नई दिल्ली । आल इंडिया माइनॉरिटीज फ्रंट के अध्यक्ष डॉ सैयद मोहम्मद आसिफ ने केजरीवाल सरकार को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त कर दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार कोरोना सुनामी से निपटने के उपायों के बदले अभी भी आंकड़ों के उलटफेर में व्यस्त हैं।
डॉ आसिफ ने यहाँ जारी बयान में कहा है कि केजरीवाल ने देश की राजधानी को कोरोना का शहर बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के बदले उन्होंने इसे चौपट कर दिया है। कोरोना अस्पताल दोजख बना दिये हैं और अस्पतालों से 1700 कोरोना बेड कम कर दिए और और प्रचार के लिए रामलीला मैदान में 500 बिस्तरों का अस्थायी कोरोना अस्पताल बनवा रहे हैं।उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार अपने प्रचार और रस्मअदायगी वाले काम कर रही है।
राष्ट्रपति को लिखे पत्र में डॉ आसिफ ने बताया कि दिल्ली के लोगों को हर तरह की परेशानी में सहायता उपलब्ध कराने के लिए 14 महत्वपूर्ण नेता व अधिकारियों के जो फोन नंबर जारी किए उनमें से किसी नम्बर पर बात नहीं हो पा रही है। कुछ फोन बन्द है कुछ आउट ऑफ रीच हैं कुछ की सिर्फ घंटिया बजती रहती है। ऐसे में जनता मदद की गुहार करे भी तो कहां करे।
डॉ आसिफ ने राष्ट्रपति की पत्र के माध्यम से माँग करते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में विगत कई दिनों से सामान्य नागरिक अस्पताल में भरती न हो पाने और ऑक्सीजन कि उपलब्धता न हो पाने के कारण तड़प तड़प कर मौत का ग्रास बन रहे हैं।
इस वैश्विक आपदा के प्रबंधन में राज्य सरकार का कार्यकलाप पूर्णतया गैर जिम्मेदाराना और लापरवाही वाला रहा है । दिल्ली सरकार ने अपने झूठे प्रचार और प्रसार पर करोड़ों रूपय विज्ञापन पर तो खर्च किए लेकिन महामारी से निपटने कि कोई तैयारी नही की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रिय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में नागरिक चिकित्सा व्यवस्थाओं के आभाव में जनता सड़कों पर दम तोड़ने को विवश हैं जबकी ऑक्सिजन गैस और दवाइयों कि कालाबजारी हो रही है ।सरकार अभी भी सिर्फ बयानबाज़ी और हाथ पे हाथ रखकर बैठी हुई है।
राष्ट्रपति को अपने पत्र में आल इंडिया माइनॉरिटीज फ्रंट ने लिखा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पूर्ण रूप से चरमरा गई है और प्रदेश इस भयावह स्थिति में अराजकता कि तरफ बढ़ रहा है ।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी दिल्ली सरकार को लताड़ते हुए कहा कि “ अपने घर को संभालिए । यदि आप ऐसा नहीं कर सकते , तो हमें बताएं , हम केंद्र सरकार को इसे संभालने के लिए कहेंगे , लोग मर रहे हैं । " महोदय एक लोकतान्त्रिक सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों के जीवन कि रक्षा हेतु उचित चिकित्सा सुविधाओं का प्रबंधन करे ।
प्रदेश सरकार ने गत एक वर्ष से इस दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए हैं जबकी महामारी कि दोबारा तेजी से फैलने कि रिपोर्ट आ रही थी । डॉ आसिफ ने कहा कि सरकार नागरिकों को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने कि अपेक्षा करोना महामारी से होने वाली मौत के आंकड़ो से खिलवाड़ कर अपनी नाकामियों को छुपाने में व्यस्त है । उन्होंने कहा कि यह वक्त आपदा से निपटने है न कि व्यक्तिगत प्रचार का।
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