जामिया आरिफिया सैयद सरावा جامعہ عارفیہ سید سراواں इलाहाबाद के मैनेजर साजिद सईदी के छोटे भाई जुनैद अहमद अरिफी पुत्र शफ़ीक़ अहमद की शादी शाहीन बनों पुत्री श्री अशफ़ाक़ अहमद (आर्मी ऑफिसर) से हुई. शादी का समारोह बीते रोज इलाहाबाद के शालीमार मैरिज हॉल में आयोजित किया गया, जो हुजूर दाइये इस्लाम शैख़ अबू सईद शाह एहसानुल्लाह सफवी मोहम्मदी सज्जादा नशीन आस्ताने आलिया आरेफिया सैयद सरावा इलाहाबाद के छत्रछाया सम्पन्न हुई.
जिस में जामिया आरिफिया के उपकुलपति मखदूम हसन सईद, शाही प्रोडक्ट के सीईओ मखदूम हुसैन सईद समेत लगभग 100 लोगों ने हिस्सा लिया. शादी के समारोह में जामिया आरिफिया सैयद सरावा के प्रधानाचार्य मौलाना इमरान समेत लेखक व कलमकार डॉक्टर जीशान अहमद मिस्बाही डॉ मुजीबुर्रहमान अलीमी, ग़ुलाम मुस्तफा अज़हरी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर और जामिया अरिफिया के अध्यापक मौलाना जियाउर रहमान अलीमी अल-एहसान मीडिया के वरिष्ठ जिम्मेदार तारिक रजा कादरी मौलाना साकिब अलीमी ख़िज़्रे राह मैगजीन के संपादक डॉक्टर जहांगीर हसन मिस्बाही और उनके सहयोगी मौलाना अबसार अहमद मौलाना फुरकान अहमद कारी दिलशाद अहमद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर शाहिद उल इस्लाम मौलाना हम्माद मौलाना असगर मौलाना नाज़िम अशरफ श्री अफ़ज़ाल अहमद ने हिस्सा लिया.
निकाह इस्लामी रीति रिवाज के अनुसार सादगी से हुआ. निकाह का खुतबा मौलाना मकसूद ने पढ़ा, साथ ही गवाहों की मौजूदगी में निकाह का प्रोग्राम संपन्न हुआ. इस मौके पर हुजूर दाईये इस्लाम ने दूल्हे राजा को मुबारकबाद दी और शादी का सेहरा खानकाहे आलिया आरिफिया के मशहूर कव्वाल अब्दुल हफीज ने अपने सहयोगियों के साथ पड़ा.
निकाह का प्रोग्राम काफी सादगी के साथ इस्लामी रीति रिवाज के अनुसार संपन्न हुआ जिसमें इस बात पर बल दिया गया कि कम से कम खर्च में शादी हो और शिक्षा पर ज्यादा से ज्यादा बल दिया जाएं. समाज के सभी समुदाय चाहे उनकी जात कोई भी हो उनका धर्म कोई भी हो उनका मजहब कोई भी हो उनको पढ़ाया जाए और भारत को शिक्षित और स्वस्थ बनाने में भरपूर सहयोग दिया जाए.
इस मौके पर मौलाना मकसूद ने मानवता के मूल्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि जब तक हम मानवता के मूल्यों को प्रोफेट मोहम्मद PBUH صلی اللہ علیہ وسلم की जीवनी पर आधारित बिंदुओं के साथ उल्लेख नहीं करेंगे तब तक समाज में पूरी तरह से शांति आना संभव नहीं है. उन्होंने पड़ोसियों के हुकूक दोस्तों के हुकूक गरीबों के अधिकार समेत तमाम ऐसे लोगों के अधिकारों पर बल दिया जो समाज में पीड़ित और प्रताड़ित हैं.
उन्होंने कहा कि जब आप लोगों का सहयोग करें उस वक्त आप उनका धर्म और उन की जात ना पूछें और साथ ही साथ आप उनका सहयोग इस तरह करें कि एक हाथ से दें तो दूसरे हाथ को पता ना चले, क्योंकि अगर आपने ज़माने के सामने उनका सहयोग किया या सोसाइटी में फोटो खिंचवा करके उनका सहयोग किया तो इस से उनकी अंतरात्मा को चोट भी पहुंच सकती है और सोसाइटी में उनको उस तरह सम्मान से जीने का अवसर नहीं मिल सकता है जिस तरह से मिलना चाहिए, इसलिए हम
सब को खामोशी से लोगों का सहयोग करना चाहिए और सब को मिलकर के एक दूसरे को आगे बढ़ाना चाहिए, यही सूफी संतों का असली संदेश है.
मौलाना ने कहा कि सबसे ज्यादा बल ऐसी शिक्षा को प्राप्त करने पर होना चाहिए जिससे समाज में शांति प्यार प्रेम और सद्भाव फैले यही आज़ादी के योद्धाओं का असली सपना था.
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