जानिए क्यों छात्रा ने लगाया सरकार और मिशन गंगा पर आरोप
गोलाबारी से डरे हुए और बचाए जाने के इंतजार में थके हुए, उत्तर-पूर्वी यूक्रेन के सूमी में फंसे भारतीय छात्रों ने सुबह एक वीडियो क्लिप पोस्ट किया, जिसमें घोषणा की गई कि उन्होंने रूसी सीमा तक पैदल जाने का जोखिम उठाने का फैसला किया है।
वीडियो को पोस्ट करने के 2 घंटे के अंदर भारत सरकार ने जवाब दिया, उन्होंने सुझाव दिया कि आश्रयों के अंदर रहें और उन्हें आश्वासन भी दिया कि उन्हें जल्द ही खाली कर मदद दी जाएगी।
वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक ट्विटर पोस्ट में कहा, “हम सूमी, यूक्रेन में भारतीय छात्रों के बारे में बहुत चिंतित हैं। हमारे छात्रों के लिए एक सुरक्षित गलियारा बनाने के लिए तत्काल युद्धविराम के लिए कई चैनलों के माध्यम से रूसी और यूक्रेनी सरकारों पर जोरदार दबाव डाला है। इसी के साथ उन्होंने छात्रों को सुझाव दिया कि वें सावधानी बरते, आश्रयों के अंदर रहें और अनावश्यक जोखिम से बचे। और आश्वासन दिया कि मंत्रालय और हमारे दूतावास छात्रों के नियमित संपर्क में हैं।”
दूसरी ओर सुमी में छात्रों की एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर काफी फैल रही है, जिसमे एक महिला छात्रा जिसने अपने सहयोगियों के साथ खड़े होकर कहा कि, “हम सुमी स्टेट यूनिवर्सिटी के छात्र हैं। यह युद्ध का दसवां दिन है। आज हमें खबर मिली कि रूस ने दो शहरों के लिए मानवीय गलियारे खोलने के लिए संघर्ष विराम की घोषणा की है।”
इतना ही नहीं उन्होंने अपनी बात को विस्तार से बतलाते हुए कहा कि, जितने भी गलियारे खोले गए हैं उनमें से एक मरियुपोल है जो सूमी से 600 किमी दूर है। अपनी और साथ ही अपने सहपाठियों की समस्या से अवगत करवाते हुए छात्रा ने कहा कि सुबह से हम लगातार बमबारी, गोलाबारी और सड़क पर होने वाली लड़ाई सुन रहे हैं। हमें बहुत डर लग रहा है, हमने बहुत इंतजार किया है और हम अब और इंतजार नहीं कर सकते। हम अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, हम सीमा की ओर बढ़ रहे हैं।
छात्रा ने सरकार और मिशन गंगा पर आरोप लगाते हुए कहा कि, “अगर हमें कुछ होता है तो सारी जिम्मेदारी सरकार और भारतीय दूतावास की होगी। अगर हममें से किसी को कुछ होता है, तो मिशन गंगा एक बड़ी विफलता होगी।”
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