इम्पार के खिलाफ निहित स्वार्थों द्वारा चलाए जा रहे निरंतर प्रेरित एजेंडे को देखकर मुझे दर्द और पीड़ा होती हैI इम्पार के काम को बदनाम करने के लिए, इसे भाजपा, आरएसएस, एमआरएम आदि जैसे विभिन्न दक्षिणपंथी संगठनों से जोड़ने के लिए एक बार फिर से शातिर अभियान का एक नया दौर शुरू किया गया है। ये आरोप पूरी तरह से झूठे और मनगढ़ंत हैं, और यकीन के साथ इसमें एक तिनके की भी सच्चाई नहीं है। हमने अब तक हमने इस सोंच के तहत कि झूठे प्रचार का जीवन अल्प होता है और हमें प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन मौन को कभी-कभी गलत समझा जाता है इसलिए मैं अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करता हूं:
1. न तो संगठन के रूप में इम्पार और न ही इसके किसी भी प्रमुख सदस्य का किसी राजनीतिक दल या वैचारिक समूह से कोई लेना-देना नहीं है। इम्पार सख्ती से गैर-राजनीतिक है। चूंकि आरोप इम्पार के बजाय व्यक्तिगत रूप से मेरे बारे में अधिक हैं, इसलिए मैं अपने मामले को स्पष्ट करता हूं। इस सरकार में एक दर्जन से अधिक मंत्रियों के साथ मेरे अच्छे संबंध हैं और निश्चित रूप से पिछले 22 वर्षों में किसी भी पिछली सरकार में ऐसे ही रिश्ते रहे हैं। मैं 1991 से 2015 तक विभिन्न राजनीतिक दलों का सदस्य भी रहा हूं, जिसमें भाजपा (2013-2015) के साथ एक संक्षिप्त जुड़ाव भी शामिल है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि IMPAR को किसी पार्टी या विचारधारा से प्रेरित या जोड़ा जाए, चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, जहां मैंने 11 लंबे साल बिताए?
2. इम्पार का गठन एक असाधारण स्थिति में अप्रैल, 2020 के पहले सप्ताह में 200 से अधिक प्रमुख मुसलमानों द्वारा एक आपातकालीन प्रतिक्रिया के रूप में उन्मादी मीडिया द्वारा कोरोना जिहाद के नाम पर बनाई गई बेहद खतरनाक और घृणित मुस्लिम विरोधी स्थिति से निपटने के लिए किया गया था। अगर कोरोना जिहाद नहीं होता तो इम्पार नहीं होता। जो लोग यह आरोप लगा रहे हैं कि इम्पार सरकार द्वारा बनाया गया था, उनमें बुनियादी स्तर की समझ का भी अभाव है। क्या वे वास्तव में मानते हैं कि मोदी सरकार कोरोना बनाने के लिए वुहान (चीन) जाएगी और फिर अपनी ही अर्थव्यवस्था को तबाह करने के लिए उसे भारत लाएगी और फिर मीडिया को कोरोना जिहाद परियोजना चलाने के लिए कहेगी और फिर इम्पार बनाने के लिए मुझसे संपर्क करेगी?
3. आरोप लगाए जाते हैं कि मैंने राजनीति में आने के लिए इम्पार बनाया है। किसी पार्टी में शामिल होने के लिए, क्या मुझे इम्पार की आवश्यकता है? जहां तक भाजपा का सवाल हैं, मैं चाहता हूं कि जरूरत के समय में कुछ सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए और अधिक मुसलमान भाजपा में शामिल हों। हमें समझना चाहिए कि बीजेपी को न तो हमारे वोट चाहिए और न ही नोट। और न ही वैचारिक समर्थन। हकीकत में मुसलमान जितना आक्रामक रूप से भाजपा का विरोध करते हैं, उसे राजनीतिक रूप से उतना ही अधिक लाभ होता है। क्या हमारे पास बुनियादी स्तर के समझ की भी कमी है जब हम यह मानने लगते हैं कि इम्पार मुसलमानों को आरएसएस के करीब लाने के लिए बनाया गया था, जबकि उनके हित हमारे विरोध में हैं? कभी-कभार फोटो खिंचवाने और बयानबाजी के अलावा, उन्हें मुसलमानों की जरूरत नहीं है? अगर किसी को लगता है कि भाजपा हमारे प्यार के लिए या हमारे वोटों के लिए मर रही है, तो वह या तो खुद को मूर्ख बना सकता है या समुदाय को गुमराह करने का प्रयास कर रहा है।
4. आरोप है कि मैं राजनाथ सिंह के लिए काम कर रहा हूंI इसमें कोई शक नहीं कि पिछले २० वर्षों में, मैं भाग्यशाली हूं कि उन्होंने मुझ पर इतना भरोसा किया। और भारत के गृह मंत्री के रूप में उन्होंने मुसलमानों के लिए जो कुछ किया, कोई भी घोषित धर्मनिरपेक्ष नेता भी नहीं करेगा। और राजनाथ जी निश्चित रूप से ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जो मुसलमानों के लिए कुछ भी बुरा चाहते हैं। मैंने उनमें मुसलमानों के लिए दर्द और चिंता देखी है। यदि राजनीतिक नेताओं के साथ कामकाजी संबंध होने का मतलब किसी एक या दूसरे का आश्रित होना है, तो मुझे यह कहते हुए खेद है कि यह केवल हमारा मानसिक दिवालियापन है?
5. यह धारणा बनाने का भी जानबूझकर प्रयास किया जा रहा है कि इम्पार को सरकार या RSS द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। मुझे नहीं पता कि सरकार या आरएसएस ऐसी परियोजनाओं के लिए धन देती है या नहीं, लेकिन यदि ऐसा है, तो मुझे इस तरह के धन को लेने और उसका उपयोग समाज के कल्याण कार्यों के लिए उपयोग करने में कोई नुकसान नहीं दीखता है। इम्पार का आकलन इस बात से होना चाहिए कि वह क्या कर रहा है, न कि अफवाहों और प्रचार से। जब हम समय पर वेतन का भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रहे थे और आधे कर्मचारी महीने-दर-महीने देरी होने से नौकरी छोड़ चले गए, उस समय प्रचार यह था कि इम्पार को आरएसएस द्वारा 500 करोड़ रूपये दिए गए? दुर्भाग्य से, भाजपा में एक बहुत ही प्रमुख मुस्लिम के नेतृत्व में उल्टा प्रचार भी हो रहा है, जो इम्पार को मोदी-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी साबित करने के लिए दिन रात एक किये पड़ा है। पिछले 16 महीनों में इम्पार ने 1000 गतिविधियाँ की होंगी। क्या एक भी गतिविधि को मोदी विरोधी या राष्ट्र विरोधी या सरकार समर्थक या भाजपा समर्थक के रूप में इंगित किया जा सकता है?
6. इम्पार आपातकालीन स्थिति में बनाया गया जिसका मकसद मुसलमानों के बारे में धारणाओं में सुधार लाने और उनके सामाजिक व आर्थिक सशक्तिकरण पर काम करना था। कुछ लोगों की राजनीतिक पृष्ठभूमि और झुकाव हो सकता है, लेकिन यह मंच सख्ती से गैर-राजनीतिक है। हम यहां न तो बीजेपी का विरोध कर उसे मजबूत करने का प्लान करते हैं और न ही समुदाय में मतभेद पैदा करने के लिए बीजेपी का समर्थन करते हैंI मुझे लगता है कि यह अभी शुरुआत है। कई और मुसलमान, जिन्हें इम्पार में नेतृत्व की भूमिका नहीं मिलेगी, वे इसको आरएसएस द्वारा वित्त पोषित बताएँगे और कुछ इसे दाऊद इब्राहिम या ISI द्वारा वित्त पोषित होने का भी आरोप लगाएंगे। ऐसा लगता है कि यह हमारे समाज का सामान्य चरित्र बन गया है। इम्पार हर वह काम करता रहा है जो हमारी समझ में समुदाय के लिए अच्छा है, इस बात की परवाह किए बिना कि क्या इससे सरकार या कोई पार्टी या व्यक्ति नाराज़ होगा?
7. इम्पार बन भी नहीं पाया था की एक पूर्व सांसद द्वारा इम्पार के बारे में पूरी तरह से फर्जी और सभी प्रकार के झूठे और बेतुके आरोप लगाए गएI मुझे आश्चर्य हुआ कि जो लोग इस ब्यक्ति को अच्छी तरह से जानते थे वह चुप रहे। जब हम भयावह स्थिति से चीजों को निकालने के लिए संघर्ष कर रहे थे, इस पूर्व सांसद के नेतृत्व में एक समूह द्वारा एक षड़यंत्र रचा जा रहा थाI इस ब्यक्ति का राजनीतिक जीवन हर अवसर पर केवल भावनात्मक रूप से मुस्लिम समाज का शोषण करने के लिए आंसू बहाकर मुसलमानो की राजनीति करते हुए फला-फूला। एक राजनीतिक रूप से समाप्त व्यक्ति ने एक ऐसे समय में इम्पार को लक्षित करके अपने करियर को पुनर्जीवित करने का अवसर देखा, जब समुदाय अभूतपूर्व संकट की स्थिति से गुजर रहा था, और हम उस स्थिति से निपटने के लिए दिन-रात आपातकालीन मोड में काम कर रहे थे।
8. इम्पार ने बहुत ही कम समय में प्रमुख चुनौतियों का सामना किया। लेकिन, प्रशंसा के बजाय यह आरोप लगाया जाता है कि भाजपा इम्पार को कामयाब करने में मदद कर रही है ताकि वह भविष्य में मुसलमानों को गुमराह कर सके? क्या मुसलमान आलू हैं जिसे मैं या कोई भी ट्रक में लाद कर भाजपा मुख्यालय में उतार सकता है? और क्या भाजपा उन्हें अपने मुख्यालय में उतारने की अनुमति देगी, जबकि उसका अस्तित्व जाहिर तौर पर मुसलमानों के विरोध में है? क्या हमारे तथाकथित बुद्धिजीवियों ने अपनी बुद्धि को गिरवी रख दिया है? इन पथभ्रष्ट और प्रेरित साथियों को मेरी सलाह है कि खुद पर भरोसा रखें। जिस दिन इम्पार आपसे बीजेपी को वोट या नोट देने या मोदी/आरएसएस का समर्थन करने के लिए कहता है, कृपया दूर हो जाएं और पूरी तैयारी से हमला शुरू करें। यह अधिक विश्वसनीय और अधिक न्यायसंगत होगा।
9. जब हम भारी संकट की स्थिति से निपट रहे थे, यह पूर्व सांसद महोदय इम्पार के प्रमुख सदस्यों को फ़ोन कर और सौ फीसद झूठे आरोपों के साथ एक पत्र प्रसारित करने के अभियान में लगे थे। जो लोग इस व्यक्ति को अच्छी तरह से जानते थे, वे भी उसके आंशुओ से एक बार फिर भ्रमित हो गए। कभी "कौम की इंडस्ट्री" के नाम पर, कभी "संसद में कौम नुमाइंदा" के नाम से और कभी "कौम का अपना चैनल" के नाम से यह साहब हर कुछ वर्षों में भोले-भाले मुसलमानों को लूटने के लिए एक नई योजना के साथ आते हैं, जो इन साहब के आंसू बहाने वाले भाषणों और रोने वाले वीडियो देख कर फिर से पैसा दे बैठते हैं। कौम के नाम पर, इसने जीवन भर केवल कौम के लोगों के साथ ही वित्तीय धोखाधड़ी की है। मुझे यह जानकर वाकई खुशी होगी कि उसके शिकार लोगों में कम से कम एक गैर-मुस्लिम भी है?
10. हमने एक समुदाय के रूप में 1400 साल पहले पैगंबर मुहम्मद साहब के जीवन से और 140 साल पहले सर सैयद अहमद खान और मीर सालार जंग से सीखने से इनकार कर दिया। क्या हम फिर वही गलतियाँ दोहरा रहे हैं? सर सैयद को हराने के लिए सभी प्रेरित और पथभ्रष्ट, नकारात्मक और प्रतिगामी तत्व, जो उन पर हर संभव आरोप लगाते थे, सफल हो जाते तो सर सैयद का क्या नुकसान होता? इसकी कीमत मुस्लिम समाज चुकाता ना की सर सैयद? अगर वही मानसिकता आज इम्पार को हराने में सफल हो जाती है, तो मेरा क्या नुकसान होने वाला है? मुझे इम्पार के लिए अपने परिवार, कैरियर व पेशे, और कॉर्पोरेट और राजनीतिक संबंधों के रूप में एक बड़ी कीमत चुकाना पड़ रही हैI सिस्टम में मेरा मूल्य, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर, किसानों के एजेंडे और कृषि पर मेरे 30 वर्षों के काम के लिए है, न कि इम्पार के कारण।
11. आज मेरी राय में इम्पार अपनी क्षमता के केवल 10% पर काम कर रहा है, तो कितने लोग दुश्मन हो चुके हैं। कल, जब यह 100% गति से काम करेगा और जब मुस्लिम युवाओं द्वारा कई दर्जन और ऐसे संगठन बनाए जाते हैं, जिनकी छमता और काम की गति इम्पार से भी बहुत अधिक हो होगी तो क्या ये तथाकथित मुस्लिम बुद्धिजीवी सामूहिक रूप से अरब सागर में कूदेंगे? मैं अपने पथभ्रष्ट मुस्लिम भाइयों के साथ-साथ प्रेरित लोगों को भी एक सलाह देता हूं। हाल ही में पांच उत्कृष्ट पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, जिनके लेखक हैं 1. लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीरुद्दीन शाह 2. डॉ एसवाई कुरैशी 3. श्री के रहमान खान 4. सुश्री ग़ज़ाला वहाब और 5. डॉ ख्वाजा इफ़्तेख़ार अहमद। कृपया जीवन में कुछ ज्ञान और व्यावहारिक दृष्टिकोण रखने के लिए इन किताबों को पढ़ लें व रचनात्मक काम कर लें या जीवन में या फिर बिना सिर के मुर्गियों जैसे अफवाह फैलाने के कार्य में लगे रहें?
12. मुझे अक्सर हमारे समुदाय की मानसिकता पर आश्चर्य होता है, जैसे कि वे वास्तव में यह मानते हैं कि झूठे आरोप और आरोप लगाना जन्नत का पासपोर्ट है? और मानो क़यामत के दिन इन लोगों को जवाबदेही से छूट मिल गई हो? पिछले सत्रह वर्षों से जब से मैं मुस्लिम मामलों में शामिल रहा हूं, मैं समुदाय में उल्लेखनीय प्रवृत्ति को देख सकता हूंI झूठे आरोप लगाने में ज़बरदस्त जल्दबाज़ी की प्रबलता को देख सकता हूं। ऐसा लगता है की निराधार आरोप लगाने की प्रवृति जैसे धार्मिक आस्था का हिस्सा हो और जैसे यही सबसे नेक काम हो?
13. जाहिर तौर पर कम पढ़े-लिखे लोगों की तुलना में उच्च स्तर की शिक्षा वाले लोगों में यह प्रवृत्ति अधिक है। मुझे यह मानसिकता दिल्ली के सेमिनार सर्किट में, अमेरिका में एनआरआई और भारत और दुनिया भर में एएमयू लॉबी में इतनी प्रबल दिखती है कि वे हर प्रचार और हर नकारात्मक कहानी को इस तरह लेते हैं जैसे कि यह एक दिव्य संदेश हो। मुझे यह आभास हुआ कि राजनीतिक तत्व मुख्य रूप से इस व्यवसाय में इसलिए शामिल हैं ताकि पब्लिक लाइफ में प्रवेश करने वाले लोगों के प्रदर्शन के किसी भी संभावित खतरे को दूर किया जा सके, क्योंकि वे केवल भावनात्मक भाषणों और नकारात्मक कहानियों और ज़ुल्म और ज़्यादती के किस्से बेचने पर ही पनपे हैं?
14. अतीत के नेताओं और उनके प्रेरित अनुयायियों को यह समझना चाहिए कि समाज तेजी से बदल रहा है और आज का युवा आकांक्षी और व्यावहारिक है, जो समाज में सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए मार्गदर्शन और समाधान की तलाश में है, न कि भावनात्मक भाषणों की खुराक को प्राप्त करने के लिए या किसी के राजनीतिक घोंसले या धार्मिक संप्रदाय के लिए। ऐसा लगता है कि पिछले 140 सालों में हम अपनी सोच में एक इंच भी आगे नहीं बढ़े हैं। हम सर सैयद का जश्न मनाते हैं, लेकिन उनके कार्यों व आदर्शों के ठीक विपरीत करते हैं ? व्यावहारिक समाधानों के लिए जाने के बजाय और हमारे लिए क्या फायदे का काम हो सकता है इसके बजाए हम लगभग अनिवार्य रूप से अपने विनाश का रास्ता चुनते हैं और फिर विफलता के लिए सभी पर आरोप लगाने और शाप देने के लिए दौड़ पड़ते हैं। यह नकारात्मकता और प्रतिगमन हमें कहां ले जाएगा? और क्या समुदाय के रूप में हम तथ्यों के किसी विश्लेषण की तुलना में अफवाहों से अपनी राय नहीं बनाते हैं?
अंत में, मैं समुदाय को विश्वास दिलाता हूं कि इम्पार जीवित रहेगा क्योंकि इसका बिस्वास सेवा करने में हैI चाहे कितने भी नकारात्मक और विघटनकारी तत्व एक साथ हो जाएँ और इसकी मृत्यु की कामना करें इंशा अल्लाह कोई फर्क नहीं पड़ेगाI कितने झूठे आरोप और प्रचार योजनाएं क्यों न शुरू की जाएँ इम्पार अपने काम पर केंद्रित रहेगा और सेवा के लिए प्रतिबद्ध रहेगा। जब अलीगढ़ शिक्षा आंदोलन शुरू हुआ तो उन्हीं सिरविहीन मुर्गियों ने अपने स्तर पर पूरी कोशिश की आखिर में उनका हश्र क्या हुआ? इम्पार के खिलाफ तीन दौर के शातिर अभियान चलाये गए नतीजा क्या रहा? इम्पार इंशा अल्लाह इस तरह के और भी कई दुष्प्रचारों से अपने को बचाने में कामयाब होगा। लेकिन, मुझे आश्चर्य होता है कि क्या हम इस्लाम के मानने वाले लोग जानबूझकर झूठे आरोप लगाने के व्यवसाय में शामिल होने के लिए स्वतंत्र हैं? क्या हम क़यामत के दिन अपने कामों के लिए जवाबदेह न ठहराए जायेंगे?
डॉ. एमजे खान
अध्यक्ष और संचालन समिति सदस्य, इम्पार
mjkhan@impar.in ; +91-9560097890
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