जामिया मिल्लिया इस्लामिया के विधि विभाग ने 23 मई 2020 को ‘ऑनलाइन मध्यस्थताः भविष्य के विवाद समाधान’ विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया। कुलपति प्रो नजमा अख्तर ने इसकी अध्यक्षता की। केरल उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ए मुहम्मद मुश्ताक इसके मुख्य अतिथि थे।
प्रख्यात वक्ताओं के पैनल में शिक्षाविद एवं दिल्ली न्यायिक अकादमी की पूर्व अध्यक्षा प्रो. बी.टी. कौल और सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट-रिकॉर्ड, एवं जानी मानी मध्यस्थ, सुश्री नंदिनी गोरे थीं।
वेबिनार में विधि और अन्य विभागों के छात्रों, अध्यापकों और देश के कई शैक्षणिक संस्थानों, कानूनी पेशेवरों और कानून में रूचि रखने वाले लोगों ने हिस्सा लिया।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में, प्रो नजमा अख्तर ने कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के साथ ही उससे उपजे सकारात्मक अवसरों पर रौशनी डाली। विशिष्ट अतिथियों और प्रतिभागियों से उन्होंने कहा कि मध्यस्था से मामलों के जल्द समाधान और न्याय तक आसान पहुंच के बारे में वे अपने विचारों को रखें। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन मध्यस्थता एक अच्छा विकल्प हो सकता है, जिसपर विचार होना चाहिए।
विधि संकाय के डीन, प्रो साजिद ज़ेड आमानी ने प्राचीन काल से अब तक के विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के रूप में मध्यस्थता की उत्पत्ति का संदर्भ दिया और भारत में आधुनिक समय के दौरान इसके विकास के बारे में भी बताया। उन्होंने वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के रूप में मध्यस्थता को सुविधाजनक बनाने के लिए डिजिटल माध्यम जैसे नए माध्यामों को अपनाने पर ज़ोर दिया।
वेबिनार के संयोजक और फैकल्टी ऑफ लॉ में एसोसिएट प्रोफेसर असद मलिक ने कहा कि न्याय के पारंपरिक रास्ते न्यायालय के समक्ष लंबित मुकदमों की भारी संख्या को दूर नहीं कर पाएंगे। आॅनलाइन प्रक्रिया और मध्यस्था से न्यायिक विवाद के समाधान से न्याय पर बोझ कम करने में काफी मदद मिलेगी।
अनुभवी मध्यस्थ एडवोकेट नंदिनी गोर ने प्रतिभागियों को बताया कि विवाद के समाधान के लिए कम टिकाऊ उपायों की बनिस्बत मामले में लिप्त पार्टियां स्थायी समाधान खोजने की तलाश में, मध्यस्थता को ज़्यादा टिकाऊ पा रही हैं। उन्होंने कहा कि ग्रीस और नीदरलैंड जैसे यूरोपीय देशों में एक उच्च विकसित मध्यस्थता प्रणाली काफी कारगर साबित हो रही है।
भारत में मध्यस्थता के प्राचीन दर्शन के बारे में बताते हुए बी.टी. कौल ने कहा कि किस तरह महात्मा गांधी ने आज़ादी से पहले ट्रेड यूनियनों और अहमदाबाद के कपड़ा मिल मालिकों के बीच विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता का कामयाब इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन मध्यस्थता को सफल बनाने के लिए मध्यस्थों और पार्टियों के बीच विश्वास के निर्माण की तत्काल ज़रूरत है।
माननीय न्यायमूर्ति ए मुहम्मद मुश्ताक ने जोर देकर कहा कि विवादों को सुलझाने के लिए अदालतों के मौजूदा बुनियादी ढाँचे से परे सोचने की ज़रूरत है जो विवादित पक्षों द्वारा आपसी पहल द्वारा मध्यस्थता के माध्यम से प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।
ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :
https://www.watansamachar.com/
उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :
http://urdu.watansamachar.com/
हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :
https://www.youtube.com/c/WatanSamachar
ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :
आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :
https://twitter.com/WatanSamachar?s=20
फ़ेसबुक :

यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।
Support Watan Samachar
100 300 500 2100 Donate now


Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.