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इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (IMPAR) की सलाह, अपने कार्य छेत्र पर ध्यान दे AIMPLB

इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (IMPAR) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि AIMPLB जैसे संगठनों को ऐसे बयान से बचना चाहिए जो निराधार हों और जो बयान कम्युनिटी और मुल्क दोनों के हित में ठीक न हों. ब्यान में कहा गया है कि "हम AIMPLB जैसे मुस्लिम धार्मिक संगठन के हालिया बयान की ओर ध्यान आकर्षित कराना चाहते हैं, जिसमें दावा किया गया है कि भारत में वर्तमान स्थिति मुसलमानों के लिए 1857 और 1947 की तुलना में बदतर है।

By: Mohammad Ahmad

 

इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (IMPAR) की सलाह, अपने कार्य छेत्र पर ध्यान दे AIMPLB

 

 

इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (IMPAR) की सलाह, अपने कार्य छेत्र पर ध्यान दे AIMPLB

 

इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (IMPAR) की ओर से जारी बयान में इम्पार के एक्सिक्यूटिव डायरेक्टर खालिद अंसारी ने कहा है कि AIMPLB जैसे संगठनों को ऐसे बयान से बचना चाहिए जो निराधार हों और जो बयान कम्युनिटी और मुल्क दोनों के हित में ठीक न हों. ब्यान में कहा गया है कि "हम AIMPLB जैसे मुस्लिम धार्मिक संगठन के हालिया बयान की ओर ध्यान आकर्षित कराना चाहते हैं, जिसमें दावा किया गया है कि भारत में वर्तमान स्थिति मुसलमानों के लिए 1857 और 1947 की तुलना में बदतर है।

 

 

इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (IMPAR) की ओर से जारी बयान में आगे कहा गया है कि "सभी धार्मिक संगठों को ऐसे निराधार और गैर-जिम्मेदाराना बयान देने से बचना चाहिए, जो केवल उकसाने का काम करते हैं। समुदायों के बीच अविश्वास और भय को बढ़ाते हैं। हम आशा करते हैं कि लोग/संगठन राजनीतिक बयान देते समय अधिक उदार दृष्टिकोण अपनाएंगे और कठोरता का त्याग करेंगे।

 

 

इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (IMPAR) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह देखा गया है कि संगठन हर मुद्दे पर बयान दे रहे हैं जो उनके दायरे से बाहर है। हमें लगता है कि महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दों पर बयान राजनीतिक विशेषज्ञों/पार्टियों द्वारा दिए जाने चाहिए जो संवेदनशील हों और इस विषय के बारे में पूरी जानकारी रखते हों। यह बयान कि भारत में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की वर्तमान स्थिति 1857 और 1947 की तुलना में बदतर है, एक गैर-ज़िम्मेदाराना और मुस्लिम समुदाय में असुरक्षा और भय फैलाने के अलावा कोई उद्देश्य नहीं है।

 

 

इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (IMPAR) की ओर से जारी बयान में इम्पार के एक्सिक्यूटिव डायरेक्टर खालिद अंसारी ने कहा है कि बोर्ड अपने छेत्र में अगर काम करेगा तो उस से समाज का भला होगा, बोर्ड को भारत में मुसलमानों से संबंधित अन्य मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय वह अपने छेत्र पर फोकस करे तो बेहतर होगा।

 

 

हम लोगों से इस्लाम की मूल नैतिकता पर दृढ़ रहने का भी अनुरोध करते हैं और किसी भी भाषण या बयान से प्रभावित नहीं होने की अपील करते हैं जो समुदाय के बीच भय और घृणा पैदा कर सकता है।

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