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“प्लानर्स और शहरवासियों को बड़े शहरों के बजाय समावेशी शहरों पर ध्यान देना चाहिए“

जामिया ने “शहर क्षेत्र की अवधारणाः भारतीय शहरों के संदर्भ में“ विषय पर प्रसिद्ध समाजशास्त्री सास्किया सासेन के विस्तारित व्याख्यान का आयोजन किया

By: वतन समाचार डेस्क
  • जामिया ने शहर क्षेत्र की अवधारणाः भारतीय शहरों के संदर्भ में“ विषय पर प्रसिद्ध

  • समाजशास्त्री सास्किया सासेन के विस्तारित व्याख्यान का आयोजन किया

 


“प्लानर्स और शहरवासियों को बड़े शहरों के बजाय समावेशी शहरों पर ध्यान देना चाहिए“

जामिया मिल्लिया इस्लामिया की फैकल्टी आफ आर्किटेक्चर एंड एकॉस्टिक ने   “शहर क्षेत्र की अवधारणाः भारतीय शहरों के संदर्भ में“ विषय पर अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय की प्रसिद्ध समाजशास्त्री सास्किया ससेन के (ऑनलाइन) विस्तारित व्याख्यान का आयोजन किया।


एक अक्टूबर को हुए इस सत्र का संचालन जामिया के आर्किटेक्चर विभाग के सहायक प्रोफेसर, शेख इंतेखाब आलम ने किया।  


सस्किया सासेन एक डच-अमेरिकी समाजशास्त्री है जो वैश्वीकरण और अंतर्राष्ट्रीय मानव देशांतर गमन के विश्लेषण के लिए विख्यात है। वह कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर होने के साथ ही लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में विज़िटिंग प्रोफेसर हैं। उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था और मानव देशांतर गमन के विषयों पर कई चर्चित पुस्तकें लिखी हैं। उनकी पुस्तकों का 20 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया है। वह विभिन्न पुरस्कारों और कई मानद डाक्टरेट डिग्रियों से सम्मानित हैं। साल 2018 में शीर्ष 100 महिला वज्ञैनिकों में उन्हें शामिल किया गया और हाल ही में वह पिक्सिोटो पुरस्कार से सम्मानित की गईं।


यह विस्तारित व्याख्यान, एम.आर्क अरबन रिजनरेशन के तीसरे सेमिस्टर के छात्रों के लिए आयोजित किया गया था। ये छात्र राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के माइग्रेशन पैटर्न का भी अध्ययन कर रहे हैं।


सुश्री सस्केन ने व्याख्यान के दौरान विभिन्न विषयों पर बात की। उन्होंने कहा कि योजनाकारों और शहर के निवासियों को बड़े बड़े शहरों के बजाय छोटे छोटे अधिक समावेशी शहरों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने गरीबी, शहरों की ओर बड़े पैमाने पर प्रवासन, समावेशी हर, कोविड-19 महामारी के बाद की स्थिति जैसे विषयों पर भी गहराई से अपनी बात रखी।

 



जामिया के 100 वें साल में प्रवेश करने पर, सुश्री सस्केन ने विश्वविद्यालय को बधाई दी।
इस ऑनलाइन व्याख्यान में अस्सी से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, प्रतिभागियों में एम. आर्क के एकस्टिक्स, रिक्रिएशन आर्किटेक्चर, पेडागोजी और पीएचडी से छात्र और फैकल्टी मेंबर भी शामिल थे।

 

 


 

उन्होंने शहरों के बीच बढ़ती असमानताओं के बारे में भी बात की, जो इंटरनेट और संचार प्रौद्योगिकियों के साथ और बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे शहरों की अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं से भी क्रमिक रूप से कट जाती है।  


 


फैकल्टी आफ आर्किटेक्चर एंड एकॉस्टिक की विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर हिना ज़िया ने क्षेत्रीय अध्ययनों के महत्व पर प्रकाश डाला और संक्षेप में विश्वविद्यालय के बारे में भी बताया।

 
एसपीए, नई दिल्ली के पूर्व निदेशक और जामिया में विजिटिंग प्रोफेसर जमाल अंसारी ने सबका धन्यवाद किया।


सुश्री सस्केन ने कहा कि उन्हें छात्रों और फैकल्टी मेंबर के साथ बातचीत करना बहुत अच्छा लगा और विश्वविद्यालय के साथ वह आगे भी जुड़ी रहेंगी।

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