नई दिल्ली, 30 मई। देश के विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों और धर्मगुरुओं ने संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर कोरोना महामारी के दौरान देश में उत्पन्न संकट की ओर सरकार का ध्यान आकृस्ट कराने का प्रयास किया। इस पत्र में सरकार को धर्मगुरुओं की ओर से हर संभव मदद देने का प्रस्ताव भी रखा गया है।
प्रधानमंत्री एवं विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को प्रेषित उक्त पत्र में उल्लेख किया गया है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर एक भयानक सुनामी साबित हुई। पत्र में इस बात को भी इंगित किया गया कि दूसरी लहर के सामने हमारी व्यवस्थाएं और स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा बड़ी हद तक बेबस और लाचार नज़र आया। स्वास्थ्य सम्बंधित मूल सुविधाओं का संकट वास्तव में चिंताजनक था। सरकार, सरकारी तंत्र एवं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य कर्मियों के अथक प्रयासों के बावजूद बड़ी संख्या में मौंतें हुईं । सामजिक एवं धार्मिक संगठनों व आम लोगों ने भी हर संभव संबल और सहायता पहुंचाना अपना दायित्व समझा। धर्मगुरुओं का मानना है कि इस बड़ी चुनौती का, जो अभी हमारे सामने है और आगे आने वाली बड़ी चुनौतियों, जैसे तीसरी लहर, ब्लैक फंगस, व्हाइ्ट फंगस आदि का सामना सरकार, जन-संगठन, सामाजिक व धार्मिक संगठन और आम जनता मिल कर ही कर सकते हैं।
विगत दिनों ‘कोराना महामारी की आपदा: धर्मगुरुओं का देश के नाम संदेश’ विषय पर एक ऑनलाइन प्रेस कान्फ्रेंस भी आयोजित की गई थी। जिसमें धर्मगुरुओं के स्वंय के दायित्व, जनता के दायित्व और सरकार के दायित्व पर विस्तार से चर्चा हुई। धर्मगुरुओं ने बताया कि सभी धर्मों के लोगों एवं संस्थाओं ने बिना किसी भेद-भाव के मानव सेवा को अपना धर्म समझा। यही भारत देश की वास्तविक पहचान एवं शक्ति है। आपसी प्रेम और सहानुभूति के इन उदाहरणों ने समाज में आपसी विश्वास के वातावरण को सुदृढ़ किया है।
पत्र में सुझाव भेजा गया है कि यदि प्रधानमंत्री उचित समझे तो विभिन्न धर्माचार्यों और समाज सेवी संगठनों के साथ संवाद व विचार विमर्श के लिए शीघ्र ही एक ऑनलाइन मीटिंग का आयोजन करें। पत्र में केंद्र व राज्य सरकारों से अपील की गई है कि उन्हें चाहिए कि आपदा की ऐसी परिस्थितियों में समाजिक एवं धार्मिक संगठनों, धर्माचार्यों व समाज सेवियों से संवाद व सलाह मश्विरा की प्रक्रिया को प्रभावी बनायें ताकि सभी मिलकर इन चुनौतियों का सामना कर सकें। आपदा की इस भयानक परिस्थिति में दवाइयों व स्वास्थ उपकरणों के ग़ैर-क़ानूनी भंडारण और कालाबाज़ारी को सख्ती से नियंत्रित किया जाना चाहिए और ऐसे अपराधियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून व हत्या जैसे अपराधिक क़ानून के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। देश के हर नागरिकों को निःशुल्क टीका लगाया जाए। बीमारों का निःशुल्क इलाज हो। बेरोज़गार हुए प्रभावित परिवारों को आर्थिक मदद पहुंचायी जाए। जिन परिवार के एक मात्र आर्थिक स्त्रोत थे और इस महामारी में मृत्यु हो गयी उनके परिजनों को उचित मुआवज़ा दिया जाए। इन हालात से सबक़ लेते हुए हमें सरकारी स्वास्थ सुविधाओं को कई गुना बढ़ाने पर कार्य शुरू किया जाना चाहिए और हमारे वार्षिक बजट में स्वास्थ का बजट सकल घरेलू उत्पाद को 6 प्रतिशत तक करने में अब और विलम्ब नहीं करना चाहिए।
हस्ताक्षरकर्ताः
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