नई दिल्ली 17 दिसंबर, जमीअत उलमा-ए-हिन्द ने आज नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका दाखिल कर दी जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और इससे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, इसलिए इस अधिनियम को निरस्त किया जाए।
नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पास होने के बाद भी जमीयत उलेमा हिन्द की ओर से कहा गया था कि यह बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है,जमीयत उलेमा हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा था कि इस बिल के पास होने से संविधान को चोट पहुंची है और यह बिल भेदभाव करने वाला है जो हमारे लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा है.
उन्होंने कहा था कि इस बिल से देश का सौहार्द खत्म हो सकता है और मुल्क में भाईचारे को चोट लग सकती है. आज जमीयत उलेमा हिन्द ने इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया है और अहम बात यह है कि राजीव धवन के मामले में विवादों में आई जमीयत उलेमा हिन्द ने इस केस की पैरवी के लिए बाबरी मस्जिद मामलों की पैरवी करने वाले देश के वरिष्ठ वकील राजीव धवन की खिदमात ली हैं.
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