अफ्फान नोमानी
सुप्रीम कोर्ट, एनटीए ( नैशनल टेस्टिंग एजेंसी ) के फैसले के बाद अब शिक्षा मंत्रालय ने भी पूर्णता जेईई मेन की परीक्षाएं 1 से 6 सितंबर और नीट की परीक्षा 13 सितंबर को पुरे देशभर में कराने का फैसला कर लिया है. जबकि दूसरी तरफ बड़ी संख्या में छात्र ,अभिभावक और विपक्षी पार्टियाँ परीक्षा स्थगित करने की मांग कर रहे है.
हालाँकि सत्तारूढ़ पार्टी विपक्ष पर छात्रों के भविष्य के साथ राजनीतिक खेल खेलने का आरोप लगा रही है. लेकिन कोरोना महामारी में होने वाली परेशानियों पर सरकार परदा नहीं डाल सकती. बड़ी संख्या में छात्र और अभिभावक इन दोनों परीक्षाओं को रद्द कराने की मांग कर रहे है जिनकी अहम वजह 1. विभिन्न राज्यों ( बिहार असम और बंगाल के कुछ इलाको ) में आये बाढ़ है. 2. सार्वजनिक यातायात में मुश्किलें 3. कोरोना के केस बढ़ने से छात्रों का मानसिक तनाव है.
प्रतिदिन कोरोना के केस बढ़ते जा रहे है. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत 76,472 नए केस के साथ आकड़ा 34 लाख से पार कर चूका है. ऐसे में परीक्षा कराने का फैसला जोखिम भरा है. भारत के कुछ प्रतिष्ठित चिकित्सा-विज्ञानी ने हालात के मद्देनज़र दावा किया की सितंबर में भारत में कोरोना के केस में बड़ी संख्या में बढ़ोतरी होगी. ऐसे में शिक्षा मंत्रालय को सितंबर में परीक्षा आयोजित करवाने को लेकर दुबारा विचार विमर्श करना चाहिए. जबकि शिक्षा मंत्रालय छात्रों का कीमती वर्ष बर्बाद ना होने की दुहाई देते हुवे बयान जारी किया की देश के साथ-साथ विदेशों के भी विभिन्न विश्वविद्यालयों ( दिल्ली विश्वविद्यालय, इग्नू, लखनऊ विश्वविद्यालय ,जेएनयू ,बीएचयू ,आईआईटी दिल्ली और लंदन विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ यरुशलम और इजराइल के बेन गुरियन विश्वविद्यालय ) के 150 से अधिक शिक्षाविद शामिल हैं जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई (मुख्य) और नीट में यदि और देरी हुई तो छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा। पत्र में कहा गया है 'युवा और छात्र राष्ट्र का भविष्य हैं लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण उनके करियर पर अनिश्चितताओं के बादल छा गए हैं. परीक्षा आयोजित कराने में किसी भी तरह की देरी से छात्रों का कीमती वर्ष बर्बाद हो जाएगा। हमारे युवाओं और छात्रों के सपनों और भविष्य के साथ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता है.
शिक्षा मंत्रालय का मानना है की 'केंद्र सरकार पूरी सावधानी बरतते हुए जेईई और नीट परीक्षाएं आयोजित कर लेगी ताकि छात्रों के भविष्य का ध्यान रखा जा सके और 2020-21 के लिए अकादमिक कैलेंडर तैयार किया जा सके।'
हालांकि केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी को नियंत्रित करने में कितनी सावधानी और उत्तम व्यवस्था की है, जनता सब जानती है. परीक्षा स्थगित करने की मांग करने वालों में छात्र अभिभावक के साथ बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी भी है जो जेईई और नीट परीक्षाओं का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दोनों परीक्षाओं को दिवाली तक स्थगित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की है। उन्होंने चेताया है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो विद्यार्थी आत्महत्या का रास्ता अपनाएंगे। मोदी को लिखे अपने महत्वपूर्ण पत्र में स्वामी ने कहा 'मेरी राय में परीक्षा आयोजित करने से देश भर के युवाओं द्वारा बड़ी संख्या में आत्महत्याएं किए जा सकती हैं।' इससे पहले राज्यसभा सांसद स्वामी ने शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल से भी परीक्षाएं स्थगित करने का आग्रह किया था। कांग्रेस सहित दूसरे विपक्षी दल सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के साथ अब इस मामले को संसद में भी उठाने की रणनीति बनाने में भी जुटे हैं। फिलहाल जो संकेत मिल रहे हैं उसमें संसद सत्र 10 सितंबर से शुरु हो सकता है। जबकि नीट की परीक्षा 13 सितंबर को होगी।
विपक्ष ने इसके संकेत भी दिए हैं। सत्ता और विपक्ष के बीच राजनीतिक जंग छिड़ने के बाद जेईई और नीट परीक्षाओं पर सुप्रीम कोर्ट के साफ रूख के बाद केंद्र ने भी इसे लेकर सख्त रूख अपनाते हुवे सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और दूसरे आला अधिकारियों को परीक्षाओं से जुड़ी तैयारियों में किसी भी तरह की कोताही न बरतने के निर्देश भी दिए हैं। इस बीच केंद्र के रूख को देखते हुए परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग पर अड़े राज्यों के रूख में बदलाव भी दिखने लगा है। इस पूरे मामलें की गहराई में जा कर गंभीरता से सोच विचार किया जाय तो पता चलता है की कहीं न कहीं शिक्षा माफिया परीक्षा कराने को लेकर सरकार पर दवाब बनायें हुवे है. और दूसरी तरफ एक हकीकत ये भी है की बड़ी संख्या में छात्र और अभिभावक जो गांव से दूर बड़े शहरों में जीवन यापन कर रहे है वो परीक्षा कराने के पक्षधर है. जेईई और नीट परीक्षा की तैयारी कराने में अपने बच्चों के पीछे लाखों रूपये खर्च किये है जो नहीं चाहते है की सत्र बर्बाद हो.
इस पूरे मामलें की गहराई में जा कर गंभीरता से सोच विचार किया जाय तो पता चलता है की कहीं ना कहीं शिक्षा माफिया परीक्षा कराने को लेकर सरकार पर दवाब बनायें हुवे है. और दूसरी तरफ एक हकीकत ये भी है की बड़ी संख्या में छात्र और अभिभावक जो गांव से दूर बड़े शहरों में जीवन यापन कर रहे है वो परीक्षा कराने के पक्षधर है. जेईई और नीट परीक्षा की तैयारी कराने में अपने बच्चों के पीछे लाखों रूपये खर्च किये है. जो नहीं चाहते है की सत्र बर्बाद हो. लेकिन कोरोना महामारी में परीक्षा आयोजित करना भी एक बड़ा जोख़िम से कम नहीं है क्योकि छात्रों की तादाद बड़ी संख्या में है जिसमें नीट उम्मीदवारों की संख्या 15,97, 433 है जबकि जेईई उम्मीदवारों की संख्या 8,58,273 है.
अगर सरकार परीक्षा कराने पर अडिग है और मसलें का हल करना चाहती है तो सरकार को जेईई और नीट उम्मीदवारों के लिए सार्वजनिक यातायात सेवा मुफ्त कर देना चाहिए. पुलिस और ट्रैफिक ऑफिसर परीक्षा स्थल व अन्य ट्रैफिक स्थल पर तैनात रहे और टोल फ्री नंबर जारी कर हरसम्भव छात्रों और अभिभावक की मदद करें. होटल और लॉज को खोल दिया जाय. एग्जाम सेंटर को बढ़ाया जाय जिस शहर में परीक्षा केंद्र हो वहां लॉकडाउन ना हो.
-डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति वतन समाचार उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार वतन समाचार के नहीं हैं, तथा वतन समाचार उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है. लेखक अफ्फान नोमानी, रिसर्च स्कॉलर स्तंभकार व लेक्चरर है .
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