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सरकार ने मजबूरन कृषि कानून वापस लिए: तारिक़ सिद्दीकी

उत्तर प्रदेश: मंहगाई हटाओ प्रतिज्ञा यात्रा के दौरान आल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस (उ.प्र. पूर्वी) के अध्यक्ष तारिक़ सिद्दीकी ने एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा की 3 काले कृषि कानून किसानों पर थोपे गए थे, और उन्हें हटाने के लिए किसानों को वैसे ही लड़ना पड़ा जैसे की किसी समय पर अंग्रेज़ों से लड़ते थे। इस लड़ाई में कांग्रेस पार्टी मज़बूती से किसानों के पक्ष में खड़ी रही क्यूंकि कांग्रेस पार्टी देश के अन्नदाताओं की रक्षक है जबकि भाजपा केवल अपने पूंजीपति मित्रों की हितैशी है। सरकार ने तीनों कानून देश हित में नहीं बल्कि सत्ता खोने के डर से वापस लिए। इसलिए सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही किसानों के लिए सबसे अच्छा विकल्प है।

By: Press Release

सरकार ने मजबूरन कृषि कानून वापस लिए: तारिक़ सिद्दीकी 

 

उत्तर प्रदेश: मंहगाई हटाओ प्रतिज्ञा यात्रा के दौरान आल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस (उ.प्र. पूर्वी) के अध्यक्ष तारिक़ सिद्दीकी ने एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा की 3 काले कृषि कानून किसानों पर थोपे गए थे, और उन्हें हटाने के लिए किसानों को वैसे ही लड़ना पड़ा जैसे की किसी समय पर अंग्रेज़ों से लड़ते थे। इस लड़ाई में कांग्रेस पार्टी मज़बूती से किसानों के पक्ष में खड़ी रही क्यूंकि कांग्रेस पार्टी देश के अन्नदाताओं की रक्षक है जबकि भाजपा केवल अपने पूंजीपति मित्रों की हितैशी है। सरकार ने तीनों कानून देश हित में नहीं बल्कि सत्ता खोने के डर से वापस लिए। इसलिए सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही किसानों के लिए सबसे अच्छा विकल्प है।

 

दरअसल तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर तक़रीबन पिछले एक साल से किसान देश भर में आंदोलन कर रहे थे। दूसरी तरफ केंद्र सरकार भी कानून वापस न लेने पर अड़ी हुई थी, जिसके चलते आंदोलनकारी किसानों को कई कठिन समस्याओं का सामना करना पड़ा था। लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के विरोध का उत्तर प्रदेश और पंजाब के आगामी चुनावों में नतीजा आंकते हुए इन तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है।

 

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने सम्बोधन के दौरान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेते हुए कहा था कि, "हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि क़ानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया। किसानों की स्थिति को सुधारने के इसी महाअभियान में देश में तीन कृषि क़ानून लाए गए थे।''

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