भारत बदल गया है, बहुत आगे निकल रहा है : प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिम्बायोसिस विश्वविद्यालय की स्वर्ण जयंती के समारोह का उद्घाटन किया। उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने देश को संबोधित भी किया। जिसमे उन्होंने देश के बदलते मिजाज पर अपना पक्ष रखा और उसे रेखांकित किया।
उन्होंने इस बदले भारत का सारा श्रेय युवाओं को देते हुए कहा कि “आपकी पीढ़ी इस तरह से भाग्यशाली है कि इसे पहले के रक्षात्मक और आश्रित मनोविज्ञान के हानिकारक प्रभाव का सामना नहीं करना पड़ा है। अगर देश में यह बदलाव आया है तो इसका सबसे पहला श्रेय आप सभी को जाता है, हमारे युवाओं को जाता है।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत उन क्षेत्रों में वैश्विक नेता के रूप में उभरा है जिन्हें पहले पहुंच से बाहर माना जाता था। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता बन गया है। सात साल पहले भारत में केवल 2 मोबाइल निर्माण कंपनियां थीं, आज 200 से अधिक निर्माण कंपनिया इस काम में लगी हुई हैं।
रक्षा पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जिसे दुनिया के सबसे बड़े आयातक देश के रूप में पहचाना जाता था, अब एक रक्षा निर्यातक बन रहा है। आज दो बड़े रक्षा गलियारे बन रहे हैं, जहां देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए सबसे बड़े आधुनिक हथियार बनाए जाएंगे।
प्रधानमंत्री ने छात्रों से विभिन्न क्षेत्रों के खुलने का पूरा लाभ उठाने का आह्वान किया। दूसरी ओर भू-स्थानिक प्रणाली(Spatial system), ड्रोन, अर्धचालक और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में हाल के सुधारों का उल्लेख करते हुए प्रधान मंत्री ने कहा कि "भारत में सरकार आज देश के युवाओं की ताकत पर भरोसा करती है। इसलिए हम आपके लिए एक के बाद एक सेक्टर खोल रहे हैं।"
प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं और छात्रों से अनुरोध किया कि आप जिस भी क्षेत्र में हैं, जिस तरह से अपने करियर के लिए लक्ष्य निर्धारित करते हैं, उसी तरह देश के लिए भी आपके कुछ लक्ष्य होने चाहिए। उन्होंने स्थानीय समस्याओं का समाधान निकालने का सुझाव दिया। इतना ही नहीं उन्होंने युवाओं को यह भी सुझाव दिया कि वे अपनी फिटनेस बनाए रखे, खुश और जीवंत रहे।
प्रधानमंत्री ने कहा, "जब हमारे लक्ष्य व्यक्तिगत विकास से राष्ट्रीय विकास की ओर जाते हैं, तो राष्ट्र निर्माण में भागीदार होने की भावना खुद हावी हो जाती है।" प्रधानमंत्री ने छात्र को हर साल काम करने के लिए विषयों का चयन करने, राष्ट्रीय और वैश्विक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इन विषयों का चयन करने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि परिणाम और विचार प्रधानमंत्री कार्यालय से भी साझा किए जा सकते हैं।
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