नयी दिल्ली: जंतर मंतर पर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक नारे लगाने वाली भीड़ में अपना नाम आने के बाद मौलाना आजाद के पोते और मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के चांसलर फिरोज बख्त अहमद ने वतन समाचार से बातचीत में सफाई दी है. ज्ञात रहे कि IMPAR ने इन आपत्तिजनक नारों का वीडियो वायरल होने के बाद देश के उन तमाम संवैधानिक संस्थानों से शिकायत की थी जिनको इस पर एक्शन का संविधान में अधिकार दिया है, जिसमें अल्पसंख्यक आयोग, भारत सरकार, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग समेत कई संस्थान शामिल हैं. IMPAR ने इसकी शिकायत दिल्ली पुलिस से भी की थी, जिस में कहा गया था कि देश को जिस तरह से नफरत की ओर धकेला जा रहा है वह अत्यंत शर्मनाक है और इस दिशा में तत्काल कार्यवाही की जरूरत है, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने एक्शन लेते हुए कुछ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था.
इस पूरे मामले पर वचन समाचार से बातचीत करते हुए फिरोज बख्त अहमद ने कहा कि जो भीड़ नारे लगा रही थी उस भीड़ का हिस्सा हम लोग नहीं थे. उन्होंने कहा कि नारा लगाने वाली भीड़ तीन बजे के आसपास पहुंची होगी जबकि हम वहां से 11:30 बजे निकल गए थे और मुझे तो बोलने का मौक़ा भी नहीं मिला और उस बीच किसी तरह की कोई नारेबाजी तो दूर अपशब्द भी नहीं कहे गए थे.
उन्होंने कहा कि मैं देश के संविधान और देश के न्याय व्यवस्था में यकीन रखने वाला इंसान हूं और इस तरह की नारेबाजी का सवाल ही नहीं पैदा होता है. उन्होंने कहा कि अश्वनी उपाध्याय के खिलाफ कुछ लोग गहरी साजिश कर रहे हैं और उन्हें उनके काम पसंद नहीं आ रहे हैं. वह यूनिफॉर्म सिविल कोड को ले कर के बड़ा काम कर रहे हैं. विधायकों और सांसदों को मिलने वाली तनख्वाह के खिलाफ भी कोर्ट जाने वाले हैं, इसलिए हमें उनके खिलाफ कोई गहरी साजिश नजर आ रही है लेकिन यह षड्यंत्रक कामयाब नहीं होंगे.
उधर IMPAR ने एक्शन के बाद अल्पसंख्यक आयोग और दिल्ली पुलिस का शुक्रिया अदा किया है. IMPAR की ओर से कहा गया है कि ऐसे शरारती तत्वों से कानून और संविधान के दायरे में निमटने की जरूरत है. धरने प्रदर्शन से यह षड्यंत्रकारी ध्रुवीकरण में कामयाब हो जाते हैं, इसलिए ध्रुवीकरण को रोकने और षड्यंत्र कार्यों को संवैधानिक जवाब देने के लिए न्याय प्रक्रिया को ही आगे बढ़ाने की जरूरत है, ताकि दोषियों को सजा मिले और ध्रुवीकरण करने वालों का सपना चकनाचूर हो. IMPAR की ओर से लोगों से अपील की गई है कि वह किसी भी तरह के आपत्तिजनक वीडियो को लेकर भाउक ना हो, बल्कि उस पर एक्शन प्लान करें और वकीलों से बातचीत करने के बाद उस मामले को कानून के दायरे में हल करें, ताकि जो लोग वीडियो बनाते हैं उनकी पहचान हो और उनको सजा मिले और जब लोगों को सजा मिलनी शुरू हो जाएगी तो अपने आप इस तरह के वीडियो जो देश की एकता और देश की अखंडता पर चोट पहुंचाते हैं वह बनने बंद हो जाएंगे.
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