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कौशल और प्रतिभा के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए भारत और जर्मनी का समझौता

द्विपक्षीय संबंधों समेत क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर जर्मनी की विदेश मंत्री अन्नालेना बेयरबॉक से हुई चर्चा: एस. जयशंकर

By: वतन समाचार डेस्क

कौशल और प्रतिभा के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए भारत और जर्मनी का समझौता

द्विपक्षीय संबंधों समेत क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर जर्मनी की विदेश मंत्री अन्नालेना बेयरबॉक से हुई चर्चा: एस. जयशंकर

 

 

जर्मनी की विदेश मंत्री अन्नालेना बेयरबॉक दो दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंची हैं। भारत पहुंच कर उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और कई एहम मुद्दों पर समझौता हस्ताक्षर किये। विदेश मंत्रालय के अनुसार 2019 में भारत और जर्मनी के बीच प्रवासन और गतिशीलता साझेदारी को लेकर साझेदारी की घोषणा का क्रियान्वयन करते हुए सोमवार को एक व्यापक प्रवासन और गतिशीलता साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते पर हस्ताक्षर करने के अवसर पर भारत में जर्मन राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन और भारत और जर्मनी सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। समझौते में कौशल और प्रतिभा के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए गतिशीलता और रोजगार के अवसरों को सुविधाजनक बनाने के लिए विशिष्ट प्रावधान हैं।

 

 

विदेश मंत्री ने दी मुलाकात की जानकारी

 

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्वीट किया कि 'जर्मनी की विदेश मंत्री अन्नालेना बेयरबॉक के साथ विस्तृत बातचीत हुई। हमने हमारे जारी संवाद को इस बार और अधिक विस्तार से आगे बढ़ाया। साथ ही द्विपक्षीय संबंधों और कई महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर हमारे साझा दृष्टिकोण की समीक्षा की।

 

 

भारत-जर्मनी के बीच हुए प्रवासन एवं गतिशीलता समझौते के तहत जर्मनी हर साल भारतीयों के लिए तीन हजार जॉब सीकर वीजा प्रदान करेगा। साथ ही जर्मन में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों को अध्ययन पूरा करने के बाद 18 महीने का विस्तारित रेजिडेंट परिमट प्रदान करेगा। जर्मन स्किल्ड इमिग्रेशन एक्ट 2020 के तहत गैर-यूरोपीय संघ के देशों के श्रमिकों के लिए अवसरों का विस्तार किया है। 2023 की शुरुआत में लागू होने वाले एक नए कानून के माध्यम से जर्मनी की सरकार विदेशों से योग्य श्रमिकों के प्रवासन को महत्वपूर्ण रूप से सुविधाजनक बनाने का प्रस्ताव करती है। भारत-जर्मनी एमएमपीए संभावित श्रम बाजार गंतव्य देशों के साथ समझौतों का एक नेटवर्क बनाने के समग्र प्रयासों का हिस्सा है, जिसमें इन देशों के श्रम बाजार तक पहुंच बनाने के लिए भारतीयों के लिए अनुकूल वीजा व्यवस्था बनाने के दोहरे उद्देश्य हैं।

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