बिलकिस बानो बलात्कारियों की रिहाई पर गृह मंत्रालय की सहमति अफसोसनाक: जमाअत इस्लामी हिन्द
20 अक्टूबर 2022, नई दिल्ली: जमाअत इस्लामी हिन्द ने बिलकिस बानो बलात्कारियों की रिहाई पर गृह मंत्रालय की सहमति पर अफसोसनाक जताया । मीडिया को दिए एक बयान में जमाअत इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष प्रो सलीम इंजीनियर ने कहा: "हम बिलकिस बानो बलात्कारियों को रिहाई पर गृह मंत्रालय की सहमति पर अफसोसनाक प्रकट करते हैं। गर्भवती बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसकी 3 साल की बेटी सहित उसके परिवार के 14 सदस्यों की हत्या के दोषी 11 लोगों की रिहाई के लिए गुजरात सरकार की संशोधित छूट नीति के तहत सहमत होकर गृह मंत्रालय ने यह धारणा दी है कि वह अपराधियों के पक्ष में है न कि पीड़िता के साथ। यह महिला अधिकारों और सशक्तिकरण के रक्षक होने के अपने खोखले दावों को उजागर करता है। इसने न केवल बिलकिस बानो और उनके परिवार के सदस्यों को बल्कि हमारे देश के वंचित वर्गों को भी आहत किया है।
यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारी व्यवस्था में बलात्कारियों को सम्मानित किया जा रहा है जैसा कि उन्नाव, कठुआ और हाथरस के मामले में देखा गया था। ऐसा लगता है कि न्याय की तुलना में सत्तारूढ़ व्यवस्था के लिए एक विशेष वोट बैंक को खुश करके राजनीतिक लाभ प्राप्त करना अधिक महत्वपूर्ण है। हम इस फैसले की निंदा करते हैं और उम्मीद करते हैं कि शीर्ष अदालत इस मामले में हस्तक्षेप करेगी ताकि आधिकारिक सरकारी नीति की आड़ में किए गए इस गंभीर अन्याय को पलटा जा सके।"
प्रो सलीम इंजीनियर ने कहा: "यह बात प्रकाश में आई है कि पुलिस अधीक्षक, सीबीआई, विशेष अपराध शाखा, मुंबई और विशेष सिविल न्यायाधीश (सीबीआई), सिटी सिविल एवं सेशंस कोर्ट, ग्रेटर बॉम्बे ने कैदियों की जल्द रिहाई का विरोध किया था। यह खेदजनक है कि गृह मंत्रालय ने इन दोषियों को यह जानते हुए भी कि वे बलात्कार और हत्या जैसे सबसे जघन्य अपराधों के दोषी हैं, क्षमादान की मंजूरी दे दी है। अगर सरकार अपने फैसले का बचाव कर रही है कि रिहाई कानून के अनुसार थी तो उसे यह महसूस करना चाहिए कि इस कदम से अपराधियों और बलात्कारियों को प्रोत्साहन मिलने की संभावना है।
वे इस बात के लिए आश्वस्त होंगे कि जघन्य अपराध करने के बावजूद जल्द या बाद में सिस्टम द्वारा जमानत मिल जायेगी। मीडिया रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि सभी 11 दोषियों को उनके कारावास के दौरान 1000 दिनों की पैरोल, फरलॉफ़ (छुट्टी) और अस्थायी जमानत का लाभ दिया गया था। इससे पता चलता है कि गुजरात सरकार उनके प्रति नरम रवैया अपना रही है। इन दोषियों को कुछ समूहों द्वारा किस तरह सम्मानित और सराहा जा रहा है, यह काफी निंदनीय है। पूरा प्रकरण निस्संदेह एक खतरनाक मिसाल कायम करता है जो हमारी न्याय वितरण प्रणाली की नींव को हिला देगा। यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय में हमारी प्रतिष्ठा को प्रभावित करने के लिए प्रयाप्त है। अगर हम लोकतंत्र और कानून के शासन को बनाए रखना चाहते हैं तो बिलकिस बानो मामले में बलात्कारियों और हत्यारों को रिहा नहीं किया जाना चाहिए।"
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