नई दिल्ली। जमाअत इस्लामी हिन्द ने दिल्ली के सीमावर्ती राज्यों के पास किसानों के विरोध प्रदर्शन पर कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा की और मांग की कि वह सरकार किसानों की बात सुनें, उनके प्रदर्शन के अधिकार का सम्मान करे और हाल ही में मंजूर कृषि क़ानून को रद्द करके किसानों की मांगों को पूरी करें।
जमाअत इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने मीडिया को जारी एक बयान में कहा कि जमाअत इस्लामी हिन्द इस कार्रवाई की निंदा करती है और अपना संवैधानिक हक पाने के लिए राजधानी दिल्ली तक पहुंचने के इच्छुक किसानों पर वाटर कैनन के इस्तेमाल, पुलिस की रुकावटों, लाठी चार्ज और आंसू गैस के इस्तेमाल को अनुचित रवैया क़रार देती है। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली पुलिस ने राज्य सरकार से निवेदन किया है कि प्रदर्शनकारी किसानों को हिरासत में रखने के लिए 9 स्टेडियमों को शिफ्ट जेल में तब्दील किया जाए। यह रवैया किसान समुदाय को अलग थलग कर देगा और यह धारणा फैलेगी कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए गंभीर नहीं है और न ही सरकार उनकी शिकायतों के सिलसिले में बात-चीत के लिए इच्छुक है।
जमाअत इस्लामी हिन्द ने हाल ही में पारित कृषि क़ानून पर आपत्ति जतायी थी। जमाअत इस क़ानून को संविधान की आत्मा के विपरीत और एक कल्याणकारी राज्य के खिलाफ समझती है। यह क़ानून किसानों को कमज़ोर और कॉर्पोरेटरों को मज़बूत करेगा। जमाअत ने इन क़ानून को रद्द करने की मांग की थी सरकार को चाहिए कि इन क़ानून को पारित करने से पहले किसानों को अपने भरोसे में लेती। सरकार को चाहिए के नागरिकों के शान्तिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार का सम्मान करे, उनकी मांगों को सुने और उन क़ानून में उचित संशोधन करे। असहमति की आवाज़ को ख़ामोश करने के लिए शक्ति अपनाना परिस्थिति को और भी बिगाड़ेगा, हमारे लोकतंत्र को कमज़ोर करेगा और हिन्दुस्तान की छवि धुमिल होगी। प्रदर्शनकारियों को भी इस बात को ख्याल रखना चाहिए कि असामाजिक तत्वों से सावधान रहें जो इस आन्दोलन को हिंसक बनाने का षडयंत्र रच सकते हैं।
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