ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया किस प्रकार यूक्रेन से निकले बच्चे
भारतीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सदन के नियम 193 के तहत यूक्रेन में फंसे छात्रों का मुद्दा उजागर किया। ज्योतिरादित्य का कहना है कि, “यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। इस मुद्दे में हर भारतवासी की आवाज़ और मत एक ही होनी चाहिए एवं एक ही विचारधारा की होनी चाहिए।
चाहे हम अलग अलग राजनीतिक दलों से हो परंतु हमारे लिए हमेशा हमारा देश पहले होना चाहिए। हमारी यह मंशा हो कि सबसे पहले हमारा देश है और हमारा नागरिक है। इतना ही नहीं, मंत्री सिंधिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि, “हमारी सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश की सेवा, देश का विकास और देश का अथक प्रयास दिन रात निरंतर कर रही है।”
उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि “जंग के बीच जिसमें यूक्रेन और रशिया फंसा हुआ है, भारत में उन दोनों देशों और उसके साथ लगे हुए पांचों देशों के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से बात की। ज्योतिरादित्य सिंधिया देशों के नाम गिनाते हुए कहते हैं कि उन विवादित देशों से पांच देश लगे हुए थे और अगर उत्तर से दक्षिण की ओर देखे तो पोलैंड, हंगरी, स्लोवाकिया, रोमानिया और मोल्दोवा है। यह केवल देश ही नहीं है बल्कि द्वार थे। जिससे हम अपने बच्चो को बचा कर लाए।”
ज्योतिरादित्य का कहना है कि हमने इन पांचों देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ बातचीत की एवं जिस देश में जंग चल रही थी उनके प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से भी बात की। हमने उनसे कहा कि हम जानते हैं कि आपके देश में जंग चल रही है। परंतु अभी भारत के लिए सबसे जरुरी है आपके देश में फंसे बच्चों को बचाना। हम चाहते हैं कि आप इस जंग के बीच कॉरिडोर बनाएं जिससे इन बच्चों को वापस अपने देश भेजा जाए।
इसी के साथ साथ उन्होंने भारत के विदेश मंत्री जयशंकर को बधाई देते हुए कहा कि, “मैं अपने साथी जयशंकर जी को बधाई देना चाहता हूं कि कैसे उन्होंने जंग के दौरान पूरे 24 घंटे कंट्रोल रुम को संभाला। केवल दिल्ली में ही नहीं बल्कि उन पांचों देशों में जिनका सरहद यूक्रेन के साथ लगता है। इसी के साथ उन्होंने एमईए का जिक्र करते हुए कहा कि मैं एमईए को भी बधाई देना चाहूंगा कि कैसे दुख और पीड़ा के समय उन्हें 13 हज़ार फोन कॉल और 9 हज़ार मेल प्राप्त हुए।
भयंकर दुख और पीड़ा के समय में लोग आशा से हमारी ओर देख रहे थे। तो यह हमारा दायित्व बनता था कि हम जल्द से जल्द फोन कॉल और इमेल का जवाब दे और उन सभी बच्चों को सुरक्षित करें।
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