- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में निहित परिवर्तनकारी सुधारों को समझने के लिए जामिया में वेबिनार
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की फैकल्टी ऑफ एजुकेशन के स्कूल ऑफ एजुकेशन ने ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिवर्तनकारी सुधारों के निहितार्थ को समझना‘‘ विषय पर आज, 16 सितंबर को एक वेबिनार का आयोजन किया।
इस वेबिनार में राष्ट्रीय स्तर के वैधानिक और स्वायत्त निकायों के जाने माने शिक्षाविद, नीति निर्माता, शोधकर्ता और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के पूर्व और वर्तमान कुलपति, उप-कुलपति आदि एक मंच पर साथ आए। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) के परिवर्तनकारी सुधारों के विभिन्न आयामों पर गहरी चर्चा की गई।
जादवपुर विश्वविद्यालय (पश्चिम बंगाल) के कुलपति, प्रोफेसर सुरंजन दास वेबिनार का उद्घाटन करते हुए डिजिटल डिवाइड को पाटने की दिशा में कदम उठाने पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि कोई भी प्रौद्योगिकी एक संस्थान में शिक्षकों की जगह नहीं ले सकती है और विश्वविद्यालयों को विचार-विमर्श और बहस का स्थान बना रहना चाहिए।
जामिया की कुलपति प्रो नजमा अख्तर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि एनईपी 2020 समग्र, लचीली, बहु-अनुशासनात्मक होने के साथ ही सतत विकास और हितधारकों की ज़रूरतों पर खरी उतरती है। यह इक्विटी और समावेशन पर भी जोर देती है। उन्होंने उच्च शिक्षा में ऐसे परिवर्तनकारी विचारों की सराहना की।
फैकल्टी आॅफ एजुकेशन के डीन और स्कूल ऑफ एजुकेशन के नोडल अधिकारी प्रो एजाज़ मसीह, ने उद्घाटन सत्र में अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया।
प्रो सुरंजन दास के अलावा प्रख्यात पत्रकार और वेबिनार के चेयर प्रो बी.पी.खण्डेलवाल, पूर्व निदेशक, एनआईइपीए, प्रो मोहम्मद मियाँ, पूर्व कुलपति, एमएएनयूयू , महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार के कुलपति प्रो संजीव शर्मा, मो मुज़म्मिल, पूर्व कुलपति, बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा, प्रो फुरकान क़मर, प्रबंधन अध्ययन केंद्र, जामिया और पूर्व महासचिव एआईयू, प्रो सीबी शर्मा, पूर्व अध्यक्ष, एनआईओएस, प्रो मोहन बी मेनन, अकेडमिक सपोर्ट के लिए पूर्व उप कुलपति, वासन ओपन यूनिवर्सिटी, मलेशिया (ओपन डिस्टेंस लर्निंग), प्रोफेसर एस के पांडा, पूर्व अध्यक्ष, एनसीटीई, प्रो वीरा गुप्ता, शैक्षिक नीति विभाग, एनआईईपीए, प्रो सरोज यादव, डीन (अकादमिक), एनसीईआरटी और डॉ इलियास हुसैन वैगरहा ने इसमें अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज कराई।
विभिन्न वक्ताओं और पैनलिस्टों ने एनईपी 2020 का समर्थन करने के लिए बुनियादी ढांचे को व्यापक बनाने पर ज़ोर दिया। उनके द्वारा उठाए गए अन्य महत्वपूर्ण बिंदु हैं;
- ऐसे परामर्शदाता और सामाजिक कार्यकर्ता बनाने की जरूरत है जो बच्चों को स्कूल लाने के लिए प्रेरित कर सकें।
- आंगनवाड़ी को स्कूल से जोड़ने के लिए आंगनवाड़ी का स्वरूप बदला जाए और स्पष्ट दिशा-निर्देश बनाए जाएं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का कम वेतन भी एक ऐसी वजह है जो उनकी गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
- ईसीसीई को मौलिक अधिकार बनाने के लिए शिक्षकों और अन्य पदाधिकारियों के संदर्भ में बहुत सी प्रशिक्षित जनशक्ति की ज़रूरत होगी। मूल्यांकन प्रणाली को भी फिर से तैयार करने और विवेकपूर्ण शिक्षण शिक्षण सामग्री समय की आवश्यकता है।
- ओपन डिस्टेंस लर्निंग सिस्टम के बारे में अधिक स्पष्टता होनी चाहिए। ओडीएल के बारे में लोगों की मानसिकता को बदलने की जरूरत है।
- प्रस्तावित चार साल के एकीकृत शिक्षक तैयारी कार्यक्रम पर सावधानी से काम करने की आवश्यकता है। टीचर एजुकेटर्स की गुणवत्ता पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। वक्ताओं ने भारत केंद्रित दृष्टिकोण और शिक्षा को अधिक स्वदेशी बनाने के साथ शिक्षा के माहौल को बदलने के लिए एनईपी 2020 का स्वागत किया। आईएएसई की डॉ सविता कौशल वेबिनार की संयोजक थीं और आईएएसई के डॉ अंसार अहमद तथा शैक्षिक अध्ययन विभाग के डॉ मोहम्मद जावेद हुसैन, सह-संयोजक थे।