Hindi Urdu TV Channel

NEWS FLASH

तालाबंदी: इस अप्रत्याषित घोषणा से 130 मिलियन लोगों के लिए गंभीर संकट पैदा हुआ: जमाअत इस्लामी हिन्द

आज जमाअत इस्लामी हिन्द द्वारा ऑन लाइन प्रेस सम्मेलन में जमाअत के केन्द्रीय सलाहकार समिति (मर्कज़ी मजलिसे शूरा) की तीन दिवसीय (23-25 अगस्त 2020) सम्मेलन में पारित प्रस्ताव पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई। प्रेस कांफ्रेंस को जमाअत के उपाध्यक्ष मुहम्मद सलीम इंजीनियर ने सम्बोधित किया । प्रेस कांफ्रेंस में बताया गया कि सलाहकार समिति ने देश और समुदाय के महत्वपूर्ण समस्याओं पर विचार किया और कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम करने का फैसला लिया गया। इस समय पूरा देश कोरोना का शिकार है। देश में राजनीति और आर्थिक संकट है जो निश्चित तौर पर चिंता का विषय है। केन्द्रीय सलाहकार समिति के सम्मेलन में कोरोना से मृतकों के परिजनों एवं इस बिमारी से संक्रमित लोगों के प्रति सहानुभूति प्रकट की गयी। इस सम्मेलन में मुस्लिम दुनिया की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त किया गया और साथ ही देश के मुसलमानों को अपनी ज़िम्मेदारियां याद दिलायी गयी। इस सम्मेलन में निम्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।

By: वतन समाचार डेस्क
  • तालाबंदी: इस अप्रत्याषित घोषणा से 130 मिलियन लोगों के लिए गंभीर संकट पैदा हुआ: जमाअत इस्लामी हिन्द

नई दिल्ली, 29.अगस्त। आज जमाअत इस्लामी हिन्द द्वारा ऑन लाइन प्रेस सम्मेलन में जमाअत के केन्द्रीय सलाहकार समिति (मर्कज़ी मजलिसे शूरा)  की तीन दिवसीय (23-25 अगस्त 2020) सम्मेलन में पारित प्रस्ताव पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई। प्रेस कांफ्रेंस को जमाअत  के उपाध्यक्ष मुहम्मद सलीम इंजीनियर ने सम्बोधित किया । प्रेस कांफ्रेंस में बताया गया कि  सलाहकार समिति ने देश और समुदाय के महत्वपूर्ण समस्याओं पर विचार किया और कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम करने का फैसला लिया गया। इस समय पूरा देश कोरोना का शिकार है। देश में राजनीति और आर्थिक संकट है जो निश्चित तौर पर चिंता का विषय है। केन्द्रीय सलाहकार समिति  के सम्मेलन में कोरोना से मृतकों के परिजनों एवं इस बिमारी से संक्रमित लोगों के प्रति सहानुभूति प्रकट की गयी। इस सम्मेलन में मुस्लिम दुनिया की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त किया गया और साथ ही देश के मुसलमानों को अपनी ज़िम्मेदारियां याद दिलायी गयी। इस सम्मेलन में निम्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।

 

 

मुहम्मद सलीम इंजीनियर ने बताया कि सलाहकार समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची कि प्रधनमंत्री ने किसी तैयारी का समय दिये बिना 24 मार्च 2020 से 21 दिनों की तालाबंदी की घोषणा कर दी । इस अप्रत्याषित घोषणा से 130 मिलियन लोगों के लिए गंभीर संकट पैदा हो गया। इसी तरह, नवम्बर 2016 में नोटबंदी की घोषणा ने भी जनता को परेशान कर दिया था। देश में बड़ी संख्या में लोग, विशेषकर श्रमिक वर्ग दक्षिण से उत्तर और पश्चिम से पूर्व की ओर पलायन करने के लिए मजबूर हुआ। यह सब स्पष्ट रूप से सरकार के कुप्रबंधन और गैर-ज़िम्मेदाराना रवैये के कारण हुआ,  जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोग कोविड से प्रभावित हुए, बड़ी संख्या में बेरोज़गार हुए,  देश की जी॰डी॰पी॰ में भारी गिरावट आयी और विकास दर ऋणात्मक होने की कगार पर है । देश की अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य प्रणाली की विवशता के पीछे देश में फैला हुआ भ्रष्टाचार और जन-विरोधी आर्थिक नीतियों की भी प्रमुख भूमिका रही है. देश की आर्थिक नीतियों पर पुनर्विचार किया जाए, निजीकरण की दिशा में बढ़ते कदमों को रोका जाए, स्वास्थ्य और शिक्षा के बाज़ारीकरण को रोका जाए, और बजट के बड़े हिस्से को लोक कल्याण और रोज़गार के अवसर बढ़ाने के लिए आवंटित किया जाए ।

 

 

सलाहकार समिति महसूस करती है कि देश दूसरी ओर राजनीतिक संकट से भी जूझ रहा है। संवैधनिक संस्थाओं की संप्रभुता सवालों के घेरे में है । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता गंभीर ख़तरे में है । न्यायपालिका की सर्वोच्च संस्था द्वारा जारी किये गये फैसलों की दुनिया भर में आलोचना हो रही है। सत्ताधारी दल देश के अल्पसंख्यकों के ख़िला़फ लगातार आक्रामकता का प्रदर्शन कर रही है तो विपक्ष की भूमिका नगण्य होकर रह गयी है । वर्तमान सरकार की अल्पसंख्यकों, दलितों, कमज़ोर वर्गों और विशेष रूप से मुस्लिम विरोधी नीतियां और फैसले देश की लोकतांत्रिक पहचान के लिए एक गंभीर ख़तरा बन गये हैं । मीडिया और सोशल मीडिया में ऩफरत फैलाने वाली बातें और उन पर सरकार की चुप्पी और कई बार संरक्षण देश के अल्पसंख्यकों के अंदर अविश्वास और संदेह का कारण बन रही है । एन॰आर॰सी॰, सी॰ए॰ए॰ और एन॰पी॰आर॰ के ख़िलाफ प्रदर्शन में भाग लेने वालों को लॉकडाउन के बीच जिस तरह आरोप लगाकर कैद किया जा रहा है, वह बेहद निंदनीय है।

 

 

सलाहकार समिति  ने इस्लामिक दुनिया के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से यमन, सीरिया, लेबनान और लीबिया में वर्षों से जारी गृह युद्ध पर चिंता व्यक्त की । समिति का विश्वास है की स्थिति के इस बिगाड़ के लिए विश्व शक्तियां निश्चित रूप से ज़िम्मेदार हैं, लेकिन इसे संभालने और ठीक करने की पहली ज़िम्मेदारी मुस्लिम उम्मत की है। इन गृह युद्ध के कारणों का ठीक से आकलन करना और उन्हें रोकने के लिए एक वैश्विक अभियान शुरू  करना ज़रूरी है । फिलिस्तीन पर इसराईल का कब्ज़ा जिस तरह शुरुआत में ग़़लत था, उसी तरह हमेशा ग़लत रहेगा । मुस्लिम उम्मत और इन्सा़फ पसन्द अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने जो पक्ष क़ब्ज़े की शुरुआत में अपनाया था उस पक्ष पर बने रहना ज़रूरी है । ताकि न्याय की मांग समय बीतने के साथ धुंधली न हो, बल्कि हमेशा अपने स्पष्ट रूप में सबके सामने रहे । फिलिस्तीन के संबंध में, अमेरिका के संरक्षण में इसराईल के साथ यू॰ए॰ई॰ का ताज़ा समझौता फिलिस्तीन मुद्दे के साथ खुली बेईमानी है और अत्यंत निंदनीय है। हमारा देश, जिसने एक लंबे संघर्ष के बाद स्वतंत्रता प्राप्त की है, से यह अपेक्षा है कि अब तक वह फिलिस्तीन की आज़ादी के लिए फिलिस्तीनी जनता के साथ जिस मज़बूती से खड़ा है अपने पक्ष पर क़ायम रहे ।

 

 

 

भारतीय मुसलमानों को अपने देश में जिन समस्याओं का सामना है उनमें सबसे गंभीर समस्या बढ़ते फासीवाद की है। हाल के वर्षों में जब से सांप्रदायिकता और फ़ासीवाद के इस रुझान को सरकारी अनदेखी प्राप्त हुई है, स्थिति बहुत गंभीर हो गयी है। घृणा और फासीवाद के इस ख़तरनाक और घातक वायरस से छुटकारा पाने और मुसलमानों के बारे में देशबंधुओं के मन में पैदा हुई भ्रांतियों को दूर करने का एक प्रभावी तरीक़ा लोगों की सेवा और मानवता का कल्याण और नैतिकता की व्यावहारिक अभिव्यक्ति है, जिसकी रोशन मिसाल देश के मुसलमानों ने कोविड के दौरान पेश की है । जमाअत इस्लामी ने भी देश भर में एक अभियान की तरह राहत कार्य किया और राष्ट्र के मार्गदर्शन के लिए समय पर अपीलें जारी कीं ।

 

 

 

शैक्षिक और आर्थिक आधर पर मुसलमानों की स्थिति बहुत अधिक ध्यान देने योग्य है और व्यवस्थित संघर्ष की मांग करती है । मुसलमानों के लिए आवश्यक है कि वे एक नयी सोच के साथ शैक्षिक और आर्थिक विकास की योजना बनाएं । देश की नयी शिक्षा नीति की कमज़ोरियों की आलोचना के साथ इसमें मौजूद अवसरों का उपयो्र अपने शैक्षिक विकास के लिए करें । इसी तरह, देश के क़ानूनों और नियमों की अनदेखी और कुछ हद तक लापरवाही भविष्य में कठिनाइयों को बढ़ा सकती है । यह सच्चाई ध्यान में रहनी चाहिए कि चुनौतियों और संकटपूर्ण परिस्थितियों से निपटने के लिए सभी आवश्यक उपाय करते समय, अपने लक्ष्य के साथ गहरा संबंध ज़रूरी है । मुसलमानों की वास्तविक सफलता उनके मिशन के लिए उनकी प्रतिबद्धता पर निर्भर है।

 

 

 

ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :

https://www.watansamachar.com/

उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :

http://urdu.watansamachar.com/

हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :

https://www.youtube.com/c/WatanSamachar

ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :

https://t.me/watansamachar

आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :

https://twitter.com/WatanSamachar?s=20

फ़ेसबुक :

https://www.facebook.com/watansamachar

यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।

Support Watan Samachar

100 300 500 2100 Donate now

You May Also Like

Notify me when new comments are added.

Poll

Would you like the school to institute a new award, the ADA (Academic Distinction Award), for those who score 90% and above in their annual aggregate ??)

SUBSCRIBE LATEST NEWS VIA EMAIL

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.

Never miss a post

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.