जामिया मिल्लिया इस्लामिया की डॉ ज़ाकिर हुसैन लाइब्रेरी (सेंट्रल लाइब्रेरी) ने 15 और 16 सितंबर को “रिसर्च, इनोवेशन एंड नॉलेजः चेंजिंग रोल ऑफ लाइब्रेरी“ शीर्षक पर दो दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय पुस्तकालय सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह आयोजन, जामिया के शताब्दी वर्ष समारोह के तहत हुआ।
भारत, अमेरिका और अन्य देशों के उच्च प्रतिष्ठित वक्ताओं और जानी मानी विशेषज्ञ हस्तियों ने पुस्तकालयों की उभरती भूमिका पर विचार-विमर्श करके इसमें हिस्सा ले रहे लोगों के ज्ञान का विस्तार किया।
सम्मेलन ने अनुसंधान, ज्ञान और नवाचार से जुड़े मुद्दों पर विचार-मंथन के लिए एक आदर्श मंच प्रदान किया। सम्मेलन की अध्यक्षता जामिया की कुलपति प्रो नजमा अख्तर ने की और सुश्री क्रिस्टीन मैकेंजी, अध्यक्ष, आईएफएलए ने मुख्य भाषण दिया।
प्रो अख्तर ने इसमें शिरकत करने वालों का स्वागत करते हुए कहा कि जामिया ने न सिर्फ अपनी नींव के 100 साल पूरे किए हैं, बल्कि शिक्षा मंत्रालय के एनआईआरएफ द्वारा देश के शीर्ष दस विश्वविद्यालयों में से एक होने का शैक्षणिक गौरव भी हासिल किया है। गौरतलब है कि शिक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के प्रदर्शन के आकलन में भी इसने शीर्ष स्थान हासिल किया है।
कुलपति ने कहा कि अनुसंधान और नवाचार ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था और समाज का अभिन्न अंग हैं। बड़ी संख्या में स्टार्ट-अप कंपनियों को नवीन विचारों द्वारा संचालित किया जा रहा है। ऐसे में हमें न केवल विश्व स्तर के अनुसंधान करनें हैं, बल्कि अपने समाज और उद्योग के लाभ के लिए हमारे शोध निष्कर्षों का भी उपयोग करना है।
उन्होंने कहा कि आज हमारे सामने चुनौती, वास्तविक समय में बड़ी संख्या में लाइब्रेरी के उपयोगकर्ताओं तक पहुंचने की है। उन्होंने कहा कि पुस्तकालयों को अपनी सामग्री का बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण करने और इसे ऑनलाइन उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।
जामिया शताब्दी समारोह समिति के संयोजक प्रो ज़ुबैर मीनाई ने कहा कि किसी भी संस्था द्वारा सफलतापूर्वक सौ साल का सफर पूरा करना गर्व की बात है। यह हमें आगे बढ़ने के हमारे संकल्प को मज़बूत करने और पुनः पुष्टि करने का मौका देता है।
आईएफएलए की अध्यक्ष सुश्री क्रिस्टीन मैकेंजी ने जामिया की बुनियाद के सौ साल पूरे करने के लिए बधाई दी और ऑनलाइन संसाधनों के व्यापक उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया, क्योंकि ऑनलाइन शिक्षण एक नया सामान्य स्वरूप होने जा रहा है।
सम्मेलन के दौरान कुल 8 तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिसमें युवा और वरिष्ठ लाइब्रेरी पेशेवरों से 8 आमंत्रित बातचीत और 48 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।
इस आॅनलाइन सम्मेलन में कई विषयों पर बातचीत हुई। विभिन्न विषयों पर अपनी बहुमूल्य बातें रखने वाले विद्वानों में ईस्ट-वेस्ट विश्वविद्यालय, बांग्लादेश से डॉ दिलारा बेगम , डॉ रामा पटनायक, आईआईएम, बंगलौर, प्रोफेसर रमेश सी गौर, आईजीएनसीए के लाइब्रेरियन; आईसीएसएसआर के पूर्व निदेशक डॉ पी आर गोस्वामी, आईआईएम, कोज़िकोड के डॉ एमजी श्रीकुमार, , एमएएनयूयू हैदराबाद के डॉ अख्तर परवेज, डॉ।पूजा आनंद गुलाटी, लाइब्रेरियन, दिल्ली विश्वविद्यालय और अमेरिका के ड्रेक्सेल विश्वविद्यालय के डॉ जे भट्ट शामिल हैं।
दूसरे दिन “लर्निंग फ्राम होमः इश्यू एंड चैलेजेंस“ विषय पर एक पैनल चर्चा हुई, जिसकी अध्यक्षता डॉ जगदीश अरोड़ा (सलाहकार राष्ट्रीय बोर्ड ऑफ प्रत्यायन और पूर्व-निदेशक यूजीसी-आईएनएफएलआईबीएनईटी) ने की। इसमें डॉ आर.के. चड्ढा- पूर्व अपर सचिव- लोकसभा सचिवालय; डॉ आरएल रैना- कुलपति, जेके लक्ष्मीपत विश्वविद्यालय, जयपुर; डॉ गयास मखदुमी- पूर्व लाइब्रेरियन, जामिया, डॉ संजीव कुमार, निदेशक, एनआरसी, एनआईएफटी, नई दिल्ली; प्रो जगतार सिंह- पंजाबी विश्वविद्यालय; डॉ एस नकवी- सीआईटी, जामिया, श्री कैलाश बलानी- एमडी- आई-ग्रुप; श्री संजय ग्रोवर- एमडी- इंफॉर्मेटिक्स ने एक्सेस टेक्नोलॉजीज, कंटेंट जेनरेशन, यूजर एंगेजमेंट, विश्वसनीय असेसमेंट प्रैक्टिस आदि जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
सम्मेलन के दौरान यह निष्कर्ष निकाला गया कि पुस्तकालय अनुसंधान, नवाचार और ज्ञान का अभिन्न अंग हैं और इस प्रक्रिया में दृढ़ता से योगदान करते रहे हैं।
अमेरिका की स्पेशल लाइब्रेरी एसोसिएशन की अध्यक्ष सुश्री तारा मूर्ति ग्रोव ने समापन भाषण दिया।
सम्मेलन का समन्वय जामिया के लाइब्रेरियन डॉ तारिक अशरफ ने किया।
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