कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हमेशा से इस बात में विश्वास रहा है कि कोविड -19 महामारी से लड़ना एक राष्ट्रीय चुनौती है, जिसे दलगत राजनीति से ऊपर रखना चाहिए। फरवरी-मार्च, 2020 से ही हमने इस दिशा में सहयोग के लिए अपने हाथ बढ़ा दिए थे।
फिर भी हम इस तथ्य से आंख नहीं मूंद सकते कि कोविड -19 की दूसरी लहर ने प्रचंड रुप से देश पर हमला किया है। ये खेद के साथ कहना पड़ेगा कि हमें तैयारी के लिए एक साल मिलने के बावजूद इस आपदा का सामना करने के लिए एक बार फिर कोई तैयारी नहीं हुई।
परिवार बिखर रहे हैं, लोगों की जिंदगियां और आजीविका समाप्त हो रही है तथा सारे जीवन की जमा पूंजी स्वास्थ्य देखभाल पर खत्म हो रही है। चिकित्सा उपकरणों और अस्पतालों में बेड्स की गंभीर अनुपलब्धता के समाचार मन में गहरी चिंता पैदा करते हैं। सारे देश से कोविड -19 के टीके और रेमेडिसविर जैसी महत्वपूर्ण जीवन रक्षक दवाओं की कमी के समाचार आ रहे हैं।
ऐसी चुनौतीपूर्ण और आपातकालीन परिस्थितियों में हम कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य पुन: मिल रहे हैं। सर्वप्रथम हम उन हजारों परिवारों के प्रति अपना दुःख और संवेदना व्यक्त करते हैं, जिन्होंने पिछले एक वर्ष के दौरान इस महामारी के कारण अपने प्रियजनों को खोया है। उनका दर्द और पीड़ा हमारा दर्द और पीड़ा है। मैं अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों और चिकित्सा कार्य में संलग्न कार्मिकों के प्रति हमारा आभार व्यक्त करती हूं, जो सभी प्रकार के गंभीर दबावों और जोखिम पूर्ण परिस्थितियों के बावजूद अभूतपूर्व सेवा प्रदान कर रहे हैं।
हम उनके कर्तव्य और समर्पण की भावना को नमन करते हैं। हाल ही में, मैंने कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और कांग्रेस गठबंधन शासित प्रदेशों में मंत्रियों के साथ वर्तमान परिस्थितियों का जायजा लेने के लिए विस्तृत चर्चा की। उस चर्चा से यह निष्कर्ष निकल कर आया कि इस संकटपूर्ण स्थिति के पूर्वानुमान, मूल्यांकन और प्रबंधन में मोदी सरकार पूर्णतया बिना तैयारी और परिहार्य तदर्थवाद की नीति पर चल रही है।
उनसे मिलने के बाद मैंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। हमारे मुख्यमंत्रियों ने भी समय-समय पर प्रधानमंत्री से बात की है और संबंधित मंत्री को राहत के लिए अनुरोध किया है। उनमें से कुछ के पास केवल कुछ ही दिनों के लिए टीके का भंडार उपलब्ध है तथा ऑक्सीजन और वेंटिलेटर भी नहीं है।
लेकिन सरकार की ओर से सन्नाटा पूर्ण चुप्पी अपना ली गई है। इसके विपरीत कुछ अन्य राज्यों को प्राथमिकता के आधार पर उपचार/ राहत उपलब्ध कराई गई है। विपक्ष के रचनात्मक सुझावों को सुनने के बजाय, उन सुझावों के लिए केंद्रीय मंत्रियों को विपक्ष पर आक्रमण करने के काम पर लगा दिया जाता है। यह ''आप बनाम मैं'' का वाद-विवाद बचकाना है और पूरी तरह से अनावश्यक है।
यह सच है कि महीनों के इंकार के पश्चात केंद्र सरकार ने अब अन्य देशों में विकसित किए गए टीकों के आपातकालीन उपयोग को स्वीकृति प्रदान कर दी है। देर आए दुरुस्त आए।
भारत ने पहले ही लगभग 6.5 करोड़ कोविड -19 वैक्सीन की खुराक का निर्यात अन्य देशों को कर दिया है। हमारे अपने देश में दुनिया में सबसे अधिक संक्रमण दर को ध्यान में रखते हुए क्या टीके के निर्यात के निर्णय को वापस नहीं लिया जाना चाहिए और हमारे नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए? अन्य देशों के प्रति उदारता की शेखी बघारने से उन हजारों लोगों की सहायता कैसे मिलेगी, जो इस संक्रमण से मर रहे हैं।
सरकार को टीकाकरण के लिए पात्रता की आयु संबंधी अपनी प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करना चाहिए और आयुसीमा को घटाकर 25 साल करना चाहिए। दमा, मधुमेह, किडनी और लीवर संबंधी बीमारियों से जूझ रहे सभी युवाओं को भी टीका लगाया जाना चाहिए।
हमारे मुख्यमंत्रियों के साथ मेरी बातचीत के दौरान जीएसटी का प्रश्न भी उठा। उनका यह मानना है कि प्रारंभिक उपाय के रूप में कोविड -19 की रोकथाम और उपचार के लिए आवश्यक सभी उपकरणों, दवाओं और सहायक उपकरणों को जीएसटी से मुक्त किया जाना चाहिए। यह गंभीर चिंता का विषय है कि रेमेडिसविर जैसी जीवन रक्षक दवाएं और मेडिकल ऑक्सीजन के साथ-साथ अन्य बुनियादी सप्लीमेंट पर भी 12 प्रतिशत जीएसटी लगाई जाती है। यहाँ तक कि ऑक्सीमीटर जैसे बुनियादी उपकरणों और वेंटिलेटर जैसे जीवन रक्षक महत्वपूर्ण उपकरणों पर भी 20 प्रतिशत जीएसटी लगाई जाती है। वर्तमान परिस्थितियों में यह अमानवीय और अमान्य है।
चूंकि केंद्र और राज्य सरकारें आंशिक रूप से कर्फ्यू, यात्रा प्रतिबंध, बंद करने और लॉकडाउन का सहारा लेकर स्थिति को नियंत्रित करने की दिशा में अग्रसर हैं। ऐसे में हम फिर से आर्थिक गतिविधियों को बाधित करेंगे, जिससे पहले से ही परेशान लोग, विशेष रूप से गरीब और दिहाड़ी मजदूर प्रभावित होंगे। इसलिए, उन्हें मासिक आय प्रदान करना और प्रत्येक पात्र नागरिक के खाते में 6,000 रुपए की राशि हस्तांतरित करना अनिवार्य है।
श्रीमती गाँधी ने कहा कि जिस प्रकार कामगार वर्ग ने पुन: अपने मूल राज्यों की और लौटना आरंभ कर दिया है, ऐसे में उनके लिए सुरक्षित परिवहन की आवश्यकता की और ध्यान देना अति महत्वपूर्ण होगा।उनके गृह राज्यों और उनके प्रवासिक राज्यों में भी उनके उपयुक्त पुनर्वास की भी गंभीर आवश्यकता है।
सोनिया ने आगे कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी पार्टी द्वारा दिए सुझावों पर भारत सरकार सच्ची लोकतांत्रिक परंपराओं की भावना के अनुरुप विचार करे। ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के रुप में लेने की अपेक्षा भारतीयों के रुप में लेना ही सच्चा राजधर्म है।
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