शान्ति और उन्नति के लिए न्याय और बराबरी ज़रूरी!
देश की प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान जामिया आरिफ़िया के कैंपस में शाह सफी मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से जश्ने ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर विश्व शांति सम्मेलन का आयोजन
कौशाम्बी: देश की प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान जामिया आरिफ़िया के कैंपस में शाह सफी मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से जश्ने ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर आयोजित विश्व शांति सम्मेलन को संबोधित करते हुए सूफी परम्परा के मशहूर स्कॉलर अल्लामा आरिफ इकबाल ने कहा कि आज अगर हम सही माने में शांति को स्थापित करना चाहते हैं तो उसके लिए जरूरी है कि हम न्याय प्रक्रिया को बेहतर से बेहतर बनाएं। उन्होंने कहा कि जब समाज में न्याय होने लगता है और लोगों को बराबरी का एहसास होने लगता है तब अपने आप समाज शांति की ओर बढ़ जाता है। उन्होंने इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद साहब की शिक्षाओं का हवाला देते हुए कहा कि जिस तरह मोहम्मद साहब ने मदीना के लोगों से ट्रीटी साइन करते हुए कहा था कि मदीना के लोग एक कौम होंगे उसी तरह से हमारे संविधान में इस बात की व्याख्या की गई है कि भारत के लोग एक कौम होंगे। उन्होंने कहा कि आज हमारे लिए जरूरी है कि हम भारतीय होने की बुनियाद पर एक दूसरे के साथ प्यार प्रेम और सद्भाव का मामला करें। उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा कि पैगंबर इस्लाम ने अच्छे व्यक्ति को परिभाषित करते हुए कहा था कि अच्छा इंसान वह है जिससे लोगों को फायदा हो और लोग उससे लाभान्वित हों। कम से कम इंसान को इतना करना चाहिए कि उस से किसी को कोई तकलीफ ना पहुंचे। उन्होंने कहा कि लोगों को तकलीफ पहुंचाने वाले अधर्मी हैं और यही लोग समाज के असली दुश्मन है। उन्होंने कहा कि ईश्वर के यहां इंसानों के कर्म देखे जाते हैं और कर्म की बुनियाद पर अच्छे और बुरे इंसान की व्याख्या की जाती है।
उन्होंने पानी को बचाने पर जोर देते हुए कहा कि यदि यह बात सही है कि तीसरा विश्व युद्ध अगर हुआ तो वह पानी पर होगा तो हमारे लिए जरूरी है कि आज हम पानी को सेफ करें और पैगंबर इस्लाम ने 1450 साल पहले लोगों को कहा था कि अगर तुम नदी पर भी बैठे हो और तुम्हें पानी इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ जाए तो यह अनिवार्य है कि उतना ही पानी लो जितनी तुम्हारी जरूरत है। साथी उन्होंने पर्यावरण पर भी जोर देते हुए कहा कि आज हमारे लिए जरूरी है कि हम पर्यावरण की रक्षा करें। उन्होंने कहा कि पैगंबर इस्लाम ने 1450 साल पहले पेड़ लगाने वाले की प्रशंसा करते हुए कहा था कि यह वह लोग हैं जो लोगों में अच्छे लोग हैं।
इस अवसर पर सूफी परंपरा के मशहूर प्रचारक और इस्लामी स्कॉलर मुफ्ती किताबुद्दीन रिजवी ने अपने संबोधन में कहा कि आज वन अर्थ वन फैमिली और वन फ्यूचर की बात हो रही है। उन्होंने कहा कि इसी बात को इस्लाम में भी कहा है कि लोगों तुमको हमने एक मां-बाप से पैदा किया है और कुरान इस बात पर जोर देता है कि लोगों का फ्यूचर उनके परिश्रम उनकी तपस्या और त्याग से तय होता है और ईश्वर इसी चीज को देखकर के लोगों को नवाज़ता है। मुफ्ती किताबुद्दीन रिजवी ने आगे कहा कि हमारे लिए जरूरी है कि हम अच्छे काम कि शुरुआत खुद से करें, लेकिन विडंबना यह है कि जो काम हमें करना चाहिए वह हम कर नहीं पाते और जो हमारे बस में नहीं है उसके लिए दुआएं करते रहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि मोहम्मद साहब सिर्फ मुसलमानों के नबी नहीं थे बल्कि वह पूरी मानवता के हितों के असली रक्षक थे और उन्होंने दया और कृपा को पूरे संसार तक पहुंचा। यही वजह है कि जहां तक उनकी शिक्षाएं पहुंची लोग उनके होकर रह गए। इस अवसर पर सर्वधर्म सद्भाव का एक संगम देखने को मिला। प्रोग्राम की अध्यक्षता सूफी परंपराओं के रक्षक और प्रचारक, ख़ानक़ाह ए आरिफ़िया के सज्जादा नशीन शेख अबू सईद शाह अहसानुल्लाह सफ़वी ने की और विश्व शान्ति और देश की उन्नति की दुआओं के साथ प्रोग्राम सम्पन्न हुआ।
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