ कि मुझे लगा कि आज मेरा आखरी समय है. उस वक्त भी मैं नहीं डरा और मैंने कभी किसी के लिए गलत नहीं सोचा. हमने हमेशा सद्बुद्धि की प्रार्थना की. उन्होंने कहा कि मैं कश्मीर में रहा हूं, और मैं नहीं 2500000 मुसलमानों से डायरेक्ट कांटेक्ट किया है. हमें मुसलमानों के पास जाने के लिए किसी संगठन या संस्था की किसी दिन कभी कोई जरूरत नहीं पड़ी और हम लोगों के बीच में गए.
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