खत्म होने वाला है किसान आंदोलन?
नई दिल्लीः पिछले लगभग 1 साल से जारी किसान आंदोलन के अगले 10-15 दिनों में खत्म होने की खबरें मिल रही हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक किसान आंदोलन को जल्द ही सरकार और किसान मिल करके सुलझा लेंगे, और इस तरह दिवाली से पहले आंदोलन खत्म हो जाएगा। सूत्रों की मानें तो सरकार चाहती थी कि दीपावली के दिन यह आंदोलन खत्म हो, लेकिन किसान संगठनों की बैक डोर से हुई बातचीत के बाद किसान संगठनों ने इस बात का फैसला किया है कि दीपावली से पहले ही आंदोलन को खत्म किया जाए ताकि वह अपने घर जाकर के दीपावली मना सकें।
विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो सरकार दो कृषि कानूनों को तत्काल प्रभाव से रद्द करने पर सहमत हो गई है, जबकि एक कृषि कानून पर कमेटी बना करके उसे आने वाले पांच छह महीनों में रद्द करने की खबर है। ज्ञात रहे कि बीते रोज संघ के हवाले से इस तरह की खबरें आई थी कि संघ का मानना है कि किसान संगठनों को नाराज करने से उत्तर प्रदेश में भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है।
इसके बाद सरकार को ऐसा फैसला लेना पड़ा है। सूत्रों की मानें तो सरकार इस को एक बड़े मैंडेट के तौर पर किसानों को दीपावली गिफ्ट देना चाहती थी, ताकि सरकार को इस का लाभ मिल सके। जानकारों की मानें तो पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह चाहते थे कि वह इस आंदोलन के खत्म करने का क्रेडिट अपने सर लें।
लेकिन सरकार ऐसा नहीं होने देना चाहती है। सूत्रों की मानें तो किसान संगठन और बीजेपी सरकार में मंत्री बैक डोर से काफी लंबे समय से इस बात पर सहमत थे कि किसी भी तरह से इस आंदोलन को खत्म किया जाए, लेकिन किसान इस बात पर अडिग थे कि किसी भी तरह से आंदोलन तब तक खत्म नहीं किया जाना चाहिए और न ही किया जा सकता है, जब तक कि तीनों काले कृषि कानून रद्द न कर दिए जाएं।
किसान संगठनों का आरोप था कि वे कानून उनकी जमीनों को हड़पने के लिए लाए गए हैं जबकि सरकार की तरफ से यह बात बराबर कही जा रही थी कि यह बिल कृषि उत्थान के लिए लाया गया है, जिसके बाद किसान नेता राकेश टिकैत की तरफ से अस्पष्ट शब्दों में कह दिया गया था कि जब तक तीनों काले कानून वापस नहीं लिए जाते, तब तक आंदोलन जारी रहेगा और आंदोलन से कोई समझौता नहीं होगा।
बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की हुई फजीहत के बाद सूत्रों का मानना है कि बीजेपी नहीं चाहती है कि यह फजीहत उत्तर प्रदेश में भी उठानी पड़े इसलिए सरकार चाहती है कि किसी भी तरह से जल्द से जल्द कृषि आंदोलन खत्म हो, ताकि सरकार के माथे पर लगा कलंक खत्म हो।
लेकिन अंतिम समय में क्या फैसला होगा? और कैसे यह आंदोलन खत्म होगा? और कैसे तीनों काले कृषि कानून वापस लिए जाएंगे? या आंदोलन कोई और नया मोड़ लेगा? यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन अगर खबरों पर यकीन करें तो सरकार और किसान संगठनों के बीच में आंदोलन के खत्म करने और दो काले कृषि कानून की वापसी और एक पर कमेटी बनाने को लेकर के सहमति बन गई है। लेकिन आखिरी फैसला सरकार को लेना है। इस मामले में अभी तक सरकार, किसान संगठन दोनों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। जिसका हमें इंतजार है।
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