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अजमेर दरगाह में ऐतिहासिक सूफी रंग फेस्टिवल का समापन

चिश्ती फाउंडेशन के प्रयासों से प्रदर्शनी में लाखों लोग पहुंचे, कलाकारों की दुनिया भर में सराहना हुई

By: Mohammad Ahmad

 

 

अजमेर दरगाह में ऐतिहासिक सूफी रंग फेस्टिवल का समापन

चिश्ती फाउंडेशन के प्रयासों से प्रदर्शनी में लाखों लोग पहुंचे, कलाकारों की दुनिया भर में सराहना हुई

 

अजमेर, 28 सितम्बर: अजमेर दरगाह परिसर में पिछले एक सप्ताह से चल रहा सूफी महोत्सव समाप्त हो गया है। इस अवसर पर जम्मू कश्मीर से लेकर उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों से आये सुलेख एवं सुलेख कला विशेषज्ञों (Calligraphy and calligraphy art experts) के साथ-साथ दुनिया भर के एक दर्जन से अधिक देशों के सुलेख एवं सुलेख कला विशेषज्ञों (Calligraphy and calligraphy art experts) ने अपनी कला का प्रदर्शन किया और कराया। प्रदर्शनी केन्द्र पर लाखों की संख्या में लोग पहुंचे और उनकी कला का सार देखा। इस कार्यक्रम का आयोजन चिश्ती फाउंडेशन की ओर से किया गया था.

 

चिश्ती फाउंडेशन के मुखिया सलमान चिश्ती ने मीडिया से कहा कि यह आजाद भारत का सबसे बड़ा त्योहार है। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह के अंदर लाखों लोग महोत्सव में आये और कलाकारों की कला का लुत्फ उठाया। सलमान चिश्ती ने कहा कि उस्ताद महमूद के मार्गदर्शन में बच्चों ने जिस तरह से कला सीखी और अपनी कला का प्रदर्शन किया वह बहुत अद्भुत था। उन्होंने कहा कि जिस तरह से खुदाम ख्वाजा इस मिशन से जुड़ रहे हैं और कल के भारत के निर्माता इसमें रुचि ले रहे हैं, वह बहुत स्वागत योग्य है।

 

 

उन्होंने कहा कि लड़कियों ने बेहतरीन तरीके से सुलेख किया और अपनी सुलेख कला (Calligraphy and calligraphy art experts) का प्रदर्शन किया। चूंकि यहां खरीद फरोख्त पर प्रतिबंध थी, इसलिए लोगों और कलाकारों ने नंबरों का आदान-प्रदान किया और उन्हें बड़े पैमाने पर रेस्पॉन्स मिल रहा है, जिससे कलाकार बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी समाप्त होने के बाद वह सीधे अपनी सुलेख और कैलीग्राफी बेचकर लाभ कमाने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से लड़कियों ने अल्लाह के कलाम को बेहतरीन तरीके से लिखा, सीखा और देखा है, उस से हम बेहद खुश हैं। जिस तरह से कलाकार अपनी कला के जरिए दुनिया को कुरान की अलग-अलग आयतों के मायने और मतलब बता रहे हैं, वह बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि लोग अपने घरों को इन तुगरों से सजा रहे हैं. और यह लापरवाही के समय उनके लिए एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है, जिस से उनको पता चलता है कि संसार में वह क्यों हैं।

 

 

सलमान चिश्ती ने आगे कहा कि यहां कला के माध्यम से यह समझाने का प्रयास किया गया है कि कैसे यूनुस (नबी) को मछली के पेट से बचाया गया था, इसलिए यह कला मालिक को जानने और खुद को पहचानने का माध्यम है। साथ ही उन के लिए एसेट भी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे कलाकारों की कला से अपने घरों को सजाने का काम करें।

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