संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन और इज़राईल के बीच जारी संघर्ष पर इम्पार ने भारत के पक्ष की तारीफ़ की है. इम्पार के अध्यक्ष डॉ एम जे खान ने एक सवाल का जवाब देते हुए बताया कि हां! हमें ख़ुशी है कि भारत सरकार ने हमारे पत्र का संज्ञान इतने अहम मामले में लिया और भारत ने फिलिस्तीन की जायज़ मांगों का समर्थन करने की बात कही. डॉ खान ने कहा कि भारत सरकार का पक्ष निसंदेह इम्पार के पत्र से काफी मिलता है जिस के लिए इम्पार सरकार की शुक्रगुज़ार है.
भारत के दूत टीएस तिरुमूर्ति ने भारत का पक्ष रखते हुए कहा था कि, "भारत फ़लस्तीनियों की जायज़ मांग का समर्थन करता है और दो-राष्ट्र की नीति के ज़रिए समाधान को लेकर वचनबद्ध है."
ज्ञात रहे हफ्ते भर से चल रहे इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष को लेकर अंततः बीते रोज़ भारत द्वारा अपना पक्ष विश्व पटल पर रखा गया। रविवार (16 मई, 2021) को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में उपस्थित भारतीय प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने पूरे मामले पर अपने बयान में भारत का संपूर्ण पक्ष सामने रखा।
अमेरिका जहां इजराइल के साथ खड़ा है तो सऊदी ईरान पाकिस्तान, तुर्की जैसे कई देश इज़राईल के विरुद्ध खुल कर फिलिस्तीन के साथ हैं। भारत ने कहा कि गाजा द्वारा इजराइल की आम जनता को निशाना बना कर किए जा रहे हमलों की भारत कड़ी निंदा करता है तथा इजराइल द्वारा कार्रवाई में भी गाजा में कई औरतें व बच्चे मर रहे हैं, जो बहुत दुखद है।
“हमारा मानना है कि इजराइल और फ़िलिस्तीन के बीच वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।” भारतीय प्रतिनिधि ने बताया कि भारत इसी सप्ताह यरुशलम हिंसा मामले पर 15 सदस्य सामूहिक वार्ता कर चुका है व आगे बताया, “इन दोनों बैठकों में, हमने यरुशलम में हिंसा, विशेष रूप से रमजान के पवित्र महीने के दौरान हरम अल शरीफ/टेम्पल माउंट पर और पूर्वी यरुशलम में शेख जर्राह और सिलवान पड़ोस में संभावित निष्कासन प्रक्रिया के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त की थी।
एक क्षेत्र जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा सुगम व्यवस्था का हिस्सा है। हमने वेस्ट बैंक और गाजा के अन्य हिस्सों में हिंसा फैलने पर भी अपनी आशंका व्यक्त की थी।“ तिरुमूर्ति ने पूरे मामले पर अंतर्राष्ट्रीय क्वार्टेट (रूस,अमेरिका,UN तथा EU) के प्रयासों को भी अपना समर्थन व्यक्त किया, तथा दोनों देश फिलिस्तीन एवं इजराइल को जल्द से जल्द सुलह की राय दी। फिलिस्तीन की माँग का समर्थन करते हुए भारतीय दूत ने कहा, “भारत फिलिस्तीनियों की जायज माँगों का समर्थन करता है तथा दो-राष्ट्र की नीति के द्वारा समाधान को लेकर वचनबद्ध है।”
ज्ञात रहे कि इस से पूर्व इम्पार की ओर से इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री को पत्र लिख कर उन से अपील की गयी थी कि दोनों पक्षों में जारी संघर्ष को तुरंत समाप्त कराने के लिए भारत पहल करे, जिस के बाद भारत की ओर से जो बयान आया है वह इम्पार के पत्र से काफी मेल खाता है. इस पर वतन समाचार से बात करते हुए इम्पार के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. एम जे खान ने कहा कि हम भारत सरकार के आभारी हैं कि सरकार ने हमारे पत्र पर ध्यान देते हुए कहा कि "भारत फिलिस्तीन की जायज़ मांगों का समर्थक है.
डॉ खान ने कहा कि गाँधी जी ने कहा था कि ‘फ़िलस्तीन अरबों का है, ठीक उसी तरह जिस तरह इंग्लैंड अंग्रेज़ों का और फ्रांस फ्रांसीसियों का है. यहूदियों को अरबों के सिर थोप देना ग़लत और अमानवीय कार्य है. आज फ़िलस्तीन में जो कुछ हो रहा है वह नैतिक आचरण के किसी भी नियम के अनुसार उचित नहीं साबित किया जा सकता.’ —खान ने बताया कि 20 नवम्बर, 1938 को SEGAON और 26 नवम्बर, 1938 को Harijan में प्रकाशित गांधी जी के लेख का यह एक अंश है।
इम्पार ने अपने पत्र में आगे कहा था कि फिलिस्तीन के लोगों की सुरक्षा और गरिमा को दशकों से इजरायल द्वारा नियमित रूप से रौंदा जाता रहा है। अब इजरायल में अरब नागरिकों को अपने साथी यहूदी नागरिकों की तुलना में खुला भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। IMPAR ने सरकार को लिखे अपने पत्र में कहा था कि फिलीस्तीनी और अरब इजरायल के लोगों को इजरायल के यहूदी लोगों के समान सम्मान और सुरक्षा के साथ जीने का अधिकार है। गाजा की निरंतर नाकाबंदी, कब्जे वाले वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम में फिलीस्तीनी भूमि कब्ज़ा, फिलिस्तीनी जीवन और संपत्ति के लिए पूरी तरह से अवहेलना, इजरायल में अरब और फिलिस्तीनी नागरिकों को शांति से रहने के अधिकार का उल्लंघन, विशेष रूप से पूर्वी यरुशलम में और उत्तेजक सभी पक्षों की बयानबाजी ने पूरे क्षेत्र में भावनाओं को भड़काया है". इजरायल रक्षा बलों द्वारा गाजा पर हवाई हमलों और हमास द्वारा रॉकेटों के बैराज के परिणामस्वरूप निर्दोष मानव जीवन का दुखद नुकसान हुआ है और संपत्ति और बुनियादी ढाँचा भी नष्ट हुआ है जो बहुत दुखत है।
भारत सरकार ऐतिहासिक रूप से फिलीस्तीनी लोगों के साथ खड़ी रही है जब भी उन्हें किसी सहायता की आवश्यकता होती है। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में इजरायल के साथ राजनयिक संबंधों और सुरक्षा संबंधों को भी मजबूत किया है। इसने भारत को अपने प्रभाव और संबंधों का लाभ उठाने और इज़राइल राज्य के साथ-साथ फिलिस्तीन दोनों तक पहुंचने और दोनों पक्षों से शत्रुता और हमलों को तुरंत रोकने का आग्रह करने के लिए एक अद्वितीय स्थिति प्रदान की है, IMPAR ने सरकार से अपील की।
इम्पार ने अपने पत्र में आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ('यूएनएससी') का अध्यक्ष (चुनाव) होने के नाते, भारत को वैश्विक मुद्दों, जैसे कि जलवायु परिवर्तन, लोकतंत्र और मानवाधिकारों को मजबूत करना आदि और विश्व राजनयिक मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। एक मध्यस्थ और/या सुलहकर्ता के रूप में क्षेत्रीय संघर्ष और दोनों पक्षों को यूएनएससी संकल्प संख्या का पालन करने के लिए प्रभावित करना। 2334 दिनांक 23.12.2016।
पूर्वोक्त प्रस्तुतियों के आलोक में, IMPAR ने भारत सरकार से अपने प्रभाव और संबंधों का लाभ उठाने और UNSC के अन्य सदस्यों के साथ समन्वय करने का आग्रह किया ताकि इजरायल और फिलिस्तीन में शांति बहाल करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप किया जा सके। IMPAR ने भारत सरकार के विचार के लिए, इसराइल और फिलिस्तीन दोनों पर अपने मतभेदों को पूर्वोक्त UNSC प्रस्ताव के आलोक में निपटाने के लिए प्रभावित करने का आग्रह किया ताकि उस क्षेत्र में सामान्य स्थिति और शांति लाया जा सके।
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