भारत के फिलिस्तीनी मित्रों का आया साझा बयान, मोदी सरकार के प्लान पर टिकी निगाहें
"कब्जा उत्पीड़न का सबसे गंभीर रूप है, हम साम्राज्यवाद और नस्लीय विनाश के खिलाफ फिलिस्तीन के पीड़ितों की उचित लड़ाई में एकजुट हैं" - फिलिस्तीन के भारतीय मित्र
नई दिल्ली,19 अक्टूबर। कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में फिलिस्तीन के भारतीय मित्रों द्वारा आयोजित एक बैठक में, जमीयत ओलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने भारत से "वसुधैव कुटुंबकम" के लोकाचार के प्रति सच्चे रहने और जरूरत के समय फिलिस्तीनी लोगों को गले लगाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, 'कुछ समूहों द्वारा दिखाए गए रवैये ने देश को नीचा दिखाया है।' जमीयत अध्यक्ष ने यहूदी लोगों का फिलिस्तीनीयों के साथ खड़े होने और खुद को ज़ायोनिस्टों और उनके घृणित एजेंडे से अलग करने के लिए प्रशंसा की। उन्होंने "पुलिस राज्य" बनने की दिशा में हमारे सामाजिक बदलाव के बारे में भी आशंका जताई।
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा, "गाजा में जारी अत्याचार मानवाधिकारों और पिछली कुछ शताब्दियों में पोषित हर एक मूल्य का घोर उल्लंघन है।" उन्होंने टिप्पणी की, "पश्चिम का पाखंड, घोर दोहरा मापदंड और नैतिक दिवालियापन, जो मूक दर्शक और मौजूदा संघर्ष को बढ़ावा देने वालों के रूप में देख रहे हैं, पूरी तरह से उजागर हो गया है। उन्होंने कहा, "यह मानवता की परीक्षा है जो यह निर्धारित करेगी कि क्या वह क्रूरता और शत्रुता के सामने फिलिस्तीन के साथ खड़ी है?" उन्होंने "नेल्सन मंडेला" की तरह ही रंगभेद के खिलाफ संघर्ष में लगे फिलिस्तीनियों के प्रति एकजुटता और समर्थन बढ़ाने का आग्रह किया।
जमीयत अहले हदीस हिंद के अमीर मौलाना असगर अली इमाम मेहदी सलफी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को विश्वगुरु की भूमिका निभानी चाहिए और मौजूदा संकट को कम करने में मदद करनी चाहिए। उन्होंने मीडिया की नकारात्मक भूमिका पर चिंता जताई।
संसद सदस्य दानिश अली ने फ़िलिस्तीनी मुद्दे पर लगभग पूर्ण चुप्पी पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कैपिटल हिल में यहूदियों द्वारा किया गया विरोध प्रदर्शन विपरीतार्थक है, यहूदी धर्म ज़ायोनीवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत की ऐतिहासिक विरासत इस मुद्दे पर हमारी सक्रिय भूमिका और समाज के सभी वर्गों के बीच एकजुटता बढ़ाने का आदेश देती है।
वरिष्ठ लेखक और पत्रकार जॉन दयाल ने फ़िलिस्तीन की अपनी विभिन्न यात्राओं का ज़िक्र किया और गाजा की अमानवीय स्थितियों और इज़रायल के कब्जे पर अपनी चिंता व्यक्त की। पूर्व सांसद केसी त्यागी ने टिप्पणी की कि भारत फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा देने वाला पहला गैर-अरब देश था। उन्होंने फ़िलिस्तीन में जनसांख्यिकीय परिवर्तन पर अफ़सोस जताया जहां फ़िलिस्तीनियों के पास उनकी मूल भूमि का महज़ 7% हिस्सेदारी है। उन्होंने अस्पतालों और स्कूलों पर बमबारी के खिलाफ दुनिया की चुप्पी पर आक्रोश व्यक्त किया।
इस अवसर पर उपस्थित प्रतिनिधियों में शिक्षाविद् आदित्य निगम, आर्य समाज के आर्य विट्ठल, प्रोफेसर शशि शेखर और प्रोफेसर सलीम इंजीनियर शामिल थे। बैठक का आह्वान फ़िलिस्तीनियों के साथ एकजुटता व्यक्त करने और इज़राइल की निंदा करने के लिए किया गया था। 7 अक्टूबर से इजरायल की लगातार बमबारी जारी है जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित हजारों निर्दोष नागरिकों को "वास्तविक तबाही" का सामना करना पड़ रहा है। नवीनतम इजरायली बर्बरता के परिणामस्वरूप गाजा में एक अस्पताल पर बमबारी के माध्यम से 850 फिलिस्तीनियों का नरसंहार हुआ। इज़रायली बमबारी में अब तक कम से कम 1,000 बच्चों सहित 2,800 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
’फिलिस्तीन के भारतीय मित्रों द्वारा’पारित प्रस्ताव’
’डिप्टी स्पीकर हॉल कॉन्स्टिट्यूशन क्लब, नई दिल्ली में 19 अक्टूबर 2023 को आयोजित एक सम्मेलन में’फिलिस्तीन के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए’
हम फिलिस्तीन के मित्र लोग फिलिस्तीन, विशेषकर गाजा की स्थिति को लेकर बहुत चिंतित हैं।
हम निर्दोष लोगों, यहां तक कि बच्चों और महिलाओं की लगातार हत्या के साथ-साथ उनके भोजन, पानी, चिकित्सा और बिजली की आपूर्ति रोके जाने, और आबादी वाले क्षेत्रों पर लगातार बमबारी और गाजा को खाली करने के प्रयासों की कड़ी निंदा करते हैं।
हमें यह हमेशा याद रखना चाहिए कि यहूदी कब्ज़ा की वजह से गत कई वर्षों से फ़िलिस्तीनियों को उनके घरों और ज़मीनों से लगातार बेदखल किया जा रहा है और इस भूमि के मूल निवासियों, फ़िलिस्तीनियों पर क्रूरतापूर्वक अत्याचार किया जा रहा है।
फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में नई आबादी को लगातार बसाना और अल-अक्सा मस्जिद को लगातार अपवित्र करना और ऐसी अन्य आक्रामक नीतियां सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों का खुला उल्लंघन हैं, जो कि इस क्षेत्र में निरंतर शांति और व्यवस्था के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा हैं।
ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तुरंत कार्रवाई करने और रक्तपात रोकने के लिए कार्रवाई करने की आवश्यकता है। फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों को बहाल करना और इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय कानूनों के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना क्षेत्र में निरंतर शांति के लिए अत्यंत आवश्यक है।
हम सरकार से यह भी मांग करते हैं कि वह भारत की लंबे समय से चली आ रही उपनिवेशवाद विरोधी और फिलिस्तीन समर्थक विदेश नीति को जारी रखे, जिसकी गांधी जी से लेकर वाजपेयी तक वकालत कर चुके हैं और फिलिस्तीनी लोगों के वैध अधिकारों को साकार करने में अपने प्रभाव क्षेत्र का उपयोग करें।
’प्रतिभागीः’
केसी त्यागी पूर्व सांसद
सांसद कुंवर दानिश अली
प्रोफसर बिट्ठल, महासचिव आर समाज
प्रोफेसर अदित्य निगम
प्रोफसर शशि शेखर सिंह
जॉन दयाल
मौलाना महमूद असद मदनी
अध्यक्ष, जमीअत उलमा-ए-हिंद
सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी
अमीर, जमात-ए-इस्लामी हिंद
मौलाना असगर अली इमाम महदी
अमीर, जमीअत अहले हदीस हिन्द
मौलाना हकीमुद्दीन कासमी
महासचिव, जमीअत उलमा-ए-हिंद
सलीम इंजीनियर
जमात इस्लामी हिंद
इंडियन पैलिस्टीनियन फ्रेंडशिप फोरम
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