नयी दिल्ली: मुत्तहिदा मिल्ली मजलिस की ओर से आज प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में आयोजित एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए मुफ़्ती एजाज अरशद क़ासमी ने कहा कि आज देश एक बहुत ही नाजुक युग से गुज़र रहा है। एक तरफ हिन्दू-मुस्लिम एकता को खत्म कर के देश को सांप्रदायिकता और नफरत की आग में झोंक कर साम्प्रदायिक शक्तियां अंग्रेजों के बांटो और राज करो के सिद्धांतों का पालन कर रही हैं। मुफ़्ती एजाज अरशद ने कहा कि आज धर्मनिरपेक्ष दल अपनी उस विचारधारा से छुटकारा पाना चाहते हैं, जिसे उन्होंने धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए किया था।
उन्हों ने कहा कि कांग्रेस पर आरोप है कि यह नरम हिन्दुत्त्व के रास्ते पर जा रही है। पिछड़ा समाज ख़ास कर मुसलमानों, दलितों और आदिवासियों की कोई भी चिंतित नहीं है।अल्पसंख्यक, विशेष कर मुस्लिम, दलित और आदिवासी सुरक्षित नहीं हैं। उन्हें द्वितीय श्रेणी का शहरी बनाने की कोशिश हो रही है और धर्मनिरपेक्ष पार्टियां चुप हैं, जोकि देश और समाज के लिए घातक है।
वर्तमान में, राजस्थान समेत देश के तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। कहा जाता है कि अगर किसी को भी ख़त्म करना है, तो उसे राजनीतिक रूप से कुचल दो, वह बे मौत मर जाएगा। आज, मुसलमानों पिछड़ों और दलितों के साथ यही नीति अपनाई जा रही है। दलितों के आरक्षण के बावजूद, उन लोगों को टिकट दिया जाता है जो अपनों के नहीं बल्कि पार्टियों के माउथ पीस हैं।
भाजपा सबका साथ सबका विकास का नारा देते हुए चुनाव के बाद यह प्रचार करने में लग जाती है कि मुसलमानों ने उसे वोट दिया, लेकिन जब मुसलमानों के प्रतिनिधित्व की बात आती है तो वह इफ और बट कर के उसे टाल देती है। कांग्रेस जो शुरू से एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी रही, जिस ने हमेशा इस बात की घोषणा की कि वह गरीबों और कमजोरों की पार्टी है खुद कांग्रेस के मुखिया (अध्यक्ष) राहुल गांधी ने अभी हाल ही में अपने ट्वीट में इस बात को स्वीकार किया था कि उनकी पार्टी समाज के हर गरीब और कमजोर के साथ खड़ी है।
सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के बाद, अब गरीबी पर चर्चा करने की कोई आवश्यकता नहीं है, इसलिए, हमारी अपील मुसलमानों और गरीब लोगों को उनकी आबादी के अनुसार टिकट देने की है।
अगर हम राजस्थान के उदय पुर मंडल के बारे में बात करें तो आज तक मुस्लिम को टिकट नहीं दिया गया। दिल्ली में, जहां मुस्लिमों की बड़ी आबादी है, कांग्रेस पार्टी के नेता जगदीश टाइटलर ने धमकी दी (मीडिया रिपोर्ट के अनुसार) कि मुसलमानों को दिल्ली से लोकसभा टिकटों का सपना देखना बंद कर देना चाहिए।
राजस्थान में धर्मनिरपेक्ष दल मुसलमानों की अनदेखी कर रहे हैं, अगर उन को मुसलामानों का वोट चाहिए तो टिकट भी देना पड़ेगा, अन्यथा, उन्हें भूल जाना चाहिए कि मुसलमान उनके बधुआ मज़दूर और वोट देने के लिए मजबूर हैं।
मुसलमानों को यह डर दिखाया जा रहा कि साम्प्रदायिक शक्तियां सत्ता में आ जाएंगी लेकिन धर्मनिरपेक्ष दलों को यह नहीं भूलना चाहिए कि संविधान और कानून बचाना सिर्फ मुसलमानों की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि उनकी भी इतनी ही जिम्मेदारी है और साथ ही अन्य समाज के लोगों की भी उतनी ही जिम्मेदारी है.
अगर मुसलमानों को उनकी आबादी के आधार पर टिकट नहीं दिया गया तो हम मजबूर होंगे धर्मनिरपेक्ष दलों के खिलाफ आंदोलन चलाने के लिए इसलिए हमारी एक ही मांग है कि मुसलमानों को उनकी आबादी के आधार पर टिकट दिया जाए और दलित और पिछड़े समाज के हितों की अनदेखी ना की जाये।
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