नई दिल्ली, 19 जुलाई। इम्पार के दिखाए गये रास्ते से रौशनी हासिल करते हुये अब जमीयत ने धरने प्रदर्शन और प्रेस विज्ञप्ति से ऊपर उठ कर क़ानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया है. इस से पहले इम्पार ने एक वीडियो को लेकर वाराणसी पुलिस से बात की थी और बड़ी समस्या को खत व किताबत के ज़रिये आसानी से सुलझा लिया था. इस तरह अब इम्पार के बाद जमीयत ने इन्किलाब उर्दू के हिंदी माध्यम जागरण को क़ानूनी नोटिस भेजा है. आरोप मदरसों को बदनाम करने का है. जारी प्रेस रिलीज़ में कहा गया है कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद ए. मदनी के दिशानिर्देश पर जमीअत के वकील अधिवक्ता एम. आर. शमशाद ने उनकी तरफ से हिंदी के समाचारपत्र ‘दैनिक जागरण’को एक भ्रामक खबर प्रकाशित करने के लिए कानूनी नोटिस भेजा है।
जागरण ने गत 7 जुलाई 2021 को ‘उमर गौतम के मदरसे की खोज में 30 से अधिक रडार पर’ के शीर्षक से उक्त समाचार को प्रकाशित किया था। इस सम्बंध में नोटिस में कहा गया है कि जागरण की उक्त खबर में “कई गलत और निराधार बातें शामिल हैं, जो पूरी तरह से गैर-जिम्मेदाराना, भ्रामक रिपोर्टिंग है“। उन्होंने कहा कि ‘‘यह मूलतः मदरसों की प्रतिष्ठा को खराब करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से है। इसके पढ़ने से सामान्यतः जिस तरह की भावना बनती है, वो सभी मदरसों के लिए अत्यंत नकारात्मक है.
नोटिस में आगे कहा गया है कि “प्रतिष्ठानों या अल्पसंख्यक संस्थनों यानी मदरसों के प्रबंधन को आपके द्वारा अवैध गतिविधि के रूप में दर्शाया गया है। यह एक भ्रामक और गलत धारणा है जो उन मूलभूत संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन है जिसमें न केवल अनुच्छेद 30 के तहत सभी अल्पसंख्यक (धार्मिक या भाषाई) को देश में अपनी पसंद के शिक्षण संस्थानों को चलाने और स्थापित करने का अधिकार प्रदान किया गया है बल्कि अनुच्छेद 29 के तहत अलग भाषा, लिपि या संस्कृति वाले नागरिकों के किसी भी वर्ग के भी इन्हीं अधिकारों को संरक्षित किया गया है।
नोटिस में आगे कहा गया है कि “आपने गलत तरीके और दुर्भावना से कहा है कि मदरसे मान्यता नहीं लेना चाहते हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि ज्यादातर गैरमान्यताप्राप्त मदरसे मान्यता के लिए आवेदन नहीं करना चहते हैं क्योंकि मान्यता मिलने पर उन्हें विभाग के नियमों का पालन करना होता है। चंदे का हिसाब देना होता है। यह मेरे मुवक्किल के खिलाफ नोटिसी (जागरण प्रकाशन और रिपोर्टर हसीन शाह) द्वारा तैयार किए गए स्पष्ट रूप से झूठे और निराधार तथ्य हैं। किसी भी मात्रात्मक आंकड़े, सांख्यिकीय संदर्भ या सबूत के अभाव में आपने द्वेष फैलाने की कोशिश की है।“
नोटिस में आगे कहा गया है कि “दुर्भावनापूर्ण इरादे से की गई इस विवादास्पद रिपोर्टिंग में व्यापक शीर्षक के तहत “लव जिहाद“ से सम्बंधित अन्य समाचारों को भी इसमें सम्मिलित किया गया है। एक अकेले शीर्षक के तहत समाचार सामग्रियों का यह वर्गीकरण पाठकों को भ्रमित करने और मदरसों को अवैध गतिविधियों से बदनाम करने का प्रयास है।“
नोटिस में आगे कहा गया है कि “उपरोक्त समाचार के प्रकाशन से मदरसों को एक अपूरणीय क्षति हुई है और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है। विशेषकर तब जब आपने उमर गौतम के मामले को इससे जोड़ने का प्रयास किया है जो कि स्वयं अभी इस स्तर एक असत्यापित और विचाराधीन मामला है।“
नोटिस में जागरण से बिना शर्त माफी मांगने और विवादित लेख का प्रसार बंद करने और अपनी वेबसाइट से इसकी ऑनलाइन कॉपी को हटाने की मांग की गई है।
इस सम्बंध में आज नई दिल्ली में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के कानूनी मामलों के संरक्षक एडवोकेट व मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने बताया कि इस खबर से यह प्रभाव देने का प्रयास किया गया है कि देश में सभी स्वतंत्र मदरसे गैरकानूनी तरीके से चलते हैं। इसलिए सरकार इनके विरुद्ध कार्रवाई करेगी। हालांकि यह सच्चाई है कि यह मदरसे देश के संविधान के बुनियादी अनुच्छेद 30 के अनुसार चलते हैं और उनका अस्तित्व बिलकुल संवैधानिक है और संवैधानिक अधिकार का संरक्षण है। इसलिए ऐसी खबरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है जिससे सभी मदरसों की साख प्रभावित होती है।
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