मोहम्मद अहमद
जनाब सिराजुद्दीन कुरैशी साहब अध्यक्ष इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर नई दिल्ली,
सर उम्मीद है आप खैरियत से होंगे पिछले कुछ दिनों में उर्दू के अखबारात में आपके दो बयान पढ़ने को मिले, पहला बयान जिसमें आपने कहा कि "अगर आरिफ मोहम्मद खान मुझसे बातचीत कर लेते तो इलेक्शन की नौबत ही नहीं आती" दूसरा बयान इस के बाद आया जिसकी हेड लाइन थी "इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर को सियासी बाज़ीगरों से बचाना है",
आप के दोनों बयान एक दूसरे की काट करते हैं या तो आप का पहला बयान गलत है जो आपने आरिफ मोहम्मद खान से बातचीत से संबंधित दिया है या आपका दूसरा बयान गलत है जिसमें आप ने कहा है कि इस्लामिक सेंटर को सियासी बाजीगरो से बचाना है.
मुझे मालूम है कि आप इस तरह के बयानात नहीं दे सकते, लेकिन दुख इस बात का है कि आप इस पर नोटिस भी नहीं लेते है कि कौन आप के नाम से इस तरह के बयानात अख़बारों को भेज रहा है और आप कि छवि धूमिल हो रही है. आज तो हद ही हो गयी जब आप के नाम से एक खबर आयी कि "कुछ लोग इस्लामिक सेंटर के इलेक्शन में रख्ना (रुकावट) डाल सकते हैं." (इस पर जल्द स्टोरी लिखूंगा इन शा अल्लाह)
लेकिन आज के बयान से यह बात साफ़ हो गयी है कि यह सारे आप ही के बयानात हैं क्यों कि मॉर्निंग में आप की टेबल पर अख़बारात तो होते ही होंगे और आप इन को देखते ही होंगे.
आखिर यह कौन लोग हैं जो आपके नाम से आए दिन ऐसे बयानात मीडिया को भेज रहे हैं या यह सच में आप के बयानात हैं, इस पर अपना मत स्पष्ट करिये. क्यों कि मीडिया में जो कुछ आ रहा है वह आप के नाम से है, तो ज़ाहिर सी बात है कि यह आप का ही बयान है और सच में इस से आप की छवि धूमिल हो रही है,
क्यों कि आरिफ मोहम्मद खान एक ही बात कह रहे हैं कि सेंटर को इस के मेमोरंडम ऑफ़ एसोसिएशन के अनुसार चलाया जायेगा, जो सच में अब तक नहीं हुआ है और इसे आप को भी स्वीकार करना होगा.
लोकतंत्र में आंसू बहा कर इलेक्शन नहीं जीता जाता. अगर आपन ने सच में इस्लामिक सेंटर को उस की रूह के मुताबिक़ चालाया है तो आंसू बहाने कि कोई जरूरत नहीं. बंद कमरे में अल्लाह के सामने आंसू बहाया जाता है मंच पर नहीं.
सिराज साहब अब आप ही फैसला कीजिए कि आप इस्लामिक सेंटर को किन बाजीगरो से बचाना चाहते हैं उन बाजीगरो से जिन्होंने एक आरोप के अनुसार ऐसे लोगों के मेंबर बनाया जो इस के अहल तक नहीं थे और उन कि पेमेंट आप ने की. या उन बाजीगरो से जिन्होंने पिछले 15 सालों में एक नहीं बल्कि अनेक नेताओं को उनकी जी हुजूरी कर के सेंटर की एज़ाज़ी मेम्बरशिप दी. क्या सच में उन्हों ने आप से कहा था की मुझे ऐजाज़ी मेम्बरशिप दीजिये. इस का जवाब न में ही होगा. क्या सेंटर के अध्यक्ष का यही काम है.
याद रखिये आप के पास वह अमानत है कि अगर ओबामा या ट्रंफ भी दिल्ली आते हैं तो वह इस्लामिक सेंटर बगैर बुलाये आएंगे और आप दूसरों को ज़बरदस्ती मेम्बरशिप देने के लिए ....
या आप उन बाजीगरों की बात कर रहे हैं जिन्होंने पिछले 15 सालों में इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर को उसकी रूह से भटका दिया, जिन उद्देश्यों के लिए इसे कायम किया गया था उन से दूर करके उसे एक क्लब बना दिया और अगर क्लब भी पूरा बनाते तो बात ठीक होती, लेकिन वह भी आधा-अधूरा कि मेंबर के बैठने के लिए एक टेबल कुर्सी तक नहीं है. अगर रात 9:10 बजे जब कैंटीन बंद हो जाए उसके बाद गेस्ट हाउस में रुकने वाले लोगों को एक कॉफी भी मयस्सर नहीं हो सकती और कुछ खाने की ख्वाहिश हो तो खाना भी नहीं मिल सकता. ऐसा क्लब किस काम का.
सिराज साहब मुझे नहीं मालूम कि यह खत आप तक पहुंचेगा या नहीं लेकिन मैं चाहता हूं कि जो सच्चाई है उसे आप तक पहुंचा दिया जाए. आप उन सियासी बाज़ीगरों को जरूर चिन्हित करिए जिन्होंने इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर को गरीब बच्चों के लिए नहीं बल्कि अमीरों का क्लब बना दिया. यहां एक आम आदमी 3000 4000 रुपए के कमरों में कैसे रह सकता है, आप खुद सोचिए गा.
आम हिंदुस्तानी मुसलमान जो गांव देहात में रहता है गरीब है, क्या सेंटर उसके बच्चों के लिए है, या नेताओं को फ्री में मेम्बरशिप देने कि लिए है. आप खुद बताइये क्या सेंटर को आप इन बाज़ीगरों से
बचाना चाहते हैं, यदि हां तो मैं आप का सहयोग करने के लिए त्यार हूं.
या आप बीजेपी के उस नेता की बात कर रहे हैं एक आरोप के अनुसार जिन का फ़ोन आने पर आप ने उनके आदमी के अपने BOT में ले लिया और एक डॉ को निकाल बहार फेंक दिया. एक आरोप के अनुसार सेंटर के कमरे बाहर से आने वाले लोगों के फ्रेश होने के लिए फ्री में खोल दिए जाते हैं, तो क्या सेंटर ओब्लाइज करने कि लिए है, अगर यह बात सच है तो. लोग जनना चाहते हैं कि यह सब किन बाज़ीगरों के इशारे पर हो रहा है.
क्या इस्लामिक कल्चर सेंटर इसी के लिए बनाया गया था और इंसाफ इसी का नाम है
.................... जारी है.
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